Saturday, June 30, 2018

खाना खाने का सही समय और तरीका

भोजन करना बेहद ही आसान काम लगता है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ छोटी-छोटी गलतियां आपके लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती हैं। जब बात खाना खाने की आती है तो आपको इसका सही समय और तरीका जरूर जानना चाहिए।

अधिक वर्कआउट के बाद खाना न खाने या देरी से नाश्ता करने, रात को सोने से पहले कब खाना खाएं और सुबह, दोपहर व शाम के खाने के बीच में कितना अंतराल हो, इन सभी प्रश्नों का उतर देना बेशक थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लेकिन फिर भी खाने के सही समय और तरीके से संबंधित विषय को इस लेख में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इस लेख में आपको किस समय कौन से खाद्य पदार्थ खाने चाहिए, यह भी बताया गया है।  

(और पढ़ें - संतुलित आहार के फायदे)



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Friday, June 29, 2018

मनोचिकित्सा क्या है, प्रकार, कैसे होती है, लाभ

मनोचिकित्सा आपकी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, भावनात्मक परिवर्तनों और कुछ मानसिक रोग के इलाज का एक तरीका है।

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि मनोचिकित्सा क्या होती हैं, मनोचिकित्सा के प्रकार क्या हैं और मनोचिकित्सा कैसे की जाती है। इस लेख में यह भी बताया गया है कि मनोचिकित्सा के क्या लाभ होते हैं।

(और पढ़े - टेंशन का इलाज)



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Thursday, June 28, 2018

वेट लॉस डाइट प्लान फॉर इंडियन वीमेन

वेट लॉस करने के लिए एक सही डाइट प्लान होना बेहद जरूरी है, तभी आपका वेट कम हो सकता है। डाइट चार्ट ऐसा होना चाहिए जिसका पालन आप आसानी से कर सकें। इसका एक हम हिस्सा है कि जो आहार बताये जाएँ, वह भारतीय हों। ऐसा ही एक इंडियन वेट लॉस डाइट चार्ट इस लेख में  बताया गया है। 

इंडियन वेट लॉस डाइट प्लान में अधिक मात्रा में सब्जियां, दाल और फल शामिल होते हैं। साथ ही मीट का सेवन बहुत कम होता है। डाइट चार्ट में स्वस्थ खाद्य पदार्थ शामिल करने से न सिर्फ आपका वेट लॉस होता है बल्कि वेट बढ़ने से होने वाली समस्याएं जैसे ह्रदय से संबंधित बीमारियों और शुगर में भी फयदा होता है।

(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)

तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे स्वस्थ इंडियन डाइट का पालन करना है, किस आहार को खाना है, कौन से खाद्य पदार्थ को शामिल नहीं करना है आदि।



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Wednesday, June 27, 2018

हाथ में दर्द

हाथ में दर्द क्या होता है?

हाथ के किसी भी हिस्से जैसे हड्डियों, मासपेशियों, टेंडन (Tendon: हड्डियों को मासपेशियों से जोड़ने वाले ऊतक), नसों और रक्त वाहिकाओं में किसी बीमारी या चोट लगने के कारण हाथ में दर्द हो सकता है। इसके कई और कारण भी हो सकते हैं जैसे कलाई को प्रभावित करने वाला कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal tunnel syndrome) और पूरे शरीर को प्रभावित करने वाला रहूमटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis)।

हाथ में दर्द का इलाज लक्षणों से आराम देने के लिए किया जाता है। आपको अपनी उंगलियों, हथेली और कलाई पर जलन, चुभन, दर्द, अकड़न और ठंडा या गर्म महसूस हो सकता है। साथ ही आपका हाथ सुन्न भी हो सकता है।

(और पढ़ें - कलाई में दर्द का इलाज)

ऐसा भी हो सकता है कि आप अपना हाथ हिला न पाएं और हाथ में सूजन भी हो। आपके हाथ का रंग लाल, नील या फीका पड़ सकता है। आपकी कलाई, हथेली और उंगलियों पर एक गांठ या उभार भी बन सकता है।

कारण के आधार पर, आपको दवाओं, व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव से आराम मिल सकता है।



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आंखों में खुजली

आंखों में खुजली क्या होती है?

आंखों में या उसके आसपास खुजली होना बहुत आम समस्या है जो परेशान कर देती है। ज़्यादातर लोग आंखों के डॉक्टर के पास इसी समस्या के कारण जाते हैं। आंखों में खुजली कई कारणों से हो सकती है, जैसे एलर्जी या इन्फेक्शन। कारण के आधार पर, ऑंखें मलने या रगड़ने से आपकी समस्या बढ़ सकती है, कीटाणु फ़ैल सकते हैं और आपकी आंखों की पुतली को गंभीर नुक्सान भी हो सकता है।

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण)

आंखों में खुजली उन लोगों को बार-बार हो सकती है जो अपनी ऑंखें अधिक छूते या मलते हैं। आँखों में खुजली की समस्या ज़्यादा प्रदूषण वाले क्षेत्रों और एलर्जी वाले मौसम में अधिक प्रभावित करती है। अपनी आंखों को मलने की इच्छा को नज़रअंदाज़ करें और आराम के लिए ठन्डे सेक का उपयोग करें। अगर आपको अभी भी परेशानी हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से आंखों में डालने वाली दवाएं भी ले सकते हैं।

आंखों में खुजली की समस्या को जल्द ठीक करना ज़रूरी होता है, नहीं तो समस्या बढ़ सकती है और आपकी आंख को नुक्सान हो सकता है।



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रात में जल्दी सोने के उपाय और फायदे

कुछ लोगों को लेटते ही नींद आ जाती है। लेकिन कुछ लोगों को रोज रात को जल्दी सोने में परेशानी होती है। हालांकि "नेशनल स्लीप फॉउंडेशन" का कहना है कि रोजाना रात को सात से नौ घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है, लेकिन ज़्यादातर लोग इससे बहुत कम सोते हैं।

(और पढ़ें - कितनी देर सोना चाहिए)

पर अच्छी बात तो यह है कि ऐसे कई उपाय हैं जिनकी मदद से आप अपने शरीर और मस्तिष्क को जल्दी सोने के लिए तैयार कर सकते हैं। इस तरह आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप सुबह भी जल्दी उठ पाएंगे।

(और पढ़ें - अच्छी नींद के उपाय)

तो आइये आपको बताते हैं रात को जल्दी सोने के उपाय और फायदे –



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Monday, June 25, 2018

बौनापन

बौनापन क्या है?

बौनापन इंसानों में आनुवांशिक या चिकित्सा स्थिति के कारण लम्बाई कम होने को कहा जाता है। बौनापन आमतौर पर 4 फीट 10 इंच या उससे कम की वयस्क ऊंचाई को कहा जाता है। बौनेपन वाले वयस्क लोगों की औसत लम्बाई 4 फीट होती है।

अधिकतर जिन माता-पिता की औसत लम्बाई होती है, उनके बच्चों में बौनापन देखने को मिलता है।

बौनेपन से होने वाली समस्याओं से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनमें से अधिकतर समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। जीवनभर नियमित जांच करना महत्वपूर्ण है। उचित चिकित्सा देखभाल से अधिकांश बौने लोग आम लोगों जैसे सक्रिय और उनके बराबर लम्बी ज़िन्दगी ही जीते हैं। 



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बच्चों को सिखाएं अच्छी सेहत के लिए अच्छी आदतें

हम बचपन से बड़े होने तक रोज़ कुछ न कुछ नया सीखते रहते हैं लेकिन बचपन में सिखाई गईं अच्छी आदतें हमे ताउम्र याद रहती हैं। इन आदतों से ही हमारा हर क्षेत्र में विकास होना शुरू हो जाता है। लेकिन चार साल का बच्चा इतना समझदार नहीं होता कि वो खुद से इन सब अच्छी आदतों को सीख सकें। ऐसे में माता-पिता की ज़िम्मेदारी होती है कि वे अपने बच्चों में अच्छी आदतों को डालें।

तो आज हम आपको एफएसएसएआई (FSSAI - Food Safety and Standards Authority of India) द्वारा प्रकाशित येलो बुक (yellow book) में बच्चों के लिए बताई गयी अच्छी आदतों को बताने वाले हैं। इनकी मदद से आप अपने बच्चो को निम्नलिखित आदतें सिखा सकते हैं।

ये जानकारी 4 से 7 साल के बच्चों के लिए उपयुक्त है, और आप तक एफएसएसएआई के सौजन्य से पहुंचाई जा रही है -



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डाउन सिंड्रोम के लक्षण, कारण, और इलाज

भारत में 1000 बच्चो में से 1 बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होता है। इस विकार से चार लाख से अधिक भारतीय पीड़ित हैं और फिर भी चारों ओर इसकी जागरूकता बहुत कम है। सामान्य बच्चों की तुलना में, डाउंस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चो का मानसिक और शारीरिक विकास धीमा रहता है। डाउन सिंड्रोम एक अलग आकर के चेहरे, बौद्धिक विकलांगता (intellectual disability) और विकास में देरी (developmental delays) का कारण बनता है।

सबसे पहले इसके सामान्य लक्षणों को वर्गीकृत ब्रिटिश डॉक्टर जॉन लैंग्डन डाउनस ने किया था इसलिए इनके नाम पर इस विकार का नाम रखा गया। 21 मार्च को वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं डाउन सिंड्रोम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में  -



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बच्चों में भूख ना लगने के कारण, लक्षण और उनका आयुर्वेदिक समाधान

