Thursday, March 14, 2019

जानिए बॉडी बनाने वाले सप्लीमेंट कैसे बन जाते हैं किडनी के लिए जहर

क्या आपने कभी सोचा है कि किसी डॉक्टर या मेडिकल परामर्श के बिना बॉडी बनाने के लिए जो टॉनिक लेते हैं, वे आपको किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं? रोहित नाम के एक युवा के साथ हुई यह घटना आपकी आंखे खोल देगी कि कैसे हम लोग अपनी बॉडी बनाने के मकसद से बिना किसी चिकित्स्कीय मार्गदर्शन के लंबे समय तक लगातार सप्लीमेंट लेने के कारण अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

एक वयस्क व्यक्ति का सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 mm/hg और 140/90 mm/hg (mm Hg: मिलीमीटर ऑफ मर्क्युरी, ब्लड प्रेशर नापने की यूनिट है) के बीच माना जाता है। जब रोहित को अस्पताल ले जाया गया, तब उनका बीपी 220/140 mm/hg था। इसके अलावा परीक्षणों से पता चला कि उनका क्रिएटिनिन स्तर भी सामान्य से छह गुना अधिक था। डॉक्टर स्वयं एक स्वस्थ, युवा व्यक्ति की ऐसी स्थिति देख कर चकित रह गए। 

(और पढ़ें - क्रिएटिनिन स्तर का टेस्ट कैसा होता है)

पूछताछ पर, डॉक्टर को पता चला कि पश्चिमी दिल्ली के व्यवसायी, रोहित, बॉडी बनाने की चाहत रखते थे और अपने जिम ट्रेनर की सलाह पर चार साल से वर्कआउट से पहले लिए जाने वाले सप्लीमेंट ले रहे थे। इनमें मांसपेशियों की ताकत, ऊर्जा और क्षमता बढ़ाने के लिए कैफीन, एमीनो एसिड और क्रिएटिन जैसे तत्व शामिल थे।

(और पढ़ें - वर्कआउट से पहले क्या खाएं)

वे बताते हैं, "चार साल पहले, मेरे ट्रेनर ने सुझाव दिया कि मुझे अभ्यास से पहले प्री वर्कआउट फॉर्मूला अपनाना चाहिए। इसने मेरे ऊर्जा के स्तर में अचानक वृद्धि कर दी और मैं लंबे समय तक भारी वजन उठा सकता था।"

2003 से जिम जाने वाले 32 वर्षीय रोहित ने कहा कि जब तक किडनी प्रभावित नहीं हुई तब तक उन्होंने चार साल तक हर दिन सप्लीमेंट लिए। वे कहते हैं, "मुझे बाद में पता चला कि आम तौर पर इस तरह की खुराक कम अवधि के लिए या एक समय अंतराल पर ली जाती है।"

जिस हॉस्पिटल में रोहित को एडमिट किया गया वहां के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक और प्रमुख के मुताबिक, अगर उनके बीपी को समय रहते दवाओं से कम नहीं किया गया तो रोहित की ब्रेन हैमरेज के कारण मौत हो सकती है। वे बताते हैं, "जब रोहित को अस्पताल में लाया गया तब उनका क्रिएटिनिन का स्तर 6.7 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर की सामान्य सीमा के मुकाबले 0.84-1.21mg था। वे किडनी फेल होने से केवल एक कदम दूर थे, अगर ऐसा हो जाता तो उनको जीवन भर डायलिसिस की आवश्यकता होती।" 

(और पढ़ें - बीपी कम करने के लिए योग)

सौभाग्य से, रोहित के मामले में, सप्लीमेंट का सेवन तत्काल बंद करने, बीपी को नियंत्रित करने के लिए दवा लेने और सही आहार लेने के चलते वे खतरे से बाहर निकल गए। लेकिन अब उन्हें इस बात पर प्रतिबंध के साथ रहना होगा कि वह क्या खा सकता है और कितना व्यायाम कर सकते हैं। डॉक्टर कहते हैं, "किडनी की कार्य क्षमता को पूरी तरह से बहाल नहीं किया जा सकता है। इसलिए, इसे अधिक खराब होने से रोकने के लिए, रोहित को स्ट्रीट फूड से बचने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि ज्यादा कठिन एक्सरसाइज भी नहीं करना चाहिए, केवल नियमित सैर करें।" 

(और पढ़ें - सुबह सैर करने के फायदे)

डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल में सभी किडनी रोगियों में से 10% ऐसा युवा हैं जो सप्लीमेंट के अत्यधिक प्रयोग के शिकार हैं। वे बताते हैं, "हेल्थ सप्लीमेंट के लंबे समय तक उपयोग के कारण मेरे कम से कम तीन रोगियों की किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी हैं और अब वे डायलिसिस पर हैं।"

दिल्ली के प्रसिद्ध लिवर एंड बायलरी साइंस इंस्टिट्यूट में नेफ्रोलॉजी के प्रमुख ने बिना चिकित्सकीय देखरेख के अक्सर सप्लीमेंट का उपयोग करने वाले युवाओं की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "कभी भी किसी डॉक्टर या योग्य पेशेवर की सलाह के बिना प्री-वर्कआउट सप्लीमेंट या प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए। लेकिन जागरूकता की कमी के कारण, इस तरह की प्रथा चल रही है और जो आमतौर पर पूरी तरह स्वस्थ व्यक्तियों का भी स्वास्थ्य संकट में डाल रही है।"

