Saturday, August 19, 2017

काला अज़ार (काला ज्वर)

काला अज़ार (या काला ज्वर) लीशमैनियासिस (Leishmaniasis) का सबसे गंभीर रूप है और, उचित निदान और उपचार के बिना, मृत्यु की संभावना को बहुत बढ़ा देता है। यह रोग दुनिया में दूसरी सबसे ज़्यादा परजीवी से होने वाली मृत्यु का कारक है (मलेरिया के बाद), जो कि प्रति वर्ष 200,000 से 400,000 संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है।

यह एक धीमी गति से बढ़ने वाले वाला एक स्थानीय या देशी रोग है जो की लीशमैनिया जाति के एक प्रोटोजोअन परजीवी के कारण होता है। परजीवी मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को संक्रमित करता है और अस्थि मज्जा (bone marrow), प्लीहा (spleen) और लिवर में अधिक मात्रा में पाया जा सकता है।

इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, वजन घटना, थकान, एनीमिया और लिवर व प्लीहा की सूजन शामिल हैं। काला अज़ार से बचाव के लिए कोई वॅक्सीन (टीका) उपलब्ध नहीं है। हालाँकि समय रहते अगर उपचार किया जाए, तो रोगी ठीक हो सकता है।काला अज़ार के इलाज के लिए दावा आसानी से उपलब्ध होती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एचआईवी और काला अज़ार के सह-संक्रमण की उभरती समस्या एक विशेष चिंता का विषय है। काला अज़ार के बाद "पोस्ट कला-आज़ार डरमल लेशमानियासिस" (पीकेडीएल; काला आज़ार के बाद होने वाला त्वचा संक्रमण) होने की भी संभावना होती है। इन दोनो के बारे में नीचे और विस्तार से बताया गया है।

भारत में काला-अज़ार:

भारत में लीशमैनिया डोनोवानी (Leishmania donovani) एकमात्र परजीवी है जिसके कारण यह बीमारी होती है।

  1. भारत के पूर्वी राज्यों जैसे की बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह बीमारी स्थानिक है।
  2. 48 जिलों में स्थानिक; कुछ अन्य जिलों से छिटपुट मामलों की सूचना मिली।
  3. 4 राज्यों में अनुमानित 165.4 मिलियन जनसंख्या जोखिम। 
  4. मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ज्यादातर गरीब सामाजिक-आर्थिक समूह प्रभावित होते हैं। 


from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख
via http://www.myupchar.com/disease/visceral-leishmaniasis-black-fever

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