"मेरे बच्चा अच्छी तरह से खाना नहीं ख़ाता है" यह काफी आम शिकायत है जो आपको हर जगह सुनने को मिल जाएगी। एनोरेक्सिया (Anorexia) एक आम ईटिंग डिसऑर्डर है जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति को भूख नहीं लगती है। एनोरेक्सिया में रोगी ज्यादा खाना नहीं खा पाता है और उसे बिना कुछ खाएं-पिएं ही खट्टी डकारें आने लगती है। यह समस्या दिखने में जितनी आसान लगती है, इसका सही समाधान खोजना उतना ही मुश्किल है। कई मामलों में, यह समस्या शारीरिक और मानसिक जटिलताओं के साथ जीवन के लिए खतरा बन सकती है।



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बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं

बच्चे अक्सर बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी जैसे जीवाणुओं के संपर्क में आते हैं। लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि वो बीमार हो जाएंगे। मज़बूत इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बच्चों को प्राकृतिक रूप से रोगों से बचाव करने में मदद करती है। अगर आपका बच्चा अक्सर सर्दी जुकामफ्लू, कान के संक्रमण, पेट में गड़बडी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होता है, तो इसका मतलब है कि आपके बच्चे की इम्युनिटी मज़बूत नहीं है।

सामान्य स्वास्थ्य समस्या से आसानी से निपटने के लिए आप अपने बच्चे के जीवनशैली और आहार में परिवर्तन लाकर, उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बना सकते हैं।

तो पढ़िए बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय विस्तार से -



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बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

हर माता पिता अपने बच्चों की देखभाल बड़े ध्यान से करते हैं। क्योंकि बच्चों का शरीर उस समय भी मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण कर रहा होता है, इसलिए वे अक्सर बीमार रहते हैं और हमेशा डॉक्टर के पास जाना आपकी रूटीन बन जाती है। 

यदि आपका बच्चा गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो आपकी चिंता बहुत अधिक बढ़ जाती है जिसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है। लेकिन छोटी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे घुटने का छीलना, सर्दी खांसी या हल्के बुखार आपकी चिंता का कारण नहीं होते हैं और आपको इन समस्याओं के लिए डॉक्टर के पास जाने की भी जरूरत नहीं होती है। लेकिन कभी-कभी यह फैसला करना मुश्किल हो जाता है कि किस लक्षण में चिकित्सक के पास जाना जरुरी है। यही कारण है कि आपको अपने बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी लक्षणों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। इससे पहले कि उनके लक्षण अधिक गंभीर हो जाए आप उन्हें डॉक्टर के पास लेजाएं। (और पढ़ें – आधी रात में अगर अपने बच्चे के जागने से हैं आप परेशान तो अपनाएँ ये आयुर्वेदिक समाधान)

तो चलिए जानते है बच्चों के स्वास्थ्य सम्बन्धी लक्षणों के बारे में जिन्हे देख कर कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए -



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आधी रात में अगर अपने बच्चे के जागने से हैं आप परेशान तो अपनाएँ ये आयुर्वेदिक समाधान

ह्यूस्टन विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध के मुताबिक जो बच्चे पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं या जिनकी नींद बाधित होती रहती है, उनको बाद में डिप्रेशन और चिंता जैसे विकार होने की संभावना होती है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि आयुर्वेद इस तथ्य को सदियों पहले ही बता चुका है। बड़े जीवन शैली में बदलाव और कुछ टिप्स का पालन करके बेहतर नींद प्राप्त सकते हैं। लेकिन बच्चों के लिए सोने की आदतों और जीवन शैली को बदलना बहुत मुश्किल होता है। तो आइए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार बच्चो की नींद को सुधारने के लिए क्या किया जाना चाहिए -



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बच्चों के लिए दांतों में कैविटी से बचने के उपाय

बच्चों के दाँतों में बहुत जल्दी कैविटीज़ होने की संभावना होती है क्योंकि उन्हें मिठाई और चॉकलेट बहुत पसंद होते हैं। खराब मौखिक स्वच्छता कैविटी की समस्या और बढ़ा देती है।

तो चलिए जानते हैं कैसे बच्चों को मौखिक स्वच्छता के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं और उनको कैविटीज़ की समस्या से छुटकरा दिला सकते हैं -



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दूध में अगर ये मिलाएँगे तो आपके बच्चे दूध पीने से कभी मना नहीं करेंगे

कई बच्चों को दूध पीना पसंद नहीं होता है। बच्चे दूध का रंग देखकर दूध पीने से मना कर देते हैं या दूध में स्मेल आ रही है, कहकर बहाने बनाते हैं। ऐसे में बच्चे दूध में मौजूद पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं। इसलिए हर माँ अपने बच्चे के लिए बाजार में मौजूद कई प्रकार के मिश्रित स्वाद वाले उत्पादों का सहारा लेती है।

किंतु इन उत्पादो को हम जितना अच्छा और पोषक मानते हैं, ये बच्चो के स्वास्थ्य के लिए उतने भी अच्छे नहीं होते हैं। इसलिए बच्चों के ज़रूरी पोषण और स्वास्थ्य के लिए आप घर पर मिलने वाले प्राकृतिक उत्पादों को बच्चों के दूध में स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।



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अपने बच्चे की तेल मालिश करते समय ज़रूर रखें इन दस बातों का ध्यान

बच्चों की तेल मालिश करना बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, यह सभी उम्र के स्वस्थ बच्चों के लिए ज़रूरी है। मालिश के लिए तेल का चयन काफी हद तक बच्चे की त्वचा टोन, सेहत और सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

कुछ ऐसी ग़लतियाँ हैं जिन्हें आपको बच्चे की मालिश करते समय नहीं करनी चाहिए -

बच्चे की तेल मालिश करते समय ज़रूर रखें इन दस बातों का ध्यान

1. मालिश करते समय बहुत ज़्यादा दबाव ना दें। हल्के दबाव से मालिश करें।

2. हर्बल तेल की कई सामग्रियाँ गर्म होंगी जिनके बच्चों की आँखों के संपर्क में आने से बच्चे की आँखों में जलन पैदा हो सकती है। इसलिए ध्यान दें कि तेल बच्चे की आँख में ना जाए। (और पढ़ें – जानिए अरण्डी तेल के फायदे और नुकसान बच्चों के लिए)

3. यदि तेल बच्चे के मुंह में ग़लती से चला जाए, तो गले में जलन और उल्टी हो सकती है।

how to do oil massage for babies in hindi

4. क्योंकि तेल बहुत चिकना होता है, आपका बच्चा आपके हाथ से फिसल सकता है। इसलिए उसे एक चटाई या एक नर्म तौलिये पर मालिश के लिए बैठाएं। (और पढ़ें – डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे)

5. अगर बच्चे को ठंड और बुखार है, तो मालिश ना करें।

how to give oil massage to baby in hindi

6. मालिश के बाद, केवल गुनगुना पानी स्नान के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वरना तेल त्वचा पर रह सकता है।

7. आदर्श रूप में, तेल की मालिश और स्नान के बीच 10 - 15 मिनट का अंतराल होना बच्चों के लिए काफी अच्छा है। अधिक समय के लिए शरीर पर तेल ना छोड़ें।

8. बच्चे को फीड कराने के एकदम पहले या बाद में मालिश करने से बच्चे को अपच या उल्टी हो सकती है। आदर्श रूप में भोजन और मालिश के बीच 30-45 मिनट तक का न्यूनतम अंतर होना चाहिए। (और पढ़ें – बच्चे के दाँत निकलते समय बच्चे के दर्द और बेचैनी का घरेलू इलाज)

9. मालिश के लिए एक बहुत ठंडे तेल का प्रयोग ना करें। अगर आप एक ठंडे क्षेत्र में रहते हैं या सर्दियों का मौसम है, तो मालिश के लिए उपयोग करने से पहले 40 डिग्री सेल्सियस तक तेल को गर्म कर सकते हैं।

शिशु की तेल मालिश कैसे करें

10. मालिश करते समय टीवी, फेसबुक / ट्विटर देखने की बजाय अपने प्यारे बच्चे को देखें। अपने बच्चे की तेल मालिश एक अच्छा तरीका है बच्चे की मजबूत हड्डियों के लिए, बच्चे के शरीर की ताकत और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने का, अगर सही तरीके से की जाए।



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क्या बच्चों की सर्दी खांसी का इलाज है शहद?