एक बड़े फिटनेस सेंटर के प्रबंध निदेशक ने कहा, जिम जाने वाले लगभग 20% पुरुष ऐसे सप्लीमेंट लेते हैं। वे कहते हैं, "अधिक प्रोटीन वाली ड्रिंक्स लेना भी आम हैं। डॉक्टर की देखरेख में या चिकित्सा पेशेवर के मार्गदर्शन में इनका सेवन किया जाए तो अच्छा रहता है।" 

(और पढ़ें - प्रोटीन पाउडर कितनी मात्रा में लेना चाहिए)

नोट: यह लेख एक सच्ची घटना पर आधारित है, लेकिन रोगी की पहचान गुप्त रखने के उद्देश्य से उनका नाम और अन्य निजी जानकारियां बदली गयी है। यह लेख लिखने के पीछे हमारा मुख्य उदेश्य केवल हमारे पाठकों को जागरूक करना है। 



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Thursday, March 7, 2019

घुटने बदलने का ऑपरेशन या घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी - Knee Replacement Surgery (Knee Arthroplasty) in Hindi

घुटने की समस्या और उससे होने वाले दर्द के उपचार के लिए की जाने वाली शल्यचिकित्सा (सर्जरी) को घुटनों की अर्त्रोप्लास्टी (Knee Arthroplasty) या घुटनों को बदलने की सर्जरी (Knee Replacement Surgery) कहा जाता है। अर्त्रोप्लास्टी का अर्थ है "जोड़ों की शल्यचिकित्सा" इसलिए, Knee Replacement Surgery है घुटने के जोड़ों की शल्यचिकित्सा। Knee Replacement Surgery में खराब जोड़ों (जिन जोड़ों में परेशानी है) को एक कृत्रिम धातु के जोड़ों (Artificial Metallic Joint) के साथ बदल दिया जाता है। 



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Homeopathic medicine, treatment and remedies for Shortness of Breath

Shortness of breath, also called dyspnea, refers to a feeling of suffocation or an inability or difficulty in breathing. Most commonly, breathing difficulties are reported at high altitudes, but depending on the physical and physiological condition of an individual, it may also occur while climbing stairs, walking, running and, in severe cases, standing for a long time. It can happen suddenly or develop gradually over weeks to months. Shortness of breath primarily occurs due to problems related to the heart or lungs. These organs are responsible for supplying the body with oxygen and removing carbon dioxide from tissues and blood. Any imbalance in the levels of oxygen, carbon dioxide and haemoglobin directly impact the normal functioning of body. Common conditions that cause shortness of breath are asthma, chronic obstructive pulmonary disease, allergic reactions, low blood pressure, anaemia, enlarged heart, coronary heart disease, and choking.

Homeopathic texts describe several remedies for treating conditions that lead to shortness of breath. Medicines such as blatta orientalis, ipecacuanha, lobelia inflata and antimonium tartaricum, are carefully matched with symptoms and personality of the individual and then prescribed to achieve an overall improvement in health. 



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Wednesday, March 6, 2019

ईएमजी टेस्ट - Electromyography (EMG) in Hindi

क्या आपके डॉक्टर ने आपको कभी EMG नामक कोई जांच करवाने का आदेश दिया है? यदि ऐसा हुआ है तो आप जरूर जानते होंगे कि इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) यानी ईएमजी मांसपेशियों के स्वास्थ्य की स्थिति और उन्हें नियंत्रित करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं का मूल्यांकन करने की एक जांच ​​प्रक्रिया है। इन तंत्रिका कोशिकाओं को मोटर न्यूरॉन्स के रूप में जाना जाता है। ये तंत्रिका कोशिकाएं विद्युत संकेतों को संचारित करती हैं, जिनसे मांसपेशियों में संकुचन तथा सामान्य स्थिति बहाल होती है। ईएमजी टेस्ट इन संकेतों को ग्राफ या संख्याओं में बदलता है, जिससे डॉक्टरों को रोग का पता करने में मदद मिलती है।

(और पढ़ें - सीए 27.29 टेस्ट क्या है)

डॉक्टर आमतौर पर ईएमजी टेस्ट करवाने के लिए तब कहते हैं, जब किसी व्यक्ति में मांसपेशी या तंत्रिका विकार के लक्षण दिख रहे हो। मांसपेशी या तंत्रिका विकार के कारण अंगों में झुनझुनी, सुन्नता या कमजोरी जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। ईएमजी टेस्ट के परिणाम डॉक्टर को मांसपेशियों के विकारों, तंत्रिका विकारों तथा नसों और मांसपेशियों के बीच संबंध को प्रभावित करने वाले विकारों का निदान करने में मदद कर सकते हैं। कुछ डॉक्टर इलेक्ट्रोमायोग्राफी को इलेक्ट्रोडायग्नॉस्टिक एग्जाम भी कहते हैं।

इस लेख में ईएमजी टेस्ट क्या है, कब किया जाता है, ईएमजी टेस्ट के पहले, दौरान और बाद में क्या होता है और ईएमजी टेस्ट के परिणामों को कैसे समझे इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।

(और पढ़ें - नसों की कमजोरी का इलाज)



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सीए 27.29 टेस्ट - CA 27.29 Test in Hindi

परिचय

सीए 27.29 (कैंसर एंटीजन 27.2)  एक एंटीजन होता है। यह प्रोटीन का एक प्रकार है, जो कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होता है। सीए 27.29 को एक जीन के द्वारा बनाया जाता है सीए 27.29 एक ग्लाइकोप्रोटीन (ग्लाइको का मतलब शुगर होता है) है, जो खासतौर पर एपिथेलियल सेल्स (Epithelial cells) के ऊपर स्थित होता है। ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाएं सीए 27.29 प्रोटीन में और खून में मिल जाती है।

(और पढ़ें - सीए 125 टेस्ट क्या है)



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