अवचेतन मन को वेदांत में 'चित्त' कहा जाता है। आपकी उप-चेतना ऐसे अनुभवों और यादों से भरी होती है जो अस्थायी रूप से पृष्ठभूमि में डाल दिए गये होते हैं लेकिन उन्हे फिर ताज़ा करना मुमकिन है। जैसे जैसे आपकी आयु बढ़ती है तो याददाश्त खोने के लक्षण दिखने लगते हैं। पहला लक्षण आमतौर पर होता है नामों को याद रखने में मुश्किल। आपको शायद अब भी स्कूल में पढ़ी बहुत चीज़ें याद होंगी, लेकिन अब शायद आपको एक नया नाम भी याद करना मुश्किल लगता है। इसका कारण यह है कि दिमाग़ ने अपनी धारणा-शक्ति को खो दिया है। मस्तिष्क की कोशिकायं धीरे धीरे कम कारगर होने लगती हैं। जो अधिक मानसिक काम करते हैं, और जो बहुत चिंता, तनाव आदि से पीड़ित हैं, वे जल्द ही अपनी धारणा-शक्ति खो देते हैं। केवल 10 प्रतिशत मानसिक क्रियाएं चेतना के क्षेत्र में आती हैं। हमारे मानसिक जीवन में कम से कम 90 प्रतिशत अवचेतन है। कई बार ऐसा होता है कि हम बैठते हैं और किसी समस्या को हल करने की कोशिश करते हैं, पर विफल हो जाते हैं। अचानक एक विचार आता है जो समस्या के समाधान की ओर ले जाता है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि अवचेतन प्रक्रियाएं काम पर थीं। अवचेतन मन आपका निरंतर साथी और ईमानदार दोस्त है। यह जवाब अवचेतन मन से बिजली के कौंधने की तरह आता है। यहां तक कि नींद में अवचेतन मन रुके बिना काम करता है। यह आपकी सोच को व्यवस्थित करता है, सभी तथ्यों और आंकड़ों को वर्गीकृत करता है, उनकी तुलना करता है, और एक उचित संतोषजनक समाधान तैयार करता है।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख
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