शहद एक साल की उम्र और उससे बड़ी उम्र के बच्चों के लिए एक सुरक्षित उपाय है, जो आम सर्दी या खांसी से पीड़ित हैं। इसमें उच्च जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुण हैं जो आसानी से खाँसी, गले की खराश में मदद करते हैं और संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को मारते हैं। 

(और पढ़ें - खांसी के लक्षण)

कच्चे शहद के दो छोटे चम्मच को नींबू के रस के एक छोटे चम्मच के साथ मिला लें। अपने बच्चे के इन लक्षणों से राहत के लिए हर कुछ घंटों बाद उसे यह दें।

शहद के साथ गर्म दूध का एक गिलास भी सूखी खाँसी से छुटकारा दिलाने और सीने में दर्द को कम करने के लिए दिया जा सकता है।

(और पढ़ें – असली शहद की पहचान कैसे करें)

क्या एक साल से छोटे बच्चों को शहद दे सकते हैं? - 

क्या एक साल से छोटे बच्चों को शहद दे सकते हैं - is honey good for babies under 1 year

यह ध्यान रखें कि कभी एक वर्ष से छोटे बच्चों को शहद ना दें क्योंकि इसमें शामिल बैक्टीरिया शिशु बोटुलिज़्म पैदा कर सकता है। ऐसे में बच्चे के अंदर एक ऐसा बैक्टेरिया चला जाता है जो विषाक्त पदार्थ उत्पन्न कर देता है। इससे बच्चे की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो सकती है।



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बच्चे के दाँत निकलते समय बच्चे के दर्द और बेचैनी का घरेलू इलाज

बच्चों के दांत निकलना आम बात है। ये दांत अक्सर 'दूध के दांत' के रूप में जाने जाते हैं। आम तौर पर, बच्चों के दांत निकलने की शुरूआत छह से आठ महीनों के बीच हो जाती है और दो साल तक लगभग सारे दांत निकल जाते हैं।

जब बच्चों के दांत निकलते हैं तब उन्हें बेहद परेशानी होती है और दांत निकलना बेचैनी और दर्द का कारण बन जाता है। अत्यधिक लार, मामूली बुखार, घबराहट, मुश्किल से सोना, अत्यधिक रोना और हल्के दस्त आदि दाँत निकलने के कुछ संकेत और लक्षण हैं। जिस कारण बच्चा कमज़ोर और चिड़चिड़ा हो जाता है।

शुरुआत में बच्चों को संभालना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आप अपने बच्चे की परेशानी को कम करने में मदद कर सकते हैं। हम आपको ऐसे कुछ घरेलू तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे आपके बच्चे के दाँत बिना किसी परेशानी के निकल सकते हैं।



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डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे

माँ को अपने बच्चों को सूजन की वजह से रोते देखना बहुत दुखी करता है, जो कि डाइपर के रैशेज के कारण होती है। अगर लंबे समय के लिए बच्चो को गंदे डाइपर में छोड़ दिया जाए या बच्चे को डाइपर कस कर बाँध दिया जाए, जिससे हवा का आना जाना रुक जाए तो भी यह डाइपर रैशेज का कारण बन जाता है।

यह आपके बच्चे को अस्वस्थ बना देता है। आइए जानते हैं इसको प्राकृतिक तरीके से हटाने के लिए बेहतरीन होम रेमेडीेज़ फॉर डाइपर रैश।

बच्चो की त्वचा पर फफोले होना और बच्चे के जननांग क्षेत्र पर दिखने वाला लाल निशान डाइपर के चक्त्तो के कुछ लक्षण हैं। आप घरेलू उपायो की मदद से इनका उपचार कर अपने नन्हें मुन्नों की मुस्कान वापस पा सकते हैं।



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रेडिएशन थैरेपी

रेडिएशन थेरेपी का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर के इलाज में किया जाता है। इसका उपयोग कभी-कभी थायराइड की बीमारी, ब्लड डिसऑर्डर, आदि के इलाज में भी किया जाता है। इस थेरेपी का ट्यूमर पर सटीक और सीधा असर होता है, इससे बीमारी को जड़ से समाप्त करने में मदद मिलती है।

(और पढ़ें - कीमो क्या है

इस लेख में विस्तार से बताया गया है की रेडिएशन थेरेपी क्या होती है, यह कैसे की जाती है, और इसके क्या फायदे और नुकसान होते हैं। आप इसमें यह भी जानेंगे की यदि आप रेडिएशन थेरेपी से गुजर रहे हैं तो खाने में किन चीजों का ध्यान रखें।



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क्रैश डाइट

वजन कम करने के लिए आप नये-नये डाइट प्लैन अपनाते होंगे, पर तब भी वजन वहीं का वहीं रहता है। लेकिन हम आपको इस लेख में एक बेहतरीन डाइट के बारें में बता रहे हैं। इस डाइट को क्रैश डाइट कहते हैं। यह डाइट बहुत ही आसान है और इसकी मदद से आप अपना वजन कम कर सकते हैं।

(और पढ़ें - वजन कम करने के उपाय)

तो चलिए आपको इस लेख में हम बताते हैं क्रैश डाइट क्या है, इसे कैसे करें, फायदे और नुकसान।



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Friday, June 22, 2018

एक्यूपंक्चर

एक्यूपंक्चर थेरेपी मूल रूप से चीन की उपचार की एक प्राचीन विधि है। इसमें शरीर के किसी निश्चित बिंदु में पतली-पतली सुइयां चुभाई जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है की इससे दर्द में राहत मिलती है और इसका उपयोग अन्य प्रकार की परेशानियों में भी किया जाता हैं।

(और पढ़े - नसों में दर्द का इलाज)

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि एक्यूपंक्चर क्या है, इसके फायदे, नुकसान और करने का तरीका क्या है। साथ ही आप यह भी जानेंगे की एक्यूपंक्चर की बिंदु कौन-कौन सी होती हैं। 



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संगीता ने जीवनशैली में किये ये बदलाव और घटाए 33 किलो, जानें कैसे

जिसको कोई गंभीर बीमारी हो, उसके लिए डॉक्टर ही परम देवता होते हैं। संगीता के लिए भी कुछ ऐसा ही था। जब उनके डॉक्टर ने उन्हें कहां कि उन्हें अपनी बिमारियों से पीछा छुड़ाने के लिए अपने मोटापे को कम करना पड़ेगा, तब उन्होंने अपना वजन कम करने का फैसला लिया। उन्होंने अपना वजन 33 किलो कम कर लिया। इतना ही नहीं, वो इसके बाद एक प्रमाणित पोषण विशेषज्ञ (न्यूट्रिशनिस्ट) भी बन गयीं।

(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)

आइये आपको बताते हैं उनकी प्रेरणा देने वाली फैट से फिट होने की कहानी –

आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?

मैं थायराइड, पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम), इन्सुलिन की कमी, टाइप 2 डायबिटीज, साइनस, हाई कोलेस्ट्रॉल और गंभीर डिप्रेशन से पीड़ित थी। मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी और इलाज के लिए डॉक्टर व न्यूट्रिशनिस्ट (पोषण विशेषज्ञ) से मिलने लगी। एक दिन मैंने अपने डॉक्टर से इन समस्याओं के बारे में जानना चाहा और सही इलाज के बारे में पूछा। उन्होंने उम्मीद देने की जगह मुझे कहा कि आपको अब मोटापे के साथ ही जीना पड़ेगा। तब मैंने फैसला लिया कि अब मुझे अपना वजन कम करना ही होगा।

(और पढ़ें - स्टेमिना बढ़ाने के उपाय)

आप क्या खाती थीं?

  • मेरा नाश्ता - रोटी के साथ बिना जर्दी वाला अंडा, इडली सांबर, पोहा, चीज़ टोस्ट, पीनट बटर लगा हुआ टोस्ट।
  • दोपहर का खाना - सलाद के साथ रोटी, सब्जी और दाल या ब्राउन राइस के साथ फिश करी या चिकन करी।
  • रात का खाना - सलाद के साथ रोटी, दाल और सब्जी या ब्राउन राइस, दाल के साथ सब्जियां या बेसन चीला या क्विनोआ पुलाओ के साथ दही। इसके अलावा मैं हर दो घंटे में छाछ या नारियल पानी या मुट्ठीभर ड्राई फ्रूट्स, भुना चना या फल खाती थी।
  • कम कैलोरी वाला आहार - बिना अंडे वाली भुर्जी, चिकन, बेक्ड फिश और ओट्स का चीला खाती थी।

(और पढ़ें - vajan kam karne ke liye kya khaye)

आप क्या वर्कआउट करती थीं?

मैं एक घंटे पैदल चला करती थी। दस किलो कम करने के बाद, मैंने हफ्ते में छः दिन एक घंटे एक्सरसाइज (इसमें कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हुआ करती थी) करना शुरू किया। अगर किसी भी वजह से मैं जिम नहीं जा पाती थी, तो मैं ज्यादा से ज्यादा चला करती थी।

(और पढ़ें - vajan kam karne ki exercise​)

आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?

खुद को प्रेरित रखने के लिए मैं अक्सर शॉपिंग किया करती थी। मैं जब भी शॉपिंग करती थी तो मैं अपने लिए सामान्य से एक साइज छोटे कपड़े खरीदती थी। ऐसा करना मुझे और वजन कम करने के लिए प्रेरित करता था।

(और पढ़ें - pet kam karne ke upay)

आपने ये कैसे सुनिश्चित किया कि आप कभी अपने लक्ष्य से भटकेंगी नहीं?

मैं फिर से उस अस्वस्थ जीवन में वापस नहीं जाना चाहती। मैं खुद को याद दिलाती रहती थी की मैं कितनी अस्वस्थ थी।

(और पढ़ें - hips kam karne ke nuskhe

अधिक वजन की वजह से आपके लिए कौन सा हिस्सा सबसे मुश्किल भरा था?

स्वास्थ्य समस्याओं के साथ रहने से न केवल आपको शारीरिक तौर पर तनाव होता है, बल्कि आप मानसिक तौर पर भी तनाव से घिरे रहते हैं।

(और पढ़ें - motapa kam karne ke liye diet chart)

आप खुद को कुछ सालों में किस आकार में देखना चाहती हैं?

मैं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पोषण विशेषज्ञ बनना चाहती हूँ और एक स्वस्थ शरीर पाने के लिए लोगों की मदद करना चाहती हूँ।

(और पढ़ें - pet kam karne ke liye diet chart)

जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए आपने क्या-क्या किया?

