क्रोनिक किडनी रोग क्या होता है?
जब कई वर्षों तक धीरे-धीरे गुर्दे की कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है, तो उसे क्रोनिक किडनी रोग कहा जाता है। इस बीमारी का अंतिम चरण स्थायी रूप से किडनी की विफलता (kidney failure) होता है। क्रोनिक किडनी रोग को क्रोनिक रीनल विफलता (chronic renal failure), क्रोनिक रीनल रोग (chronic renal disease) या क्रोनिक किडनी विफलता (chronic kidney failure) के रूप में भी जाना जाता है।
जब गुर्दे की कार्य क्षमता धीमी होने लगती है और स्थिति बिगड़ने लगती है, तब हमारे शरीर में बनने वाले अपशिष्ट पदार्थों और तरल की मात्रा खतरे के स्तर तक बढ़ जाती है। इसके उपचार का उद्देश्य रोग को रोकना या धीमा करना होता है - यह आमतौर पर इसके मुख्य कारण को नियंत्रित करके किया जाता है।
क्रोनिक किडनी रोग लोगों की सोच से कहीं अधिक विस्तृत है। जब तक यह रोग शरीर में अच्छी तरह से फैल नहीं जाता, तब तक इस रोग या इसके लक्षणों के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता। जब किडनी अपनी क्षमता से 75 प्रतिशत कम काम करती है, तब लोग यह महसूस कर पाते हैं कि उन्हें गुर्दे की बीमारी है।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख
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