Monday, July 31, 2017

बालों से जुड़ी किसी भी समस्या से ना हो परेशान क्योंकि फेमस शेफ संजीव कपूर के पास है समाधान

अस्वस्थ आहार आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और जिसका असर आपके चेहरे के साथ साथ आपके बालों पर भी दिखाई देता है। कुछ खाद्य पदार्थ बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए उन खाद्य पदार्थों के सेवन में वृद्धि करने से बालों के झड़ने की समस्या कम हो सकती है। तो आइये जानते हैं फेमस शेफ संजीव कपूर से बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए किन खाद्य पदार्थों का सेवन है ज़रूरी -



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मशहूर नूट्रिशनिस्ट राधिका कार्ले के अनुसान वजन घटाने के लिए अपनाएं ये भारतीय आहार

आपके बहुत कोशिश करने के बाद भी आपका वजन कम नहीं हो रहा है, इसका मतलब आप सही आहार का सेवन नहीं कर रहे हैं या फिर वजन कम करने के लिए जो भोजन आप खा रहे हैं, उसका स्वाद अच्छा नहीं लग रहा है। हम भारतीयों को हमारे भोजन में एक विशिष्ट स्वाद चाहिए और हम अपने भोजन में रोटी और चावल खाना नहीं छोड़ सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप देसी आहार का सेवन करके भी अपना वजन कम कर सकते हैं? (और पढ़ें – रोटी या चावल क्‍या है सेहत के लिए बेहतर)

सेलिब्रिटी पोषण विशेषज्ञ (nutritionist) राधिका कार्ले, जो वर्तमान में सोनम कपूर की नूट्रिशनिस्ट हैं, भारतीय आहार का सेवन कर वजन कम करने के लिए लोगों को कुछ बेहतरीन सुझाव दे रही हैं। तो चलिए जानते हैं उनके बताए हुए सुझावों के बारे में :-



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मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान - Indian Diet Plan to Lose Weight in Hindi

आप मोटापा कम करने के लिए प्रतिज्ञा लेते हैं कि आज तो डाइटिंग करके ही रहेंगे और उतना ही कैलोरी का सेवन करेंगे जितने मेरे शरीर को ज़रुरत होगी लेकिन बाहर निकलते ही या घर पर खाली बैठते ही आपका मन बाहर के खाने की तरफ भागता है जो आपके शरीर के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं हैं, इससे सिर्फ और सिर्फ आप ही का वज़न बढ़ेगा। अगर अपना वज़न सच में घटाना चाहते हैं तो सबसे पहले खानपान में बदलाव लाएं और अपने नज़रिये में सकरात्मकता लेकर आएं इससे वज़न जल्दी घटा पाएंगे।

अगर कम कैलोरी वाला आहार अपनी सूची में जोड़ते हैं तो ये आप ही के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा साथ ही हृदय को भी स्वस्थ रखेगा। आज हम आपको मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान के बारे मे बताएंगे जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन का एक संयोजन होगा।

1. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का पहला भोजन - सुबह उठने के तुरंत बाद 

अगर आपने अभी तक ये आदत नहीं डाली है तो अब डाल लीजिये। सुबह उठकर खाली पेट पानी का सेवन करना आपके शरीर के लिए सबसे ज़्यादा लाभदायक है क्यूंकि शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ निकल जाते हैं जिससे खून भी साफ होता है और खून के साफ हो जाने से त्वचा पर भी चमक आती है। वज़न घटाने के लिए तो जितना जल्दी हो सके खाली पेट पानी को पियें। अगर आप गुनगुने पानी के साथ सिर्फ निम्बू डालकर पियेंगे तो आपका पेट साफ़ होने के साथ ही स्वस्थ भी रहेगा। जिन्हें शुगर है वो चीनी के साथ निम्बू पानी को नज़रअंदाज़ करें और जिन्हे उच्च रक्तचाप की शिकायत है वो नमक के साथ निम्बू पानी का सेवन न करें। (और पढ़ें - नींबू के फायदे और नुकसान

खाली पेट नींबू पानी पीने के फायदे 

  1. नींबू पानी शरीर का मोटापा कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।
  2. नींबू में विटामिन सी होता है साथ ही कई ऐसे पदार्थ होते हैं जो कि आपके शरीर को रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। इससे सांस से जुड़े रोग, सर्दी-जुकाम, खाँसी होने का खतरा भी कम हो जाता है।
  3. नींबू पानी पीने से डायबिटीज से जुडी बीमारियां दूर होती है। नींबू पानी को खासतौर पर हाई शुगर वाले जूस व ड्रिंक का बेहतर विकल्प माना जाता है।
  4. नींबू पानी मोटापे को ही कम नहीं करता, बल्कि ये लिवर को भी ठीक रखता है। नींबू में साइट्रिक एसिड होता है जिससे शरीर के एन्जाइम्स को सही तरीके से काम करने में मदद मिलती है। इससे आपके लिवर को अधिक लाभ मिलता है।
  5. नींबू पानी में फ्लेवनॉयड्स होते हैं जो पाचन तंत्र को अच्छा रखते हैं। यही वजह है कि पेट जब खराब होता है तो नींबू पानी पिलाया जाता है। रोज सुबह नींबू पानी पीने से खाना हजम करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही ये एसिडिटी से भी राहत दिलाता है। (और पढ़ें - नींबू पानी के फायदे और नुकसान)

2. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का दूसरा भोजन - नाश्ता

सुबह उठकर खाली पेट नींबू पानी पीने के दो घंटे बाद नाश्ता करें। नाश्ते में हमेशा पोषक तत्व लें क्यूंकि एक नए दिन के साथ आपके शरीर को भी नया पोषण चाहिए होता है। चाय के साथ बिस्कुट नमकीन ले लेना कोई नाश्ता नहीं होता और न ही पोषण भरा होता है। नाश्ते में पोषक तत्वों को लेने से शरीर का फैट कम होता है और साथ ही इसके सेवन से आपके दिन की शुरुआत एक नयी ऊर्जा के साथ होगी। 

नाश्ते में क्या लें 

2 अंडे, उबली सब्जियां जैसे पत्ता गोबी (कम कैलोरी, फाइबर विटामिन सी), फूलगोबी (विटामिन सी, विटामिन के, फाइबर), साग (विटामिन ए, विटामिन के, फाइबर, आयरन), चुकुन्दर, टमाटर आदि। बिन मलाई वाला एक गिलास दूध। या फिर दाल चीला या बेसन का चीला ले सकते हैं इसके साथ बिन मलाई वाला दूध लें।