उठने के एक घंटे के भीतर मैं अपना नाश्ता कर लेती थी। साथ ही, मैं हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाती रहती थी। मेरे सभी आहारों के विकल्प स्वस्थ होते थे। मेरी डाइट में सलाद, फल और ड्राई फ्रूट्स होते थे। मेरे लिए हफ्ते में छः दिन एक घंटे व्यायम करना बेहद जरूरी था। मैं ज्यादा से ज्यादा पानी पिया करती थी।

(और पढ़ें - बॉडी बनाने के तरीके)

आपके लिए सबसे निराशाजनक बात क्या थी?

मेरे लिए सबसे निराशाजनक समय था जब मैं अधिक मोटापे की वजह से कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थी और इसके इलाज के बारे में मुझे कुछ नहीं पता था। स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से मैंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी। मुझे मिसकैरिज और बहुत ज्यादा अवसाद (डिप्रेशन) था. इस सब की वजह से मेरे रिश्तों पर भी बुरा असर पड़ रहा था।

(और पढ़ें - बीएमआई कैलकुलेटर)

वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?

वेट लॉस का मतलब यह नहीं है कि आप सिर्फ आपके वजन का माप कम हो रहा है, बल्कि वजन कम करने का मतलब है बेहतर स्वस्थ होना। इसके लिए स्वस्थ खाने की आदत डालना जरूरी है। अगर आप ऐसा कर सकेंगे तो आप बीमारियों से भी मुक्त रहेंगे। वजन कम करने के लिए आपको आत्म-विश्वास की जरूरत और मेहनत की जरूरत होती है। और इस बात को समझ लें कि रातोंरात वजन कम नहीं हो सकता। 

(और पढ़ें - motapa kam karne ke liye yoga)

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आशा करते हैं कि आपको संगीता के बारे पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी और अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करेंगे। अगर आपके पास भी कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, अपनी या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य की, तो हमसे ज़रूर शेयर करें यहाँ लिख कर - doctor@myupchar.com



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उपवास (व्रत)

हम सभी ने कभी न कभी जीवन में उपवास या व्रत रखा ही होगा। कई लोग नियमित रूप से व्रत रखते हैं। व्रत रखना सिर्फ धार्मिक बात नहीं होती है, इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। इस लेख में इन लाभ का खुलासा किया जा रहा है।

 लोग कई कारणों से उपवास रखते हैं, जैसे पाचन तंत्र को साफ करने के लिए या वज़न घटाने के लिए। कुछ मामलों में, लोग आध्यात्मिक या धार्मिक कारणों से भी उपवास रखते हैं। उपवास रखने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं और पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता हैं। 

तो चलिए इस लेख में हम आपको उपवास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं जैसे उपवास क्या होता है, क्यों रखते हैं, प्रकार, क्या खाएं, फायदे और नुकसान -



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Thursday, June 21, 2018

घबराहट

घबराहट क्या है ?

घबराहट का अर्थ है किसी बात के होने या होने की सम्भावना को लेकर डरा हुआ और परेशान महसूस करना। एक घबराया हुआ व्यक्ति तनाव में रहता है और आसानी से चिंतित हो जाता है।

(और पढ़ें - चिंता का इलाज)

कुछ लोगों को घबराहट इतनी हो जाती है कि वह ठीक तरह से सोचने, समझने और काम करने की हालत में नहीं रहते, जबकि उस परिस्थिति में समझदारी और सूझ-बूझ से काम लेने की आवश्यकता होती है।

हम सभी लोगों को कभी न कभी घबराहट होती है लेकिन कुछ लोग हमेशा ही घबराए हुए रहते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति आराम नहीं कर पाता है और उसका दिल समान्य से तेज़ गति से धड़कता है। इससे आपके काम, रिश्तों और नींद पर प्रभाव पड़ता है।

(और पढ़ें - नींद की कमी)

घबराहट बिना किसी वजह के भी हो सकती है या किसी स्पष्ट कारण से भी हो सकती है। घबराहट के साथ कई अन्य शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं। अधिकतर यह लक्षण ह्रदय, फेफड़ों, तंत्रिका तंत्र (Nervouss system) और पेट व आंतों से सम्बंधित होते हैं।
घबराहट में व्यक्ति को पेट खराब, दस्त, साँस लेने में दिक्कत, बेहोश होना या दिल का दौरा पड़ने की भावना होना जैसे लक्षण हो सकते हैं।

घबराहट के इलाज लिए श्वास अभ्यास (Breathing exercise) और ध्यान लगाने का प्रयोग किया जाता है।



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Wednesday, June 20, 2018

भगन्दर (फिस्टुला)

भगन्दर (फिस्टुला) क्या होता है?

फिस्टुला, अंगों या नसों के बीच एक असामान्य जोड़ होता है। यह ऐसे दो अंगों या नसों को जोड़ देता है जो प्राकृतिक रूप से जुड़े नहीं होते हैं, जैसे आंत व त्वचा के बीच में, योनि व मलाशय के बीच में।

(और पढ़ें - योनि के बारे में जानकारी)

फिस्टुला के कुछ प्रकार होते हैं लेकिन इसका सबसे आम प्रकार है भगन्दर (एनल फिस्टुला)।

भगन्दर एक छोटी नली समान होता है जो आंत के अंत के भाग को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। यह आमतौर पर, तब होता है जब कोई संक्रमण सही तरीके से ठीक नहीं हो पाता।

ज़्यादातर भगन्दर आपकी गुदा नली में पस के इकठ्ठा होने से होते हैं। यह पस त्वचा से खुद भी बाहर निकल सकती है या इसके लिए ऑपरेशन की आवश्यकता भी हो सकती है। भगन्दर तब होता है जब पस का त्वचा से बाहर आने के लिए बनाया गया रास्ता खुला रह जाता है या वह ठीक नहीं हो पाता।

(और पढ़ें - फिशर का इलाज)

इसके लक्षण होते हैं दर्द, सूजन, सामान्य रूप से मल आने में बदलाव और गुदा से रिसाव होना।

इसकी जाँच के लिए डॉक्टर आपका एक शारीरिक परीक्षण करते हैं जिसमें आपके गुदा और आसपास की जगह में भगन्दर की जाँच की जाती है।

भगन्दर के इलाज के लिए सर्जरी की जा सकती है जिसमें संक्रमित जगह से पस को निकाला जाता है।



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टेंशन

टेंशन क्या होती है?

मानसिक टेंशन, तनाव जैसी स्थिति होती है हलांकि, टेंशन से ग्रस्त लोगों को अत्यधिक चिंता और अनिश्चिता महसूस होती है। टेंशन एक व्यक्तिगत समस्या हो सकती है, जैसे - काम की टेंशन। आमतौर पर टेंशन तब होती है जब व्यक्ति अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए परिश्रम करता है। यह ज़रूरतें पैसों, काम, रिश्तों और अन्य स्थितियों से सम्बंधित हो सकती हैं।

मानसिक टेंशन को दिमाग की समस्या माना जाता है और ऐसा समझा जाता है कि यह शरीर से सम्बंधित नहीं होती, लेकिन मानसिक टेंशन से शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। स्ट्रेस से ग्रस्त लोगों को पेट दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन और जोड़ों में दर्द जैसी शारीरिक समस्याएं होती हैं।

(और पढ़ें - जोड़ों में दर्द के घरेलू उपाय)

इसके इलाज के लिए योग, व्यायाम और ध्यान लगाना जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। कुछ मामलों में दवाओं और व्यवहार थेरेपी का उपयोग भी किया जा सकता है।

लम्बे समय तक टेंशन रहने से प्रतिरक्षा सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे अन्य स्वास्थ समस्याएं होती हैं।

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ायें)



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विटामिन डी 3

विटामिन डी 3 को सामान्यतः कॉलेकैल्सिफेरॉल (Cholecalciferol) के नाम से जाना जाता है। विटामिन डी 3 सप्लीमेंट के रूप में लेने से सेहत ठीक होती है और इसका उपयोग ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis: हड्डियों की कमजोरी) के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसके साथ ही पैरा थायराइड ग्रंथि की कम सक्रियता, रक्त में फॉस्फेट का स्तर कम होना और अनुवांशिक कारणों की वजह से पैरा थायराइड हार्मोन के कार्य न करने पर भी विटामिन डी 3 का उपयोग किया जाता है। 

(और पढ़ें - ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज)

विटामिन डी 3 किडनी के माध्यम से फॉस्फेट को साफ कर, उसे दोबारा रक्त में भेजने का कार्य करता है। इससे रक्त में पीएच का स्तर (pH level: शरीर में एसिड का स्तर) सामान्य बना रहता है। विटामिन डी 3 की कमी होने से आपको कई तरह के रोग हो सकते हैं।

इसकी आवश्यकता के चलते ही आपको आगे विटामिन डी 3 के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इसके साथ ही आप इस लेख में विटामिन डी 3 क्या है, विटामिन डी 3 के फायदे, विटामिन डी 3 की खुराक, विटामिन डी 3 के साइड इफेक्ट और विटामिन डी 3 के स्त्रोत के बारे में भी जानेंगे।

(और पढ़ें - विटामिन के फायदे)



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नॉर्मल डिलीवरी के लिए योग

क्या आप मां बनने वाली हैं और डिलीवरी को लेकर चिंतित रहती हैं? क्या आपको पता है योग अभ्यास आपको नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार करता है? अगर आप इस बात को नहीं जानतीं लेकिन  जानना चाहती हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आयी हैं। गर्भावस्था के दौरान योग एकदम सुरक्षित वर्कआउट है।

