आयुर्वेद में तीन दोष वात, पित्त और कफ होते हैं। जब दोष संतुलित होते हैं, तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है, लेकिन दोष में असंतुलन कई विकारों का कारण बनता है। इसलिए इनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले तरीके को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। मूल रूप से 2 प्रकार के असंतुलन होते हैं – प्राकृतिक और अप्राकृतिक। प्राकृतिक असंतुलन उम्र, दिन या मौसम के कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए, कफ असंतुलन बचपन के... http://www.myupchar.com/tips/dosha-imbalance-symptoms-in-hindi/
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