Monday, January 28, 2019

कलाई में मोच - Sprained Wrist in Hindi

परिचय

कलाई के अंदर के लिगामेंट हाथ को सही स्थिति में बनाए रखते हैं। लिगामेंट कलाई व हाथ के हिलने ढुलने की गति को नियंत्रण में रखते हैं। पट्टी जैसे मजबूत तथा लचीले ऊतकों को लिगामेंट्स कहा जाता है, जो जोड़ के अंदर दो हड्डियों को जोड़कर रखते हैं। जब कलाई में मौजूद लिगामेंट्स में अधिक खिंचाव आ जाता है या फिर ये क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो कलाई में मोच आ जाती है।

शरीर का संतुलन बिगड़ना, फिसल कर गिरना और हाथ के बल गिरना कलाई में मोच आने के कुछ मुख्य कारण हैं। इस स्थिति में आपको प्रभावित हिस्से में दर्द, कमजोरी और छूने पर दर्द होना आदि समस्याएं होने लग जाती हैं। कलाई में मोच आने पर प्रभावित क्षेत्र में सूजन व लालिमा आ जाती है प्रभावित हिस्सा नीला भी पड़ सकता है। कभी-कभी कलाई में झुनझुनी या जलन महसूस हो सकती है और कलाई से चड़क जैसी आवाज भी आ सकती है।

कलाई में मोच का परीक्षण करने के लिए एक्स रे और एमआरआई आदि टेस्ट करने की आवश्यकता पड़ सकती है। कलाई में किसी प्रकार की चोट लगने से बचाव करना और फिसलन वाली जगह पर ना दौड़ना आदि से कलाई में मोच आने से रोकथाम की जा सकती है।

बर्फ से सिकाई और पर्याप्त आराम देकर कलाई में मोच का इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाना चाहिए। कलाई में चोट लगने के बाद कुछ दिन तक रोजाना लगातार 15 से 20 मिनट तक बर्फ की सिकाई करने की सलाह दी जाती है, जिससे दर्द कम हो जाता है। यदि कलाई में गंभीर रूप से मोच आ गई है, तो उसका इलाज करने के लिए ऑपरेशन करने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। यदि मोच हल्की ही है, तो वह कुछ दिनों में ठीक हो जाती है जबकि गंभीर मोच पूरी तरह से ठीक होने में हफ्ता और यहां तक कि एक महीने का समय भी लग सकता है।

(और पढ़ें - कलाई की हड्डी टूटने का इलाज​)



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