गर्भावस्था का चरण हर महिला के जीवन में अनोखा और यादगार अनुभव लेकर आता है। योग अभ्यास प्रेग्नेंसी को स्वस्थ रखने और सुरक्षित डिलीवरी के लिए तैयार करने में मदद करता है। गर्भावस्था में योग करने के लक्ष्य हैं:

  • प्रेग्नेंसी की सभी जटिलताओं को कम किया जा सके
  • बनने वाली माँ को नॉर्मल डिलीवरी करने में मदद मिल सके

गर्भावस्था में योग की अवस्था प्रेग्नेंसी के प्रत्येक चरण के लिए अलग होती है। रोजाना योग अभ्यास करने से कमर और पेट की मांसपेशियां टोन होती हैं। साथ ही आपका शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है। लेकिन हम आपको यही सलाह देंगे कि गर्भावस्था में योग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात जरूर करें। योग किसी प्रशिक्षित गुरु की देखरेख में करें। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था में योग)

तो आइये आपको बताते हैं नॉर्मल डिलीवरी के लिए योग –



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ट्रेकिंग ट्रिप में आई मुश्किलों के कारण ध्रुति ने घटाए 14 किलो

77 किलो वजन होने की वजह से, ध्रुति छंगाणी का आत्म-सम्मान डगमगा चुका था। मोटापे के कारण उनका दोस्तों के साथ ट्रेकिंग ट्रिप भी बेकार हो गया था। ट्रेकिंग करते समय उनका स्टेमिना एकदम खत्म हो चुका था और उन्हें सांस लेने में दिक्कत भी महसूस हो रही थी। औरों की तरह, उन्होंने सोचा खाना छोड़ने और बहुत वर्कआउट करने से वजन कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन जैसा उन्होंने सोचा था वैसा नहीं हुआ। बल्कि इसकी वजह से उनका स्वास्थ्य और भी बिगड़ गया था। फिर ध्रुति ने नए तरीके से वजन करने का फैसला लिया - पर्याप्त पोषण और संयम।

(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)

आइये आपको आगे बताते हैं ध्रुति ने कैसे अपना वजन 14 किलो कम किया –

आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?

मैंने वजन कम करने का फैसला तब लिया जब मैं अपने दोस्तों के साथ ट्रेकिंग ट्रिप पर गयी थी। पहाड़ों पर चढ़ने के बाद मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और मुझमें इतनी भी ऊर्जा या स्टैमिना नहीं बचा था कि वापस नीचे आराम करने के लिए जा सकूं। लेकिन मैंने जैसे-तैसे उस ट्रेक को पूरा किया। इससे मुझे महसूस हुआ कि मैं कितनी अस्वथ हूँ। अधिक वजन की वजह से मुझमें आत्म-विश्वास भी कम होता चला जा रहा था।

(और पढ़ें - स्टेमिना बढ़ाने के उपाय)

आप क्या वर्कआउट करती थीं?

मैं हफ्ते में पांच दिन वेटलिफ्टिंग किया करती थी। इसके साथ हफ्ते में एक या दो हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग वर्कआउट भी करती थी। मैं रोज सुबह 15 से 20 मिनट योग अभ्यास भी किया करती थी। जितना हो सके उतना अपने शरीर के बारे में सीखने की कोशिश करें, जो कि मैंने अपनी वेट लॉस यात्रा में किया। 

(और पढ़ें - motapa kam karne ke liye yoga)

आप क्या खाती थीं?

  • मेरा नाश्ता - अंडे और फलों की स्मूथी या फलों का एक कटोरा।
  • दोपहर का खाना - दोपहर के खाने के लिए चावल, दाल और सब्जियां खाती थी।
  • रात का खाना - अंकुरित दाल, सलाद और सूप।
  • डाइट से हटकर आहार - चॉकलेट ऐसी चीज है जिसे मैं कभी मना नहीं कर सकती। तो हफ्ते में एक बार चॉकलेट जरूर खाती थी।
  • कम कैलोरी वाला आहार - फलों की स्मूथी से भरा कटोरा मेरा सबसे पसंदीदा कम कैलोरी वाला आहार था।

(और पढ़ें - vajan kam karne ke liye kya nahi khana chahiye)

आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?

मैंने खुद से प्रत्येक दिन बेहतर होने का वादा किया। फिर चाहे वो स्ट्रेंथ या स्टैमिना की बात हो या फिर खाने की आदत हो। खुद में बदलाव देखना मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा थी। मैं एक संघठन में फिटनेस इंटर्न थी, इससे मुझे प्रेरित रहने में मदद मिली।

(और पढ़ें - vajan kam karne ki exercise​)

आपने ये कैसे सुनिश्चित किया कि आप कभी अपने लक्ष्य से भटकेंगी नहीं?

मैं ऑनलाइन बहुत से फिटनेस आर्टिकल पढ़ा करती थी। मैंने कई फिटनेस चैनल की सदस्यता भी ली हुई थी और सोशल मीडिया पर कई फिटनेस पेज भी देखा करती थी। इससे मुझे अपने लक्ष्य पर डटे रहने में मदद मिली।

(और पढ़ें - pet kam karne ke upay)

अधिक वजन की वजह से आपके लिए कौन सा हिस्सा सबसे मुश्किल भरा था?

अधिक वजन की वजह से मेरा आत्म-विश्वास कम हो गया था और जिस तरह से मैं खुद को देखना चाहती थी, उस तरह से नहीं देख पा रही थी।

(और पढ़ें - hips kam karne ke nuskhe

आप खुद को कुछ सालों में किस आकार में देखना चाहते हैं?

मैं खुद को कुछ सालों में अभी के आकार के मुकाबले थोड़ा और पतला देखना चाहती हूँ। इसके अतिरिक्त, मुझे और अधिक शक्तिशाली बनना है।

(और पढ़ें - motapa kam karne ke liye diet chart)

जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए आपने क्या-क्या किया?

मैंने जंक फूड खाना बिल्कुल बंद कर दिया था। बस तीन हफ्ते में एक बार कुछ बाहर का खाती थी। वर्कआउट के अलावा मैं पूरे दिन चुस्त रहती थी। जब भी मुझे समय मिलता था मैं खुद के लिए खाना बनाती थी। इससे मुझे सही खाने में मदद मिलती थी।

(और पढ़ें - pet kam karne ke liye diet chart)

आपके लिए सबसे निराशाजनक बात क्या थी?

मेरे लिए सबसे निराशाजनक बात तब थी जब मैं वजन कम करने के लिए हर चीज गलत तरीके से अपना रही थी जैसे अधिक से अधिक कार्डियो करना और खाना छोड़ देना। इससे मैं बहुत जल्दी बीमार पड़ने लगी थी। यह सब देखते हुए मैं वेट लॉस की यात्रा बीच में छोड़ना चाहती थी।

(और पढ़ें - बॉडी बनाने के तरीके)

वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?

फिट रहने का एक ही तरीका है: यह जानें कि आपके शरीर के लिए क्या सही और गलत है। अगर आप कोई भी ऐसी डाइट अपना रहे हैं जो तेजी से बदलाव लाने का दावा करती है, तो इससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। किसी भी चीज की धीमी प्रक्रिया आपको निराश कर सकती है, लेकिन यह आपके लंबे समय तक के लिए फायदेमंद होती है। 

(और पढ़ें - बीएमआई कैलकुलेटर)

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आशा करते हैं कि आपको ध्रुति के बारे पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी और अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करेंगे।

अगर आपके पास भी कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, अपनी या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य की, तो हमसे ज़रूर शेयर करें यहाँ लिख कर - doctor@myupchar.com



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Tuesday, June 19, 2018

नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करें और उपाय

आपको यह जानकर बेहद ही हैरानी होगी कि 85 प्रतिशत महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी (सामान्य प्रसव) की प्रक्रिया से बच्चों को जन्म देती हैं, जबकि 15 प्रतिशत महिलाओं को चिकित्सीय समस्या के चलते सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़ती है।

आजकल सिजेरियन डिलीवरी बहुत ज्यादा होने लगी हैं, लेकिन सिजेरियन डिलीवरी से भविष्य में कई तरह की परेशानी होने का खतरा रहता है। नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिलाओं को ठीक होने में भी अधिक समय लगता है।

(और पढ़ें - नार्मल या सिजेरियन डिलीवरी)

सामान्य प्रसव के कई फायदों को देखते हुए, आपको इस लेख में नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करना चाहिए और नॉर्मल डिलीवरी के उपाय के बारे में बताया जा रहा है।

(और पढ़ें - pregnancy in hindi)



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जानकी ने जाना डाइटिंग का सही मतलब और घटाए 20 किलो

जानकी राणा का वजन 82 किलो हो चुका था, जिसकी वजह से लोग उन्हें तरह-तरह की बातें बोलते थे। किसी के साथ भी ऐसा हो तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। जानकी को भी बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। 

जानकी को उनके कपड़े फिट नहीं आते थे और खुद को हमेशा अस्वस्थ देखकर वो एकदम थक चुकी थी। जब वो कॉलेज में थी तब उन्होंने महसूस किया कि उन्हें फिट होने की जरूरत है। बायोकेमिस्ट्री की स्टूडेंट होने के अलावा, जानकी ने अपने शरीर को अच्छी तरह से समझने के लिए स्वस्थ पोषण के बारे में बहुत पढ़ा और समझा। साथ ही सही तरीके से वजन कैसे कम किया जाए, इसके बारे में भी उन्होंने जाना।

(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)

तो आइये आपको बताते हैं कि कैसे जानकी ने 20 किलो वजन कम किया –

आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?

