टाइफाइड मोतीझरा और मियादी बुखार (आंत्र ज्वर) के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग दुनिया भर में बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग दूषित भोजन या पानी के सेवन से, जिसमे साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi) बैक्टीरिया होता है या बैक्टीरिया से ग्रस्त व्यक्ति के निकटतम संपर्क से भी होता है। औद्योगिक देशों में टाइफाइड ज्वर बहुत कम होता है लेकिन यह विकासशील देशों में, विशेष रूप से बच्चों के लिए, एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है। यह भारत में बहुत आम बीमारी है।
टाइफाइड का जीवाणु मनुष्यों के आंतों और रक्तप्रवाह में रहता है। यह एक संक्रमित व्यक्ति के मल के सीधे संपर्क में आने से लोगों में फैलता है।
यह संक्रमण किसी भी जानवर से नहीं होता है। यह हमेशा एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को होता है।
यदि उपचार नहीं किया जाए तो 4 में से 1 इंसान की टाइफाइड के कारण मौत हो जाती है और अगर उपचार किया जाए तो 100 मामलों में 4 से भी कम के लिए टाइफाइड घातक सिद्ध होगा।
साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया मुंह में प्रवेश करता है और 1-3 सप्ताह तक आंत में रहता है। उसके बाद यह आंतों की दीवार से होते हुए खून में चला जाता है। खून के माध्यम से यह अन्य ऊतकों और अंगों में फैल जाता है। आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली साल्मोनेला टाइफी से नहीं लड़ सकती है क्योंकि यह बैक्टीरिया आपकी कोशिकाओं में बिना आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली से प्रभावित हुए सुरक्षित रह सकता है।
आमतौर पर टाइफाइड का इलाज हो जाता है। लेकिन कुछ बैक्टीरिया की नस्लों पर आज कल एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में लगभग 21 मिलियन टाइफाइड के मामले हर साल होते हैं और 222,000 टाइफाइड से ग्रसित लोगों की मौत होती है।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख
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