नाश्ते में इन आहार के फायदे

  1. अंडे में विटामिन, प्रोटीन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत पाया जाता है। अंडा न केवल पोषक तत्व का एक स्त्रोत है बल्कि वज़न को कम करने के लिए भी मदद करता है। अगर आप और व्यंजनों को अंडे के साथ लेते हैं तो इससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट की खपत सीमित हो जाएगी। अंडा खुद में ही वज़न को कम करने में पर्याप्त है। अंडा वज़न कम करने के साथ-साथ हड्डियों, बालों, गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद ही गुणकारी है। (और पढ़ें - अंडे के फायदे और नुकसान)
  2. अगर आप शरीर में इम्युनिटी बढ़ाना चाहते हैं तो सब्ज़ियों को उबाल लीजिये। खाने में ये टेस्टी लगने के साथ ही शरीर को भी अंदर से फिट कर देगा। उबली हुई सब्जियों को खाने से हमारा फैट बढ़ता नहीं है और धीरे-धीरे बढ़ा हुआ वजन कंट्रोल हो जाता है क्यूंकि उबली हुई सब्ज़ियों मे से पोषक तत्व खत्म नहीं होते और तेल मसालों से आप दूर रहते हैं। उबली हुई सब्ज़ियां खाने से सिर्फ वज़न ही कम नहीं होता बल्कि बिमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। उबालकर खाने से सब्ज़ियों की सारी गंदगी नष्ट हो जाती हैं जिस कारण हम कई बीमारियों से बचे रहते हैं जैसे हार्ट अटैक, कैंसर आदि। अगर आप अपने शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ाना चाहते हैं तो आप उबली हुई सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में करें। इससे शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद मिलती है।
  3. वज़न कम करने के लिए जितना हो सके वसा से जुडी चीज़ो से दूर रहें। अगर आप दूध पीते हैं तो बिन मलाई वाला पिए इससे आपके शरीर में वसा की मात्रा नहीं बढ़ेगी और आप कोलेस्ट्रॉल की बीमारियों से भी बचे रहेंगे। (और पढ़ें - दूध के फायदे और नुकसान

3. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का तीसरा भोजन - नाश्ते के 3-4 घंटे बाद 

मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का तीसरा भाग है नाश्ते के 3-4 घंटे बाद (तकरीबन 12 बजे) एक पेय पदार्थ लेना। आप कोई पेय पदार्थ लें जिससे आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी। 

नाश्ते के 3-4 घंटे बाद क्या लें

ग्रीन टी या नारियल पानी पियें। 

नाश्ते के बाद इन आहार के फायदे

  1. मोटापे को कम करने में ग्रीन टी बेहतरीन घरेलू उपाय है। खाना खाने के बाद अगर आप ग्रीन टी को पीते हैं तो यह आपकी पाचन शक्ति को बढ़ायेगा और इसमे शामिल पोषक तत्व वजन कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
  2. ग्रीन टी को अगर आप खाना खाने के 1 घंटा पहले पीतें हैं तो यह आपके वजन को कम करता है और आपकी भूख पर नियंत्रण भी रखता है।
  3. ग्रीन टी पूरी तरह से एंटीआक्सीडेंट होता है। साथ ही ग्रीन टी में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है। ग्रीन टी को दिन में 2 से 3 बार पीने से आपका शरीर रोगमुक्त रहेगा। (और पढ़ें - ग्रीन टी के फायदे और नुकसान, बनाने की विधि और पीने का सही समय)
  4. नारियल पानी वज़न घटाने में सबसे अच्छा पेय पदार्थ है। यह कैलोरी में कम होता है और पचाने में आसान होता है। नारियल पानी पीने से हमारी शरीर का मेटाबोलिज्म रेट बढ़ जाता है जिसके फलस्वरूप हमारी शरीर का शुगर बर्न होने लगता है और शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होने लगती है। (और पढ़ें - नारियल पानी के फायदे और नुकसान
  5. नारियल का पानी रक्तचाप को संतुलित रखता है, पानी की कमी को पूरा करता है, हड्डियों को मजबूत रखता है और चेहरे पर चमक लाता है। (और पढ़ें - नारियल पानी के फायदे और नुकसान)

4. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का चौथा भोजन - दोपहर का खाना 

मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का अगला हिस्सा है दोपहर का खाना। इसे आप दोपहर के एक या 2 बजे करें। इसमें ज़रूरी है कि बस खाली सब्ज़ी, रोटी न खाएं बल्कि और भी कई पोषक आहार लें जिससे आपके शरीर को पोषक तत्व मिलते रहें और साथ ही आपका वज़न भी नियंत्रण में रहे।

दोपहर के खाने में क्या लें

आप कई तरह के सलाद ले सकते हैं जैसे हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सलाद (हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, गोबी या पत्ता गोभी, खीरा, ककड़ी और मिर्च आदि से बनता है, ग्रीन सलाद में विटामिन बी12 का अच्छा स्रोत होता है), वेजिटेबल सलाद (हरे रंग की सब्जियों के अलावा दूसरे रंगों की सब्जियां जैसे खीरा, मिर्च, टमाटर, मशरूम, प्याज, मूली, गाजर आदि), आप ऐसे ही कई तरह के सलाद ले सकते हैं। खाने में थोड़ी सी दाल लें और इसे सिर्फ 1 चम्मच तेल में ही बनाएं इससे आपका वज़न संतुलित रहेगा या फिर आप ब्राउन चावल और उसके साथ एक कटोरी खीरे का रायता भी ले सकते हैं। 

दोपहर के आहार को खाने के फायदे

  1. जिन लोगों को ज़्यादा भूख लगती है उन्हें सलाद खाना चाहिए। इसमें मौजूद फइबर भूख को शांत रखता है, जिससे हमारा पेट भरा-भरा रहता है जिसकी वजह से हमारा वज़न कंट्रोल में रहता है और मोटापा बढ़ता नहीं है। सलाद में फाइबर पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर में फाइबर की कमी पूरी हो जाती है। सलाद खाने से वज़न कम होता है और पाचन शक्ति भी सुधरती है। यह दिल के लिए भी फायदेमंद होता है और शरीर को कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों से बचाता है। (और पढ़ें - सलाद पत्ते के फायदे और नुकसान
  2. दाल को खाने का जो सबसे बड़ा फायदा है वो है इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का भरपूर मात्रा में पाया जाना। अरहर, मुंग, मसूर, चना, उड़द इन सभी दालों में प्रोटीन बहुत ही ज़्यादा मात्रा में पाया जाता है। इनमे फैट और कैलोरी बहुत ही कम होती हैं। अगर आप एक कप दाल खाते है तो जल्दी भूख बिलकुल भी नहीं लगेगी और वज़न कम करने में मदद होगी। (और पढ़ें - दालों के फायदे)
  3. ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा ज़्यादा पायी जाती है जो कि बेहतर पाचन में मदद करता है। काफी भारी होने की वजह से दुबारा भूख का लगना नामुमकिन होता है। ब्राउन राइस खाने से पेट काफी भरा रहता है और स्वास्थ के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। खीरे में पानी अधिक होता है और कैलोरी भी कम होती है, इसलिए वजन कम करने के लिए खीरा अच्छा विकल्प होता है।

5. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का पांचवा भोजन - दोपहर के खाने के दो घंटे बाद ग्रीन टी 

दोपहर के खाने के बाद ज़रूरी है ग्रीन टी लें इससे आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी और इसमे शामिल पोषक तत्व आपका वजन कम करने में मदद करेंगे। ग्रीन टी से जुड़े सभी लाभ ऊपर देखें।

6. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का छठा भोजन - शाम का नाश्ता 

दोपहर के खाने के 4-5 घंटे बाद शाम के नाश्ते को भी ज़रूर लें लेकिन उसमे पोषक तत्व भी होने ज़रूरी हैं। 

शाम के नाश्ते में क्या लें 

मुरमुरे को खूब सारी सब्ज़ियों के साथ इसका सेवन करें इसमें आप नींबू भी डालें जिससे आपको विटामिन सी की मात्रा मिलती रहें या फिर फल या अंकुरित दाल भी ले सकते हैं। 

शाम के नाश्ते को खाने के फायदे

  1. शाम को भारी खाने की ज़रुरत नहीं होती इसलिए आप सब्ज़ियों को मुरमुरे के साथ कुछ टेस्टी बनाकर खा सकते हैं इससे आपको ज़रूरी पोषित आहार भी मिलेंगे साथ ही वज़न बढ़ने का डर भी नहीं होगा।
  2. फल खाने से आपकी विटामिन की मात्रा पूरी होगी और कई बीमारियां को दूर करने में मदद मिलेगी।
  3. अंकुरित दाल के खाने से आपकी हड्डिया मजबूत होती है साथ ही मोटापा भी कम होता है। (और पढ़ें - अंकुरित अनाज के फायदे)

7. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का सातवाँ भोजन - रात का खाना 

मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का अंतिम भाग है रात का खाना। आमतौर पर लोग नाश्‍ता कम खाते हैं और रात का भोजन हैवी करते हैं जबकि होना इसका उल्‍टा चाहिए। अगर आपको वज़न कम करना है तो रात में कम कैलोरी वाला खाना खाना चाहिए।

रात को खाने में क्या लें 

आप रात के खाने में भी कई तरह के सलाद ले सकते हैं हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सलाद, वेजिटेबल सलाद लें। रात में चिकन या फिर दाल ले सकते हैं लेकिन जो लोग मांसाहारी नहीं है वो दाल का विकल्प ले सकते हैं। 

रात को खाने में आहार के फायदे

  1. सलाद से आपके शरीर को फाइबर मिलेगा साथ ही फाइबर मिलने से भूख भी कम लगेगी।
  2. रात के खाने में चिकन खाने से वज़न कम होता है क्यूंकि चिकन प्रोटीन से भरपूर होता है और हमारी शरीर को प्रोटीन मिलने से वज़न नियंत्रित रहता है। (और पढ़ें - चिकन के फायदे और नुकसान)
  3. और अगर आप एक कप दाल खाते है तो जल्दी भूख भी नहीं लगेगी और वज़न कम करने में मदद मिलेगी। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 



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Friday, July 28, 2017

बॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ कैसे करते हैं तेज़ी से वज़न कम - How Bollywood Celebrities Lose Weight Fast in Hindi

अगर आप भी अपना वज़न कम करना चाहते हैं और उसके लिए प्रेरणा की ज़रूरत है तो आप अपने बॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ को ही फॉलो कर सकते हैं। आजकल के अभिनेता और अभिनेत्रियां जिन्होंने बॉलीवुड में आने के लिए बढे हुए वज़न को मात दी, आपके रोल मॉडल्स बन सकते हैं।

यहाँ कुछ ऐसे ही सेलेब्रिटीज़ का डाइट प्लान और व्यायाम दिनचर्या बताई गयी है जिसे फॉलो करके आप भी मनचाही काया पा सकते हैं और खुद को स्वस्थ्य और फिट महसूस कर सकते हैं।



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Thursday, July 27, 2017

ओरल कैंसर

ओरल कैंसर या मौखिक कैंसर (मुंह का कैंसर) वह कैंसर होता है जिसमे मुँह के किसी भी हिस्से में कैंसर का विकास होता है जैसे होंठ, मसूड़े, जीभ, गालों की आंतरिक परत, तालू या जीभ के नीचे।



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पोलियो

पोलियो, या पोलियोमेलाइटिस (Poliomyelitis), एक गंभीर और संभावित घातक संक्रामक रोग है। यह पोलियोवायरस (Poliovirus) के कारण होता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है और संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर हानि पंहुचा सकता है, जिससे लकवा (शरीर के कुछ हिस्सों को हिलाया डुलाया नहीं जा सकता) होता है। भारत में पोलियो का अंतिम मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल और गुजरात में रिपोर्ट हुआ था। 27 मार्च 2014 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था।



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एचआईवी/एड्स

ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी; HIV) एक लेन्टिवायरस (रेट्रोवायरस का एक उपसमूह) है जिससे एचआईवी संक्रमण होता है और समय के साथ इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) बन जाता है। 

एड्स (अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिन्ड्रोम; AIDS) एक बीमारी है जो ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआईवी (HIV) के कारण होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा को गंभीर नुकसान पहुँचता है। एचआईवी/एड्स के कारण किसी व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है

सीडी 4+टी सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एचआईवी इन कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम सेंटर (सीडीसी) के अनुसार, स्वस्थ लोगों के खून में हर क्यूबिक मिलीमीटर में लगभग 1,000 सीडी 4+टी कोशिकाएं होती हैं और एड्स से ग्रस्त रोगियों में इसकी संख्या 200 या उससे कम हो जाती हैं।

एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि आपको एड्स है। एड्स, एचआईवी संक्रमण का तीसरा और अंतिम चरण है। हालांकि, अनुपचारित एचआईवी संक्रमण समय के साथ एड्स बन सकता है। 

भारत में एचआईवी/एड्स

2015 की जानकारी के अनुसार, भारत में 21 लाख लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं और दुनिया में एचआईवी से प्रभावित देशों में भारत तीसरे स्थान पर आता है। इसी वर्ष, एड्स संबंधी बीमारियों से लगभग 68,000 लोग मारे गए थे। 

