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आयुर्वेद के अनुसार ऋतु के आधार पर एक सख्त डाइट रूटीन का पालन किया जाना चाहिए। पहले खाद्य पदार्थों को स्टोर करने की व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में सभी खाद्य पदार्थों की पूरे साल उपलब्धता न होने के कारण मौसमी खाद्य पदार्थों का ही सेवन किया जाता था। लेकिन बदलते समय और प्रगतिशील सभ्यताओं के साथ भंडारण तकनीक, परिवहन और प्रौद्योगिकी के कारण बेमौसम भी सभी खाद्य पदार्थों का मिलना संभव हो पाया है। लेकिन स्वास्थ्य के विभिन्न लाभों के कारण मौसमी खाद्य पदार्थों के सेवन करने का महत्त्व अलग ही है।
आयुर्वेद पूरे वर्ष को वात, पित और कफ मौसम में विभाजित करता है। सीज़न के आधार पर ये दोष हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मौसमी भोजन का सेवन इसी वात, पित और कफ के विभाजन पर आधारित है
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