अल्ट्रासाउंड में उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगों (High-frequency sound waves) का इस्तेमाल किया जाता है, इन तरंगों की मदद से शरीर के अंदर की तस्वीरें निकाली जाती हैं। अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी सुरक्षित स्कैन होते हैं, क्योंकि इनमें विकिरणों (Radiation) की जगह ध्वनि तरंगों या गूँज (Echoes) का इस्तेमाल किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर शरीर में चीरा दिए बिना भी अंदरूनी अंगों, वाहिकाओं और ऊतकों आदि से संबंधित समस्याएं देख सकते हैं।
अन्य इमेजिंग टेस्टों से अलग अल्ट्रासाउंड में किसी भी प्रकार की विकिरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसी वजह से अल्ट्रासाउंड को गर्भावस्था के दौरान विकसित हो रहे भ्रूण को देखने के लिए सबसे मुख्य तरीका माना जाता है। भ्रूण के विकास का मूल्यांकन करने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन का उपयोग किया जाता है।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड)
इसकी मदद से हृदय रोग, गुर्दे के रोग, लिवर रोग और पेट की समस्याओं का पता भी लगाया जा सकता है। कुछ निश्चित प्रकार की बायोप्सी करने के लिए भी अल्ट्रासाउंड की मदद ली जाती है।
अल्ट्रासाउंड एक सुरक्षित स्कैन होता है, जिसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग रोगों का परीक्षण करने या इलाज करने के लिए भी किया जाता है। अल्ट्रासाउंड के द्वारा निकाली गई तस्वीरों को 'सोनोग्राम' कहा जाता है।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख
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