यौन कर्मी (Sex worker) और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में हाल ही में एचआईवी प्रसार में गिरावट आई है। दवाइयों को इंजेक्ट करने वाले लोगों में पहले एचआईवी का फैलाव स्थिर था लेकिन हाल के वर्षों में यह बढ़ रहा है।

कुल मिलाकर, भारत में एचआईवी महामारी के नए संक्रमणों में 32% की गिरावट (2015 में 86,000) आयी है, और 2007 और 2015 के बीच एड्स से संबंधित मौतों में 54% की गिरावट आयी है। 



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ओवेरियन कैंसर

अंडाशयी कैंसर यानि ओवरी का कैंसर अंडाशय में शुरू होता है। अंडाशय (Ovaries) महिलाओं में पाई जाने वाली प्रजनन ग्रंथियां हैं। अंडाशय प्रजनन के लिए अंडों का उत्पादन करता है। अंडे फैलोपियन ट्यूब्स से गर्भाशय में जाते हैं जहाँ निषेचित अंडा (Fertilized Egg) प्रवेश करता है और भ्रूण में विकसित होता है। अंडाशय महिला हॉर्मोन्स - एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) का भी मुख्य स्त्रोत है। 

बढ़ती उम्र की महिलाओं में अंडाशय का कैंसर एक आम समस्या बनता जा रहा है। महिलाओं में होने वाले अन्य सभी कैंसरों में ओवरी में कैंसर कोशिकाओं का विकास होने की संभावना लगभग 4% है। हालांकि यह एक जल्दी बढ़ने वाला कैंसर है और महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। लगभग तीन-चौथाई महिलाओं में इसका निदान तीसरे या चौथे स्टेज पर होता है।



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जापानी एनसेफेलिटिस

जापानी एनसेफेलिटिस एक वायरल संक्रमण है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है और फ्लेविवायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। इसके कारण बुखार, सिरदर्द, भ्रम, दौरे, और कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। यह संक्रमण सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित करता है और गर्मी के दौरान अधिक सक्रिय रूप से फैलता है। जापानी एनसेफेलिटिस वायरस (जेईवी) डेंगू, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस से संबंधित एक फ्लेविवायरस है। 

जापानी एनसेफेलिटिस वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में प्रसारित नहीं होता।

भारत में जापानी एनसेफेलिटिस

भारत में 1955 में जापानी एनसेफेलिटिस का पहला मामला सामने आया था। देश के विभिन्न हिस्सों में इसका प्रकोप है परन्तु असम, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में इसका प्रभाव ज़्यादा है।

2006 के दौरान जेई (JE: जापानी एनसेफेलिटिस) टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था जिसमें असम, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के 11 सबसे संवेदनशील जिलों को कवर किया गया था। असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों में कुल मिलाकर 86 जिलों को कवर किया गया था।

2016 में भारत में जापानी एनसेफेलिटिस के कुल 1,676 मामले सामने आए हैं जिनमें से 283 लोगों की मौत हुई है।



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एनीमिया

एनीमिया तब होता है जब रक्त में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है। हीमोग्लोबिन रक्त की कोशिकाओं के लिए ऑक्सीजन आबद्ध करने के लिए आवश्यक है। यदि आपके पास कम या असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं हों या आपका हीमोग्लोबिन कम या असामान्य हो तो आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगा। एनीमिया के लक्षण जैसे थकान तब महसूस होते हैं जब शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है। 

महिलाओं, बच्चो और लंबे समय से चल रही बिमारियों से पीड़ित लोगों को एनीमिया आसानी से हो सकता है। 

भारत में एनीमिया के हर साल 1 करोड़ मामले होते हैं। 

एनीमिया के बारे में कुछ महत्वपूर्ण कारक इस प्रकार हैं:

  1. एनीमिया के कुछ प्रकार अनुवांशिक होते हैं और कुछ लोगों को एनीमिया बचपन से होता है। 
  2. गर्भधारण करने की योग्य उम्र में महिलाओं को मासिक धर्म के कारण रक्त की कमी और शरीर द्वारा ज़्यादा रक्त की ज़रुरत के कारण आसानी से एनीमिया हो सकता है। (और पढ़ें: मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव के कारण और उपाय
  3. अनुचित आहार और अन्य चिकित्सक समस्याओं के कारण भी लोगों को एनीमिया हो सकता है।

एनीमिया के कई प्रकार हो सकते हैं। सबके कारण और उपचार अलग होते हैं। आयरन की कमी के कारण होने वाला एनीमिया सबसे सामान्य है और इसका उपचार आहार बदलने और आयरन युक्त आहार से किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले एनीमिया को कुछ हद तक सामान्य समझा जाता है। तथापि कुछ प्रकार एनीमिया के कारण ज़िन्दगी भर स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं। 



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हेपेटाइटिस बी

हेपेटाइटिस बी एक वायरस है जो लिवर को संक्रमित करता है।

कई बार आप हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हो सकते हैं और आपको मालूम भी नहीं पड़ता है। इसके लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं और यदि नज़र आते हैं तो वह फ्लू के लक्षण जैसे होते हैं। जब तक आपको ये वायरस है तब तक आप इससे अपने आस पास के लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।

विश्व के 10–15% HBV कैरियर्स भारत में मौजूद हैं। अनुमान लगाया गया है कि भारत में 40 मिलियन एचबीवी कैरियर्स हैं। 



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पीसीओएस

पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome, PCOS) एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के सेक्स हॉर्मोन्स एस्ट्रोजेन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे अण्डाशयी सिस्ट (Ovarian Cyst)* बन जाती है। पीसीओएस एक महिला के मासिक धर्म चक्र, प्रजनन क्षमता, हृदय की कार्यवाही और रूप-आकार को प्रभावित कर सकता है।

पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम महिलाओं में होने वाला एक प्रचलित अंत: स्रावी विकार है और आजकल प्रजनन क्षमता में कमी होने के मुख्य कारणों में से एक है। 

यह परेशानी मुख्य रूप से 15 से 30 वर्ष की उम्र की महिलाओं में ज़्यादा पाई जा रही है। भारत में लगभग 10% महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं। फिर भी इस परेशानी के बारे में जागरूकता न के बराबर है और महिलाएं कई वर्षों तक इसका निदान नहीं करवातीं।