मुझे मेरे साइज के कपड़े मिलना बहुत मुष्किल हुआ करता था। मैं हमेशा सबसे बड़े साइज की जींस लेती थी और लोग कभी-कभी मेरे अधिक वजन को लेकर मज़ाक बनाया करते थे। फिर जब मैं कॉलेज में थी तब मैंने फिट बनने का फैसला लिया। मैंने जीवनशैली में बदलाव करने शुरू किये और एक स्वस्थ शरीर और मन की तरफ बढ़ने लगी। 

(और पढ़ें - motapa kam karne ke liye yoga)

आप क्या खाती थीं?

  • मेरा नाश्ता - ओट्स और फल या सब्जियों से बना सैंडविच।
  • दोपहर का खाना - दाल या राजमा के साथ चावल और घी और खूब सारी सब्जियां।
  • रात का खाना - सब्जियों के साथ पनीर, सोया के टुकड़े और क्विनोआ
  • डाइट से हटकर आहार - मां के हाथ का खाना। मुझे गुजराती खाना बहुत पसंद है और पानी पूरी (गोल गप्पे) तो बहुत ज्यादा।
  • कम कैलोरी वाला आहार - ओट्स, सब्जियां या कोई भी फल। यह कैलोरी में कम होते हैं और मेरे संतुष्टि के स्तर को पूरा करते हैं।

(और पढ़ें - vajan kam karne ke liye kya nahi khana chahiye)

आप क्या वर्कआउट करती थीं?

चाहे कुछ भी हो जाए, मैं हफ्ते में पांच दिन एक घंटे तक वर्कआउट करती ही थी। जिसमें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियो का मेल होगा। जो भी लोग मुझसे डाइटिंग के बारे में पूछते हैं मैं लगातार उन्हें बताती रहती हूँ कि कभी "क्रैश डाइट" (crash diet) का पालन न करें। क्योंकि भूखा रहना डाइटिंग नहीं है। इसके अलावा कभी भी किसी एक चीज को ही न बार-बार खाते रहें, क्योंकि आगे चलकर आप उससे बोर हो जाएंगे। ज्यादा से ज्यादा फल व सब्जियां खाएं और पर्याप्त पानी पियें।

(और पढ़ें - vajan kam karne ki exercise​)

आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?

फिटनेस और हेल्थ प्रोफेशनल होना, खुद अपने आप में प्रेरणा का एक स्रोत है। एक सही डाइट और वर्कआउट की मदद से जब अच्छे परिणाम दिखने लगते हैं, तो आप खुद इस स्वस्थ जीवनशैली के आदी हो जाते हैं।

(और पढ़ें - pet kam karne ke liye kya kare)

आपने ये कैसे सुनिश्चित किया कि आप कभी अपने लक्ष्य से भटकेंगी नहीं?

मैंने हमेशा सकारात्मक सोच रखी और खुद में विशवास रखा कि कभी अपने लक्ष्य से भटकूंगी नहीं। अपना रूटीन बनाएं और उस को पूरी निष्ठा से फॉलो करें।

(और पढ़ें - hips kam karne ke tips

अधिक वजन की वजह से आपके लिए कौन सा हिस्सा सबसे मुश्किल भरा था?

आप कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं देखते हैं। यह बहुत दुख की बात होती है जब आपको आपके खुद के कपड़े नहीं आते। आपके दोस्त और परिवार वाले आपको अलग-अलग नामों से बुलाते हैं। लेकिन आखिर में यह आप पर है कि आप इन सब चीजों को कैसे लेते हैं। यह सब देखने के बाद या तो आप रोइये या फिर मेहनत करके अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करें।

(और पढ़ें - kamar patli karne ke vyayam​

आप खुद को कुछ सालों में किस आकार में देखना चाहते हैं?

मुझे आगे भी इसी तरह फिट और स्वस्थ रहना है।

(और पढ़ें - body banane ke tarike)

जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए आपने क्या-क्या किया?

मैंने अपनी जीवनशैली में सबसे जरूरी चीज जो बदली वो थी धैर्य रखना और अनुशासित रहना। हमेशा स्वस्थ खाती थी और हर चीज में बदलाव करती रहती थी, जिससे मैं कभी उस चीज से बोर न हूँ।

(और पढ़ें - thigh kaise kam kare)

वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?

  • अपने सेहत के प्रति हमेशा सचेत रहें। 
  • डाइटिंग के नाम पर कभी क्रैश डाइट न करें। आप स्वस्थ खाकर भी अपना वजन कम कर सकते हैं।
  • कभी भी वजन मापने वाली मशीन पर निर्भर न रहें। अपने साथ हो रहे सभी बदलावों पर ध्यान दें।
  • वर्कआउट करने का मकसद फिट होना होता है न कि पतला हो जाना।

(और पढ़ें - पैदल चलने के फायदे)

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आशा करते हैं कि आपको जानकी राणा के बारे में पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी और अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करेंगे।

अगर आपके पास भी कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, अपनी या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य की है, तो हमसे ज़रूर शेयर करें यहाँ लिख कर - doctor@myupchar.com



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Monday, June 18, 2018

पेडू में दर्द

पेडू में दर्द क्या होता है ?

पेडू में दर्द पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द होता है। पेडू (Pelvis) आपके पेट का सबसे निचला हिस्सा होता है और इसमें आंतें, मूत्राशय, गर्भाशय और अंडाशय जैसे अंग मौजूद होते हैं। आमतौर पर पेडू में दर्द का अर्थ होता है इन अंगों में से किसी एक अंग में शुरू होने वाला दर्द। कुछ मामलों में, पेडू में दर्द इन अंगों के पास वाली हड्डियों, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं, रक्त वाली नसों या जोड़ों में भी होता है। इसीलिए, पेडू में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। 

(और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द)

महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाला दर्द सामान्य होता है और उसमें चिंता की कोई बात नहीं होती लेकिन कुछ अन्य गंभीर मामलों में पेडू में दर्द के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है।

अपेंडिक्स, मूत्राशय के विकार (जैसे यूरिन इन्फेक्शन), यौन संचारित रोग (STD), गुर्दे के संक्रमण या गुर्दे में पथरी (किडनी स्टोन) जैसी समस्याओं से महिलाओं और पुरुषों दोनों को पेडू में दर्द हो सकता है।

पेडू में दर्द लगातार भी हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है दर्द कभी हो और कभी न हो। दर्द बहुत तीव्रता से एक जगह भी हो सकता है या यह फैलने वाला हल्का दर्द भी हो सकता है। अगर दर्द बहुत अधिक हो तो यह आपकी रोज़ाना की गतिविधियों में समस्या पैदा कर सकता है। पेडू में दर्द महिलाओं में ज़्यादा आम है।

(और पढ़ें - पीरियड्स में कमर दर्द और पेट दर्द के उपाय और इलाज)

 पेडू में दर्द का कारण जानने के लिए प्रयोगशाला परीक्षण और अन्य टेस्ट किए जा सकते हैं और इसका उपचार इसके कारण, दर्द की तीव्रता और दर्द होने के तरीके पर निर्भर करता है।

इसके इलाज के लिए दर्द निवारक दवाओं, शारीरिक थेरेपी और कुछ मामलों में सर्जरी का उपयोग किया जाता है।



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सिजेरियन के बाद पेट कैसे कम करें

प्रेग्नेंसी का दौर बहुत चुनौतीपूर्ण होता है और इस बात को सभी गर्भवती महिलायें जानती हैं। डिलीवरी के बाद महिलाओं की पेट की चर्बी बढ़ जाती है, जो कि आम बात है। लेकिन अगर आप सिजेरियन डिलीवरी से गुजरी हैं तो पेट कम करना आपके लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज से हमारे द्वारा बताये गए कुछ बेहतरीन उपायों का इस्तेमाल करना शुरू कर दीजिये। यह उपाय सिजेरियन के बाद निकलते पेट को आसानी से कम करने में मदद करेंगे।

(और पढ़ें - सिजेरियन डिलीवरी के फायदे)

तो आइये आपको बताते हैं सिजेरियन के बाद पेट कैसे कम करें –



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प्रिया को छोड़नी पड़ी नौकरी क्योंकि उनका वजन था ज्यादा, फिर किया उसे कम करने का वादा

अधिक वजन होने की वजह से प्रिया ने अपना आत्म-विश्वास खो दिया था। इसकी वजह से उन्होंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी। मोटापे की वजह से वो अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से भी मिलने में शर्माती थी और बढ़ते वजन ने उनके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालना शुरू कर दिया था। तब उन्होंने महसूस किया कि स्वस्थ रहने के लिए उन्हें अपना वजन कम कर लेना चाहिए। योग उनकी प्रेरणा का स्रोत बन गया है और अब वो दूसरों को भी योग सीखाती हैं।

(और पढ़ें - वजन कम करने के घरेलू नुस्खे)

आइये आपको आगे बताते हैं कि कैसे प्रिया ने फैट से फिट की यात्रा को पूरा किया –

आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?