* ये सिस्ट नहीं होतीं बल्कि कई छोटे अंडे होते हैं जो अभी तक परिपक्व (Mature) नहीं हुए और अल्ट्रासाउंड में अंडाशय पर नज़र आते हैं। यदि मरीज़ के शरीर में पर्याप्त हॉर्मोन्स नहीं बनते, तो अंडे परिपक्व नहीं हो पाते। जब तक अंडे विकसित और परिपक्व नहीं होते, तब तक ओव्यूलेशन (Ovulation; अंडाशय में अंडे बनना) और गर्भधारण नहीं हो सकता।

PCOS In India



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चिकन पॉक्स (छोटी माता)

चिकन पॉक्स वेरिसेला-ज़ोस्टर वायरस (वीजेडवी; VZV) के कारण होने वाली एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है। इससे छाले या फफोले जैसे दानें, खुजली, थकान और बुखार होता है। यह पेट, पीठ और चेहरे पर पहले दिखाई देता है और फिर पूरे शरीर में फैल जाता है। उसके बाद 250 से 500 खुजली वाले छाले या फफोले हो जातें हैं। चिकन पॉक्स गंभीर हो सकता है, खासकर बच्चों, वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में। चिकन पॉक्स को रोकने का सबसे अच्छा तरीका चिकन पॉक्स वैक्सीन प्राप्त करना है। लगभग 2 सप्ताह में अधिकांश लोग ठीक हो जाते हैं।

VZV अत्यधिक श्वसन बूंदों या संक्रमित व्यक्ति के त्वचा के घावों/दानें के सीधे संपर्क से फैलता है। एक अध्ययन के मुताबिक़ भारत में चिकेनपॉक्स गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में ज़्यादा होता है।



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Wednesday, July 26, 2017

हॉट फ्लैश के कारण, उपचार और बचने के उपाय - Hot Flashes Causes, Treatment and Prevention in Hindi

हॉट फ्लैश में तेज़ गर्माहट का अनुभव होता है जो की बाहरी कारणों की वजह से नहीं होता है। यह थोड़ी थोड़ी देर में महसूस होता रहता है। हॉट फ्लैशेस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं :

  1. त्वचा का अचानक गर्माहट महसूस करना।
  2. शरीर के ऊपरी भाग में पसीना अधिक आना।
  3. चेहरे, गर्दन, कानों, सीने, और अन्य भागों में अत्यधिक गर्मी लगना।
  4. उँगलियों में झनझनाहट होना।
  5. हृदय गति सामान्य से अधिक होना।

 

हॉट फ्लैशेस रजोनिवृत्ति का सामान्य लक्षण है। इस दौरान महिलायें दिन में कई बार हॉट फ्लैशेस का अनुभव करती हैं। सामान्यतः हॉट फ्लैश किसी को भी महसूस हो सकते हैं। और ये कितने समय के लिए रहते हैं ये निर्भर करता है कि ये किस कारण से हैं।



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रजोनिवृत्ति के लक्षण - Menopause Symptoms in Hindi

रजोनिवृत्ति से जुड़े अधिकांश लक्षण वास्तव में पेरिमीनोपॉज (Perimenopause) के दौरान अनुभव होते हैं। कुछ महिलाओं को किसी भी प्रकार के असहनीय लक्षण महसूस नहीं होते हैं परन्तु कुछ को ये लक्षण बहुत कष्ट पहुंचाते हैं। ये रजोनिवृति से पहले या कुछ वर्षों बाद तक अनुभव किये जाते हैं। (और पढ़ें - रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज के बारे में जानिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जिनसे थे आप अभी तक अनजान)

ये लक्षण एस्ट्रोजन और प्रोजेस्‍टेरॉन हार्मोन (female sex hormones) के कम बनने के कारण उत्पन्न होते हैं। इनके लक्षण अलग अलग शरीर पर अलग अलग प्रकार से होते हैं। एस्ट्रोजन मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करता है और शरीर के निम्नलिखित हिस्सों को प्रभावित करता है:

  1. प्रजनन प्रणाली
  2. मूत्र पथ
  3. दिल
  4. रक्त वाहिकाएं
  5. हड्डियों
  6. स्तनों
  7. त्वचा
  8. केश
  9. श्लेष्मा झिल्ली
  10. पैल्विक मांसपेशियों
  11. दिमाग

रजोनिवृत्ति के लक्षण इस प्रकार हैं :



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Tuesday, July 25, 2017

जापानी एनसेफेलिटिस


जापानी एनसेफेलिटिस एक वायरल संक्रमण है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है और फ्लेविवायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। इसके कारण बुखार, सिरदर्द, भ्रम, दौरे, और कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। यह संक्रमण सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित करता है और गर्मी के दौरान अधिक सक्रिय रूप से फैलता है। जापानी एनसेफेलिटिस वायरस (जेईवी) डेंगू, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस से संबंधित एक फ्लेविवायरस है।
जापानी एनसेफेलिटिस वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में प्रसारित नहीं होता।
भारत में जापानी एनसेफेलिटिस
भारत में 1955 में जापानी एनसेफेलिटिस का पहला मामला सामने आया था। देश के विभिन्न हिस्सों में इसका प्रकोप है परन्तु असम, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में इसका प्रभाव ज़्यादा है।
2006 के दौरान जेई (JE: जापानी एनसेफेलिटिस) टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था जिसमें असम, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के 11 सबसे संवेदनशील जिलों को कवर किया गया था। असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों में कुल मिलाकर 86 जिलों को कवर किया गया था।
2016 में भारत में जापानी एनसेफेलिटिस के कुल 1,676 मामले सामने आए हैं जिनमें से 283 लोगों की मौत हुई है।


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नाखूनों की देखभाल के लिए टिप्स - Nail Care Tips in Hindi

आपने अपने बड़े बुज़ुर्गों से नाखूनों की सफाई के लिए डाँट तो ज़रूर खायी होगी। असल में वो हमारी भलाई के लिए ही होती थी। इस लेख में नाखूनों की देखभाल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है। आपके नाखूनों का आकार, उनकी सेहत आपके व्यक्तित्व को दर्शाता है। हमारे हाथ और नाखून दिन में कई चीज़ों के संपर्क में आते हैं इसलिए उनकी खासतौर पर देखभाल और सफाई अति आवश्यक है। (और पढ़ें - नाखून खाने की आदत से कैसे होता है सेहत का नुकसान)

आपके नाखूनों और हाथों को स्वस्थ्य और सुन्दर रखने के कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:

1. हाथों को अच्छी तरह धोयें

नाखूनों को साफ़ रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप समय समय पर अपने हाथों को धोते रहें। इससे न केवल उनमें पनपने वाले बैक्टीरिया से मुक्ति मिलेगी बल्कि आपके नाखून हमेशा साफ़ और ताज़े दिखेंगे। बेहतर परिणाम के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। पर ध्यान रहे बहुत ठंडा और बहुत गर्म पानी आपकी त्वचा को नुक्सान पहुँचा सकता है।

2. क्यूटिकल की देखभाल है ज़रूरी

नाखून और क्यूटिकल (त्वचा की बाहरी परत) आपके शरीर का बहुत ही नाज़ुक हिस्सा होते हैं। रोज़मर्रा का तनाव तथा हाथों से होने वाले सारे काम इन्हें प्रभावित करते हैं। इसलिए नाखूनों में क्यूटिकल आयल लगाना ज़रूरी है। इससे नाखूनों का रूखापन दूर होता है। क्यूटिकल आयल के स्थान पर आप ग्लिसरीन का उपयोग भी कर सकते हैं। नाखूनों और हाथों में कोमलता लाने के लिए सप्ताह में दो बार सोने से पहले ग्लिसरीन का उपयोग ज़रूर करें।

3. नाखूनों को समय पर काटें

बिना कटे और टेढ़े मेढ़े नाखून सामने वाले व्यक्ति पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इसलिए अपने नाखूनों को समय समय पर काटें और उन्हें सही आकार दें। इन्हें आगे पीछे (seesaw motion) बार बार फाइल (file) करने से न केवल वो खराब होते हैं बल्कि उनकी प्राकृतिक परतें भी निकलती हैं। ये नाखूनों के छिलने और टूटने का बहुत बड़ा कारण है।

4. मैनीक्योर करें

आपके शरीर की तरह आपके हाथ भी लगातार काम करके थक जाते हैं। इसलिए महीने में एक बार मैनीक्योर ज़रूर करें। नियमित रूप से मैनीक्योर करने से आपके हाथ और नाखून साफ़ रहते हैं और आपकी त्वचा की मृत परत भी हट जाती है।

5. नेलपेंट लगाने का सही तरीका

आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों लेकिन अपने नाखूनों के लिए थोड़ा समय ज़रूर निकालें। नेल पॉलिश लगाना हर महिला को पसंद होता है। लेकिन उसे लगाने का सही तरीका न पता होने के कारण कभी कभी निराशा का सामना करना पड़ता है। नेल पॉलिश लगाने के बाद उसपर एक कोट (coat) पारदर्शी (transparent) नेल पेंट का ज़रूर लगायें इससे आपकी नेल पॉलिश अधिक समय तक टिकेगी। अगर आपको रंगीन नेलपॉलिश लगाने का मन नहीं है तो आप पारदर्शी नेल पेंट लगा सकती हैं। आप नेल पेंट हटाने के लिए जो रिमूवर उपयोग करती हैं वो भी आपके नाखूनों के टूटने का कारण हो सकता है। इसलिए अच्छे ब्रांड के रिमूवर का ही उपयोग करें। बोतल पर लगे लेबल को पढ़ लें और एसीटोन-मुक्त रिमूवर ही चुनें। क्योंकि एसीटोन आपके नाखूनों की प्राकृतिक नमी को सुखा देता है जिससे नाखून टूटते हैं।

6. सही खान पान रखे नाखूनों को मजबूत

सबसे ज़रूरी है सही खान पान। जब भी स्वास्थ्य की बात आती है तो इसमें आहार बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मज़बूत नाखूनों और कोमल हाथों के लिए आपके भोजन में प्रोटीन, विटामिन बी, विटामिन ई, फाइबर, और खनिज़ भरपूर मात्रा में होने चाहिए। फल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, सफ़ेद मांस और दालें इनका सबसे अच्छा स्रोत हैं। कैल्शियम की कमी के कारण भी नाखून टूटते हैं इसलिए कैल्शियम युक्त भोजन जैसे दही, उबले अंडे आदि अपने भोजन में शामिल करें। (और पढ़ें - कैल्शियम के स्रोत, फायदे और नुकसान)

7. नमक के पानी से सफाई करें

  1. नाखूनों को मज़बूत बनाने के लिए उन्हें नमक स्नान दें।
  2. चार चम्मच नमक को एक लीटर पानी में डालें और इसमें 15 मिनट के लिए हाथ भिगोयें।
  3. अब हाथों को सूखा लें और उनपर ग्लिसरीन लगा लें। (और पढ़ें - नमक के इन फायदो से होंगे आप बिल्कुल अंजान)

8. हाथों को दें कैमोमाइल स्नान

  1. अगर आपके नाखून पीले पड़ रहे हैं तो उन्हें कैमोमाइल स्नान दें। यह बहुत ही उपयोगी है।
  2. सूखे कैमोमाइल के फूल (ये सुगंध उत्पाद की दुकानों में भी मिलते हैं) दो कप पानी में 20 मिनट के लिए भिगोयें और फिर इसमें अपने नाखूनों को 15-20 मिनट के लिए भिगो दें।
  3. यह प्रक्रिया सप्ताह में तीन बार दोहरायें और बेहतर परिणाम के लिए इस पानी में नींबू भी मिला सकते हैं। (और पढ़ें - कैमोमाइल चाय के फायदे और नुकसान)

9. गुलाब जल और ग्लिसरीन के इस मिश्रण का इस्तेमाल करें

नाखूनों को चमकदार बनाने के लिए, गुलाबजल, ग्लिसरीन और हाइड्रोजन परॉक्साइड (Hydrogen peroxide) का मिश्रण उपयोग करें।

  1. 40 मि.ली. गुलाबजल में 10 ग्राम ग्लिसरीन और 50 मि.ली. हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलायें।
  2. अब रुई की सहायता से इस मिश्रण को अपने नाखूनों पर लगायें।

1‍0. जिलैटिन से बढ़ाएं नाखून

अगर आप तेज़ी से नाखूनों को बढ़ाना चाहते हैं तो ‍जिलैटिन का उपयोग इसमें बहुत असरदार साबित होगा। आप जिलैटिन को नेलपॉलिश लगाने से पहले बेस की जगह भी उपयोग कर सकते हैं।
अगर आप घर के काम जैसे सफाई करना, खाना बनाना आदि करते हैं तो बेहतर होगा की आप ग्लव्स (Gloves) का उपयोग करें। इससे साबुन और केमिकल्स से आपके हाथ और नाखूनों की सुरक्षा होगी। (और पढ़ें - नाखून बढ़ाने के पाँच अचूक घरेलू उपाय)



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कामेच्छा की कमी, कारण, लक्षण और उपचार - Loss of Libido, Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