मैंने वजन घटाने का फैसला तब लिया जब मैंने अपनी हेल्थ रिपोर्ट देखी। मेरा थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) का स्तर बढ़ा हुआ था और मुझे पथरी (किडनी स्टोन) की बीमारी थी। मेरे बढ़ते वजन की वजह से मुझे यह सभी स्वास्थ्य समस्याएं हो रही थीं। 

(और पढ़ें - टीएसएच टेस्ट)

अचानक से एक दिन मैं अखबार पड़ रही थी और मैंने योग के बारे में एक आर्टिकल पढ़ा जिससे मैं बहुत प्रेरित हुई। मुझे वो लेख इतना अच्छा लगा कि योग के बारे में मैंने और बहुत कुछ पढ़ा और उसे धीरे-धीरे गहराई से समझने लगी।

(और पढ़ें - motapa kam karne ke liye yoga)

आप क्या वर्कआउट करती थीं?

सुबह मैं 45 मिनट वर्कआउट करती थी, शाम को 40 मिनट पैदल चला करती थी और रात को सोने से पहले 20 मिनट मेडिटेशन किया करती थी। लेकिन यह सब करने से पहले अपने दिमाग में चल रही नकारात्मक सोच से लड़ें। ऐसा कोई भी ख्याल या सोच आपको कभी  तभी आप कुछ हासिल कर पाएंगे।

(और पढ़ें - vajan kam karne ki exercise​)

आप क्या खाती थीं?

  1. मेरा नाश्ता - मैं नाश्ते में फलओट्स, उपमा और भीगे हुए बादाम खाती थी।
  2. दोपहर का खाना - दो रोटी, दाल या सब्जी (ज्यादातर लौकी) और सब्जियों का बना रायता। (और पढ़ें - लौकी के जूस के फायदे)
  3. रात का खाना - खिचड़ी या सब्जियों का सूप।
  4. डाइट से हटकर आहार - मुझे साउथ इंडियन खाना बहुत पसंद है। साउथ इंडियन के खाने की खुशबू से ही मुझे भूख लगने लगती थी। कभी-कभी मैं नाश्ते में साउथ इंडियन (इडली या डोसा) खा लिया करती थी।
  5. कम कैलोरी वाला आहार - अंकुरित मूंग दाल चाट और बेसन का चीला।

(और पढ़ें - motapa kam karne ke liye kya nahi khana chahiye)

आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?

चुनौतियां मुझे प्रेरित करती हैं। मैं हर महीने एक अच्छी आदत को विकसित करने की कोशिश करती थी। मैंने खुद को दस दिन तक 4:30 बजे जगने की चुनौती दी। सुबह जल्दी उठने से मुझे कुछ चीजें सीखने में मदद मिली। मैं रोजाना चला करती थी, मेडिटशन करती थी, गुनगुना पानी पीती थी और मीठा खाना छोड़ दिया था। कुछ इस तरह मैं खुद को प्रेरित करती थी।

(और पढ़ें - pet kam karne ke liye kya kare)

आपने ये कैसे सुनिश्चित किया कि आप कभी अपने लक्ष्य से भटकेंगी नहीं?

स्वस्थ रहना और वजन कम करना किचन या जिम से शुरू नहीं होता। यह खेल आपके दिमाग से शुरू होता है। एक बार जब आपका दिमाग समझ जाएगा तब फिर आप कभी अपने लक्ष्य से नहीं भटकेंगे।

(और पढ़ें - hips kam karne ke tips

अधिक वजन की वजह से आपके लिए कौन सा हिस्सा सबसे मुश्किल भरा था?

अस्वस्थ और अधिक वजन शरीर के लिए एक तरह का श्राप है। इस श्राप के साथ जीना बहुत दर्दनाक था।

(और पढ़ें - kamar patli karne ke vyayam​

आप खुद को कुछ सालों में किस आकार में देखना चाहते हैं?

योग शिक्षक होने के नाते, दिन प्रतिदिन जीवन में अपने लिए कुछ अच्छा करने की इच्छा बढ़ती जा रही थी। दूसरों की मदद करना और दुनिया को कुछ ऐसा देना जो सभी के काम आये। मैंने ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया था, जहां मैं स्वास्थ्य से संबंधित ज्ञान और अनुभव लोगों तक पहुंचाती थी।

(और पढ़ें - body banane ke tarike)

जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए आपने क्या-क्या किया?

रात को जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठे, समय पर खाएं और ज्यादा से ज्यादा पानी पियें।

(और पढ़ें - कितने घंटे सोना चाहिए एक दिन में)

आपके लिए सबसे निराशाजनक बात क्या थी?

मैं अपने जीवन में सब तरफ से आत्म-विश्वास खो रही थी। मैं अधिक वजन की वजह से बहुत शर्मीली थी और कम ही लोगों व परिवार वालों से मिलती थी। मैंने मोटापे की वजह से अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी।

(और पढ़ें - thigh kam karne ka tarika)

वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?

मैंने शरीर, ह्रदय, आत्मा और मस्तिष्क की पूजा करना शुरू कर दिया था। आखिर में, मैं कहना चाहती हूँ - "मेरा ह्रदय स्वस्थ है, मेरा शरीर समृद्ध है"। मैं पूरी तरह से ऊर्जा से भरपूर हूँ और अब मन चाहे कपड़े पहन सकती हूँ। मैं अब जवान और अधिक आत्म विश्वास महसूस करती हूँ।

(और पढ़ें - पैदल चलने के फायदे)

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आशा करते हैं कि आपको प्रिया के बारे पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी और अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करेंगे।

अगर आपके पास भी कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, अपनी या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य की, तो हमसे ज़रूर शेयर करें यहाँ लिख कर - doctor@myupchar.com



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Saturday, June 16, 2018

मच्छर का काटना

मच्छर का काटना क्या है?

मच्छर के काटने से काटी हुई जगह पर उभरा हुआ निशान हो जाता है जिसमें खुजली होती है। निशान अपने आप कुछ दिन में गायब हो जाता है। कभी-कभी मच्छर के काटने से काफी बड़ी जगह में सूजन, दर्द और लाल रंग देखने को मिलता है। इस तरह की प्रतिक्रिया बच्चों में होना आम है, कभी-कभी इसे स्कीटर सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है।

(और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को ना करें नज़रअंदाज़)

कुछ वायरस या परजीवी से संक्रमित मच्छरों के काटने से गंभीर बीमारी हो सकती है। दुनिया के कई हिस्सों में संक्रमित मच्छर, मनुष्यों में वेस्ट नाइल वायरस फैलाते हैं। अन्य मच्छर से पैदा होने वाले संक्रमण में पीला बुखार, मलेरिया और कुछ प्रकार के मस्तिष्क संक्रमण (इन्सेफेलाइटिस) शामिल हैं।  

(और पढ़ें - वायरल फीवर के लक्षण)



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नसों की कमजोरी

नसों की कमजोरी क्या होता है ?

"न्यूरोपैथी" (Neuropathy) एक मेडिकल शब्द है जिसका प्रयोग नसों के अलग-अलग विकारों के लिए किया जाता है जिनमें शरीर के कुछ हिस्सों की नसों में कमजोरी हो जाती है या वह गतिहीन हो जाती हैं। कुछ लोगों के लिए यह समस्या थोड़े समय के लिए होती है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह स्थायी भी हो सकती है।

प्रभावित नस के प्रकार के आधार पर या तो नस से सम्बंधित शरीर का अंग ठीक से काम नहीं कर पाता या वह कुछ महसूस नहीं कर पाता।

कुछ बीमारियों या पोषण की कमी या जीवनशैली से सम्बंधित समस्याओं के कारण नसों की कमजोरी या तंत्रिका तंत्र (Nervous System) की कमजोरी हो सकती है। इसके परीक्षण के लिए लक्षणों की जाँच, ब्लड टेस्ट या नसों के टेस्ट का प्रयोग किया जाता है और इसका इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है।

इसकी वजह का इलाज करने से नसों की कमजोरी की समस्या ठीक की जा सकती है। इसके लिए दवाएं और अन्य थेरेपी भी उपलब्ध हैं।

(और पढ़ें - कमजोरी)

पेरिफेरल (Peripheral) नसें क्या होती हैं?

हमारे तंत्रिका तंत्र (Nervous System) के दो भाग होते हैं:

  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) - मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी में जाने वाली नसें
  • पेरिफेरल तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) - मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी के बाहर मौजूद नसें

पेरिफेरल तंत्रिका तंत्र की नसों को "पेरिफेरल नसें" या परिधीय नसें भी कहा जाता है।



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सर्वाइकल दर्द

सर्वाइकल दर्द क्या है ?