हमारी यौन इच्छा को कामेच्छा प्रवाह (लिबिडो फ्लो) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। कामेच्छा में कमी के कारण सेक्स करने की इच्छा नहीं होती है। यह आपके यौन जीवन को बाधित कर सकता है। आजकल, इस प्रकार की स्वास्थ्य समस्या महिला और पुरुष दोनों में काफी आम हो गयी है। इसके लिए सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और जैविक कारक जिम्मेदार है। (और पढ़ें - पुरुषों के यौन (गुप्त) रोग और उनके समाधान)



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ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े तथ्य जो हर महिला को पता होने चाहिए - Breast Cancer Facts in Hindi

बाकि और सभी कैंसर की तरह ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) भी शरीर में ख़राब टिश्यू उत्पन्न होने की वजह से होता है। ख़राब टिश्यू होने के कारण शरीर की कोशिकायें बढ़ जाती है और फिर स्तन कैंसर के रूप में ये कैंसर बनकर आपके सामने आता है। स्तन कैंसर आपके दूसरे हिस्सों में भी कैंसर की बिमारी पैदा कर सकता है और धीरे-धीरे ये पूरे शरीर में फैल सकता है। 

एक शोध में पाया गया है कि 8 में से एक महिला को स्तन कैंसर हो सकता है। भारतीय शहरों में महिलाओं को होने वाले सभी कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है और ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह दूसरा सबसे आम किस्म का कैंसर है। बताया जाता है कि, महिलाओं को होने वाले कैंसरों में 25% से 32% केस ब्रेस्ट कैंसर के ही होते हैं। (और पढें - ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) - Breast Cancer in Hindi)

तो हर महिला को इसके बारे में कुछ आवश्यक तथ्य मालूम होने चाहिए, जो हम यहाँ दे रहे हैं -



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Monday, July 24, 2017

ओवेरियन कैंसर (अंडाशयी कैंसर)


अंडाशयी कैंसर यानि ओवरी का कैंसर अंडाशय में शुरू होता है। अंडाशय (Ovaries) महिलाओं में पाई जाने वाली प्रजनन ग्रंथियां हैं। अंडाशय प्रजनन के लिए अंडों का उत्पादन करता है। अंडे फैलोपियन ट्यूब्स से गर्भाशय में जाते हैं जहाँ निषेचित अंडा (Fertilized Egg) प्रवेश करता है और भ्रूण में विकसित होता है। अंडाशय महिला हॉर्मोन्स - एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) का भी मुख्य स्त्रोत है।
बढ़ती उम्र की महिलाओं में अंडाशय का कैंसर एक आम समस्या बनता जा रहा है। महिलाओं में होने वाले अन्य सभी कैंसरों में ओवरी में कैंसर कोशिकाओं का विकास होने की संभावना लगभग 4% है। हालांकि यह एक जल्दी बढ़ने वाला कैंसर है और महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। लगभग तीन-चौथाई महिलाओं में इसका निदान तीसरे या चौथे स्टेज पर होता है।


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अनियमित मासिक धर्म के कारण और उपचार - Reasons and Treatment of Irregular Periods in Hindi

मासिक धर्म चक्र महिलाओं में अंडोत्सर्जन और मासिक धर्म की प्रक्रिया है। मासिक धर्म चक्र रक्तस्राव के समय के पहले दिन से अगली बार रक्तस्राव के पहले दिन की अवधि होती है। यद्यपि औसत चक्र 28 दिनों का है। हालांकि ऐसा चक्र होना भी सामान्य है, जो इससे छोटा या अधिक लंबा हो। इसके संबंध में विस्तार से जानकारी के लिए पढ़ें - मासिक धर्म सम्पूर्ण जानकारी



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Saturday, July 22, 2017

पीएमएस (प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम): लक्षण, कारण और उपचार - PMS (Premenstrual Syndrome): Symptoms, causes and Treatment in Hindi

अधिकांश महिलाओं को पीरियड्स शुरू होने से पहले कुछ लक्षण महसूस होते हैं, जैसे: मासिक धर्म के समय पेट दर्द, स्तनों में असहजता या सूजन, पीठ में दर्द इत्यादि जिन्हें प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम (पीएमएस) कहा जाता है। वैसे तो ये सामान्य लक्षण हैं लेकिन इस दौरान ये आपकी दिनचर्या को बहुत प्रभावित करते हैं। कुछ महिलाओं को यह लक्षण शुरुआत में लेकिन कुछ को 20 की उम्र के बाद महसूस होते हैं। ये लक्षण 30-40 की उम्र में रजोनिवृत्ति (यानि मेनोपॉज) से पहले बिगड़ भी सकते हैं। (और पढ़ें - असामान्य मासिक धर्म के लक्षण)



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Friday, July 21, 2017

एनीमिया


एनीमिया तब होता है जब रक्त में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है। हीमोग्लोबिन रक्त की कोशिकाओं के लिए ऑक्सीजन आबद्ध करने के लिए आवश्यक है। यदि आपके पास कम या असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं हों या आपका हीमोग्लोबिन कम या असामान्य हो तो आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगा। एनीमिया के लक्षण जैसे थकान तब महसूस होते हैं जब शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है।
महिलाओं, बच्चो और लंबे समय से चल रही बिमारियों से पीड़ित लोगों को एनीमिया आसानी से हो सकता है।
भारत में एनीमिया के हर साल 1 करोड़ मामले होते हैं।
एनीमिया के बारे में कुछ महत्वपूर्ण कारक इस प्रकार हैं:
  1. एनीमिया के कुछ प्रकार अनुवांशिक होते हैं और कुछ लोगों को एनीमिया बचपन से होता है। 
  2. गर्भधारण करने की योग्य उम्र में महिलाओं को मासिक धर्म के कारण रक्त की कमी और शरीर द्वारा ज़्यादा रक्त की ज़रुरत के कारण आसानी से एनीमिया हो सकता है। (और पढ़ें: मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव के कारण और उपाय
  3. अनुचित आहार और अन्य चिकित्सक समस्याओं के कारण भी लोगों को एनीमिया हो सकता है।
एनीमिया के कई प्रकार हो सकते हैं। सबके कारण और उपचार अलग होते हैं। आयरन की कमी के कारण होने वाला एनीमिया सबसे सामान्य है और इसका उपचार आहार बदलने और आयरन युक्त आहार से किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले एनीमिया को कुछ हद तक सामान्य समझा जाता है। तथापि कुछ प्रकार एनीमिया के कारण ज़िन्दगी भर स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं।


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हेपेटाइटिस बी


हेपेटाइटिस बी एक वायरस है जो लिवर को संक्रमित करता है।
कई बार आप हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हो सकते हैं और आपको मालूम भी नहीं पड़ता है। इसके लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं और यदि नज़र आते हैं तो वह फ्लू के लक्षण जैसे होते हैं। जब तक आपको ये वायरस है तब तक आप इससे अपने आस पास के लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
विश्व के 10–15% HBV कैरियर्स भारत में मौजूद हैं। अनुमान लगाया गया है कि भारत में 40 मिलियन एचबीवी कैरियर्स हैं।


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जाने करीना का प्रेगनेंसी के बाद का डाइट प्लान उनकी नूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर से

गर्भावस्था बहुत मुश्किल दौर होता है। खास कर उन महिलाओं के लिए जो घर से बाहर जा कर काम करती हैं। 

प्रसिद्ध नूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने करीना कपूर की गर्भावस्था से प्रेरित होकर गर्भावस्था से पहले, गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद क्या क्या करना चाहिए वो सब कुछ अपनी नई किताब "गर्भावस्था नोट्स" में लिखा है। 



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सपनों का मतलब

आपने अकसर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि "सपनों की दुनिया से बाहर निकलो।" ये छोटा सा वाक्य ही सपनों की परिभाषा बता रहा है। असल में सपनों की दुनिया ही नहीं भाषा भी अलग होती है। हमारा दिमाग अक्षरों नहीं चित्रों के आधार पर सोचता है। इसीलिए हम जिस चीज़ को एक बार देख लेते हैं वो हमें अधिक समय तक याद रहती है बशर्ते पढ़ी हुई चीज़ के।

यह ज़रूरी नहीं कि आपके देखे हुए हर सपने का कुछ मतलब हो ही। कभी कभी यह सिर्फ हमारी सोच का नतीजा होता है। हम जिस बात को जरुरत से ज्यादा सोच रहे होते हैं उसका सपना आना आम बात है। जैसे कि परीक्षा के समय परीक्षा भवन का सपने में दिखाई देना। आइये जानते हैं कुछ ऐसे सपने जिनका वास्तव में कुछ न कुछ मतलब होता है :

1. अगर आप सपने में तेज़ी से (अनियंत्रित रूप से) गिर रहे हैं तो इसका मतलब है कि आपके जीवन में कुछ ऐसा हो रहा है जो आपके नियंत्रण के बिलकुल बाहर है। यह एक आम सपना है जो आपकी रोज़मर्रा की परेशानियों या सफलता के बाद विफल न होने के डर के कारण आता है।

2. अगर आप सपने में अपने किसी प्रियजन की मृत्यु देखते हैं तो निसंदेह यह बुरा सपना है लेकिन यदि आप हाल ही में किसी शोक सभा में जा चुके हैं तो यह उसका प्रभाव भी हो सकता है। और अगर ऐसा नहीं है तो यह आपके जीवन में आने वाले परिवर्तनों (अंत और नई शुरुआत) की और संकेत करता है।

3. अगर सपने में कोई आपका पीछा कर रहा है तो इसका मतलब है कि या तो आप किसी चीज़ से पीछा छुड़ाना चाहते हैं या आप अपने जीवन की कुछ महत्वपूर्ण चीज़ों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिन्हें आपके ध्यान की बहुत आवश्यकता है।

4. अगर आप सपने में मृतकों की आत्मा देखते या उनसे बात करते हैं तो इसका मतलब है की आप गलत संगत में हैं। कभी कभी यह आपके सामान के खोने का संकेत भी हो सकता है। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति का सपना देखते हैं जो काफी समय पहले मर चुका है तो यह आपके जीवन की मौजूदा स्थिति या आपके संबंधों में उस व्यक्ति की गुणवत्ता दर्शाता है।

5. अगर आप सपने में शादी देखते हैं तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आपका शादी करने का मन बन रहा है। तो इसके बारे में बिलकुल भी न सोचते हुए इस शुभ काम को जल्द से जल्द पूरा करें।

6. अगर आपको सपने में पैसा दिखाई देता है तो इसका मतलब ये है की आपकी महत्ता बढ़ रही है। अगर आप पैसे का लेन देन देखते हैं तो यह आपके जीवन में आने वाले परवर्तनों की ओर संकेत करता है।

agar aap sapne me kahin fas gaye hain to

7. अगर आप सपने में कहीं फंस गए हैं तो इसका अर्थ है कि आप अपनी असल ज़िंदगी में किसी चीज़ से भाग रहे हैं। यह संकेत है उनसे निपटने का और जीवन में आगे बढ़ने का।

8. सपने में पानी दिखने का मतलब इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कैसा पानी दिखता है। अगर आपको धुंधला पानी दिखता है तो आपको किसी भी चीज़ की नयी शुरुआत थोड़े दिनों के लिए टाल देनी चाहिए। लेकिन अगर साफ़ पानी दिखता है तो यह बहुत ही शुभ संकेत है। यह आपके जीवन में आने वाली सफलता का संकेत है। और अगर आप स्वयं को पानी में देखते हैं तो यह बताता है कि आप अपने प्रति ईमानदार नहीं हैं। तो अपने सपने का सही मतलब जानने के लिए ध्यान रखें कि अपने कैसा पानी देखा है।

9. सपने में अगर देखा है सांप या सांप का काटना तो यह आपके डर और चिंताओं को दर्शाता है। यह सपना आपको आपके आने वाले जीवन में सावधान होने का संकेत देता है। अगर आप उलझा हुआ सांप देखते हैं तो इसका मतलब है की कुछ बुरा जो होने वाला था आपके जीवन में वो अपने आप ठीक हो गया है। यदि आपने धब्बेदार सांप देखा है तो यह आपके लालची स्वाभाव, खतरे में होने और मन की कामुकता का संकेत देता है। अगर आपने सपने में अपने बिस्तर पर सांप देखा है तो इसका मतलब है कि आप सम्भोग करना चाह रहे हैं। अगर आपको सांप से दर लग रहा है तो ये सेक्स से आपके डर को दर्शाता है। कभी कभी सांप देखना यह भी संकेत करता है कि आपके आस पास का व्यक्ति दोगुले स्वभाव का है। सकारात्मक रूप में सांप देखना ज्ञान और बुद्धिमता का प्रतीक है।

10. अगर आपने सपने में बारिश होते हुए देखी है तो यह क्षमा और कृपा का प्रतीक है। अगर आपने बारिश में खुद को भीगते हुए देखा है तो ये आपकी सारी समस्याओं के ख़त्म होने का संकेत है। अगर आप सपने में खुद को किसी खिड़की से बारिश को देखते हुए देख रहे हैं आपमें आध्यात्मिक विचारों के उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है। यह भाग्य और प्यार का भी प्रतीक हो सकता है।



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