हमारी गर्दन शरीर की महत्वपूर्ण गतिविधियां करती है और सिर को सहारा भी देती है। हालांकि, गर्दन बाकि की रीढ़ की हड्डी से कम सुरक्षित होती है इसीलिए उसे चोट लगने और अन्य विकार होने का खतरा अधिक होता है, जिससे दर्द होता है व गतिविधि करने में समस्या होती है।

कुछ लोगों का गर्दन में दर्द समय के साथ ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके लक्षण ठीक करने के लिए परीक्षण और इलाज की आवश्यकता होती है।

सर्वाइकल दर्द एक्सीडेंट, असामान्य मुद्रा (Posture) में रहने और ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ) जैसे विकारों से हो सकता है। इसके परीक्षण के लिए पहले हुई बिमारियों की पूछताछ, शारीरिक जांच और अन्य इमेजिंग परीक्षण किए जाते हैं।

सर्वाइकल दर्द के इलाज के लिए आराम, ठन्डे या गर्म कपड़े से सिकाई, गर्दन को सीधा रखने के लिए उपयोग किए जाने वाला पट्टा (Collar), शारीरिक थेरेपी (अल्ट्रासाउंड, मसाज), कोर्टिसोन (Cortisone) या सुन्न करने वाले टीके, दवाओं और सर्जरी का उपयोग किया जाता है।



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क्या सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है

कई महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी के बाद अपने दूसरे बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी से करवाना चाहती हैं। लेकिन ऐसा हो पाएगा या नहीं इस बारे में महिलाओं के मन में कई तरह के प्रश्न होते हैं। आपको बता दें कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को आसानी नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है, लेकिन इसमें उनके स्वास्थ्य संबंधी कई कारक का ध्यान रखना होता है। डॉक्टर से पूरी जांच करवाने के बाद ही आप नॉर्मल या सिजेरियन डिलीवरी का फैसला लें।

(और पढ़ें - टेस्ट ट्यूब बेबी)

सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी सही है या नहीं, इसका फैसला करने के लिए माँ और उसके बच्चे का डिलीवरी के बाद स्वास्थ सबसे बड़ा कारक होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हर महिला के लिए सुरक्षित विकल्प नहीं होता है।

सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी के विषय पर महिलाओं की उत्सुकता को देखते हुए आपको इसके बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको यह भी बताया जाएगा कि किन परिस्थितियों में सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं अधिक या कम होती है, इसके क्या फायदे और जोखिम होते हैं, आदि।

(और पढ़ें - pregnancy week by week in hindi)



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Friday, June 15, 2018

आंखों से पानी आना

आंखों से पानी आने क्या है?

आंखों से पानी आने का वास्तव में मतलब है आंखों से बहुत अधिक आंसू निकलना। आंसू आंखो की सतह को नम रखने में मदद करते है। आंसू आंखों में चिकनाई रखने के लिए और बाहरी कणों व पदार्थों को आंखों से बाहर निकालने में मदद करते हैं। आँखों से कभी-कभी पानी आना स्वाभाविक है, लेकिन बहुत ज्यादा मात्रा में आंसू आने की स्थिति अच्छी नहीं होती।

आपकी आंखे हमेशा आंसू बनाती रहती हैं। ये आंसू आंखों के कोने में छोटे-छोटे छेदों के माध्यम से आँखों से बाहर निकल जाते हैं। इन छेदों को "अश्रु नलिकाएं" (Tear duct) कहा जाता है। आंखों में अधिक पानी आने के कई संभावित कारण हो सकते हैं, लेकिन ये आमतौर पर दो में से किसी एक की वजह से होते हैं:

  • या तो अश्रु नलिकाएं ठीक तरीके से काम नहीं कर रहीं
  • या फिर आँखों में जरूरत से ज्यादा आंसूं बन रहे हैं 

आंख में पानी आने के अन्य कारण हो सकते हैं जैसे एलर्जी, अश्रु नलिकाओं में रुकावट, आँख आना, पर्यावर्णीय कारक, आँख में बाहरी वस्तु का जाना या आँखों का सूखापन दूर करने के लिए शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया आदि शामिल हैं।

आंख में पानी आने के साथ आपको आखों का लाल होने, सूजन आने और कम या धुंधला दिखाई देने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

अगर आंख में पानी आना किसी प्रकार की समस्या को पैदा नहीं कर रहा तो इलाज करवाने की आवश्यकता नहीं होती। आंख में पानी आने के कारण के आधार पर ही इस स्थिति को मैनेज किया जाता है। इसके उपचार में कुछ आई ड्रॉप दवाएं और यदि नलिकाओं में रुकावट है तो सर्जिकल प्रक्रिया आदि शामिल हैं।

(और पढ़ें - आंखों की बीमारी का इलाज)



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Wednesday, June 13, 2018

प्रोबायोटिक्स क्या है, फायदे और स्त्रोत

प्रोबायोटिक्स जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं, जो "फर्मेटेड" (fermneted: खमीरयुक्त) खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।

अध्ययन बताते हैं कि पाचन तंत्र में मौजूद बैक्टीरिया का संतुलन या असंतुलन आपकी अच्छी सेहत से संबंधित होता है। प्रोबायोटिक्स आंतों में मौजूद बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखते हैं और आपको सेहतमंद रखने में सहायक होते हैं।

प्रोबायोटिक युक्त आहार खाने से आपको वजन कम करने, पाचन क्रिया और प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ करने के साथ ही कई अन्य फायदे भी मिलते हैं।

(और पढ़ें - पाचन तंत्र को मजबूत करने के उपाय)

प्रोबायोटिक्स की उपयोगिता को देखते हुए इस लेख में आपको प्रोबायोटिक्स के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इसके साथ आप प्राबायोटिक्स क्या है और प्रोबायोटिक्स के स्त्रोत के बारे में भी जानेंगे।



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हार्मोन क्या है, प्रकार और फायदे

हार्मोन शरीर में बनने वाले एक तरह का कैमिकल होते हैं, जो रक्त के माध्यम से आपके अंगों और ऊतकों तक पहुंचते हैं। यह आपके शरीर में धीरे-धीरे कार्य करते हैं और शरीर की कई प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। शरीर के बढ़ने, मेटाबॉलिज्म, यौन गतिविधियों, प्रजनन और मूड (mood) आदि क्रियाओं में हार्मोन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

हार्मोन आपके शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हार्मोन की बेहद कम मात्रा भी आपके शरीर और कोशिकाओं के कई बड़े बदलावों के लिए काफी होती हैं। यही कारण है कि हार्मोन का बहुत अधिक या बहुत कम होना आपकी सेहत पर गहरा प्रभाव डालता है।

(और पढ़ें - हार्मोन असंतुलन के नुकसान)

इस लेख में हार्मोन के महत्व के विषय में विस्तार से बताया जा रहा है। इसके साथ ही आप जानेंगे कि हार्मोन क्या है एवं हार्मोन के नाम, प्रकार, कार्य और फायदे क्या होते हैं।

(और पढ़ें - विटामिन के फायदे)



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Tuesday, June 12, 2018

पीरियड्स कम करने के उपाय

पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होने को चिकित्सीय भाषा में "मेनोरेजिया" (menorrhagia) कहा जाता है। इसमें  पीरियड्स (मासिक धर्म) में असामान्य रूप से ज्यादा रक्तस्राव होना या पीरियड्स का ज्यादा दिन तक चलना, दोनों ही शामिल किये जाते हैं। इस लेख में पीरियड्स में ब्लीडिंग कम करने के उपाय, तरीके और नुस्खे बताये गए हैं। 

इसकी वजह से पीरियड्स के दौरान आपको हर दो या तीन घंटे में सेनिटरी पैड या टैम्पोन को बदलने की जरूरत पड़ सकती है। इसके कई शारीरिक लक्षण हो सकते हैं, जैसे पीरियड के दौरान पेट के निचले क्षेत्र में गंभीर और लगातर दर्द होना, थकान, सांस फूलना, मतली, सिर दर्द, मूड में बदलाव आना और अत्यधिक कमजोरी आना।

(और पढ़ें - पीरियड्स क्या है)

यह समस्या किसी भी उम्र की महिला को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, जवान किशोर जिनके पीरियड्स हाल ही में शुरू हुए हैं और वह महिलायें जो रजोनिवृत्ति के करीब हैं, उन्हें ये समस्या ज्यादा होती है।

मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव कई वजह से हो सकता है जैसे शरीर में हॉर्मोन का असंतुलन, फाइब्रॉएड (fibroids), मिसकैरेज या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था), जन्म नियंत्रण के लिए आईयूडी (जैसे कॉपर टी) के दुष्प्रभाव से भी ये समस्या हो सकती है।

मासिक धर्म में ज्यादा ब्लीडिंग से आपकी रोजाना की गतिविधियाँ, भावनात्मक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्या जैसे आयरन की कमी से एनीमिया भी हो सकती हैं।

हमारी आपको सलाह है कि इस समस्या के सही निदान और इलाज के लिए अपने डॉक्टर से बात जरूर करें। लेकिन, आप डाइट में बदलाव करके या आसान घरेलू उपायों से भी पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग कम कर सकती हैं। आइये जानें इनके बारे में -



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Monday, June 11, 2018

मेलेनिन कम कैसे करें और उपाय

मेलेनिन त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन शारीर में मेलेनिन का उत्पादन अधिक होने लगे तो त्वचा का रंग सांवला पड़ने लगता है। त्वचा से मेलेनिन का स्तर कम करने से स्किन पिगमेंटेशन को दूर करने में मदद मिलती है और इस तरह आपकी त्वचा निखरी हुई व गोरी लगने लगती है। लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि मेलेनिन को कम कैसे किया जाए? तो इसके लिए बाज़ार में कई ब्यूटी उत्पाद और ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं जो आपकी त्वचा से मेलेनिन के स्तर को कम करने का दावा करते हैं। हालांकि यह ट्रीटमेंट ज्यादा असरदार नहीं होते। साथ ही बेहद महंगे भी होते हैं, जिसकी वजह से इन्हे खरीद पाना सभी के बस में नहीं होता।

(और पढ़ें - त्वचा की देखभाल कैसे करें)

तो हम आपके लिए मेलेनिन को कम करने के कुछ ऐसे तरीके और उपाय लेकर आये हैं, जिन्हें बनाना काफी आसान होगा और ये बेहद किफायती भी होंगे।

(और पढ़ें - मेलेनिन क्या है)

चलिए फिर करते हैं शुरू -



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