Tuesday, January 30, 2018

सुनने में परेशानी के घरेलू उपाय

सुनने की इन्द्री हमारी पाँच इंद्रियों में से एक है। इससे हमें अपने आसपास की दुनिया को बेहतर तरीके से समझने की क्षमता मिलती है। अगर कोई अपने सुनने की क्षमता खो दे तो उसे अपने जीवन में अधूरापन लगता है। दुनिया भर में लाखों लोगों में कम सुनने की समस्या एक आम बात है। पूरी तरह बहरेपन की समस्या से पीड़ित लोगों को चिकित्सा की आवश्यकता है। लेकिन अगर कोई कम सुनने की समस्या का अनुभव कर रहा है तो उसे चिकित्सक देखभाल से पहले घरेलू उपचार करने चाहिए जो आपकी कम सुनने की समस्या के लिए बहुत ही लाभदायक हो सकते हैं। आइए आज हम आप को कुछ ऐसे ही घरेलू उपचारों के बारे में बताते हैं जो आपको कम सुनने की समस्या से छुटकारा दिलाएँगे।



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Monday, January 29, 2018

मानसिक रोग

मानसिक रोग क्या है ?

मानसिक रोग, कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को संदर्भित करता है - ऐसे विकार जो आपकी मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। मानसिक रोग के उदाहरण हैं - डिप्रेशन (अवसाद), चिंता, स्किज़ोफ़्रेनिया और खाने के विकार।

कई लोगों को समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं लेकिन यह मानसिक बीमारी बन जाती हैं जब इसके लक्षण अक्सर तनाव पैदा करते हैं और कार्य करने की आपकी क्षमता को प्रभावित करते हैं।

एक मानसिक बीमारी आपको बहुत दुखी कर सकती है और अपने दैनिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकती है, जैसे कि स्कूल या काम या रिश्तों में समस्याएं। ज्यादातर मामलों में, लक्षण दवाओं और टॉक थेरेपी (मनोचिकित्सा) के संयोजन के साथ प्रबंधित किये जा सकते हैं।



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Sunday, January 28, 2018

पलकें लंबी और घनी करने के उपाय

क्या आप अपनी पतली या कम पलकों से चिंतित हैं? तो, इस समस्या से घिरे सिर्फ आप ही नहीं हैं। अधिकतर लोग अपनी आँखों की पलकों को घनी देखना चाहते हैं। घनी और लम्बी पलकों से आपकी आँखें सुंदर और आकर्षित लगने लगती हैं।

आँखों की पलकों के पतले होने के कई करक हैं जैसे अनुवांशिक, उम्र, चिकित्सीय स्थिति, पोषण की कमी, आँखों में संक्रमण या शरीर में हार्मोनल बदलाव की वजह से आँखों की पलके पतली रह जाती हैं। रोज़ाना मेकअप लगाना और फिर उसे न धोना या ज़ोर-ज़ोर से आँखों को मलना आपकी पलकों के टूटने का कारण बन सकते हैं। पलकों की अच्छे से देख-रेख करने से वो हमेशा स्वस्थ रहेंगी। साथ ही आप कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी पलकों को घनी कर सकते हैं।

(और पढ़ें - बालों की देखभाल के लिए हेयर केयर टिप्स)

लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि प्रत्येक उपाय हर एक व्यक्ति के लिए अलग परिणाम देता है। परिणाम देखने में आपको कुछ हफ्ते या कुछ महीने भी लग सकते हैं और आप एक उपाय से ज़्यादा उपायों का इस्तेमाल करें जिससे आपको पता चल जाये कि कौन सा उपाय आपकी पलकों के लिए बेहतर है।

(और पढ़ें - बालों को घना करने के घरेलू उपाय)

आइये फिर करते हैं पलकों को लम्बी और घनी करने के कुछ घरेलू उपाय –



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Saturday, January 27, 2018

ओम का अर्थ, महत्व, उच्चारण, जप करने का तरीका और फायदे

गायत्री मंत्र - ॐ भूर्भुव: स्व:

माण्डूक उपनिषद् - ॐ यह अमर शब्द ही पूरी दुनिया है

बौध्य मंत्र - ॐ मणि पद्मे हूं

गुरु ग्रंथ साहिब - एक ओंकार सतनाम

योग सूत्र - तस्य वाचकः प्रणवः

इन सभी मंत्र या श्लोक में क्या समानता है? समानता है ॐ। 

ॐ यानी ओम, जिसे "ओंकार" या "प्रणव" भी कहा जाता है। देखें तो सिर्फ़ ढाई अक्षर हैं, समझें तो पूरे भ्रमांड का सार है। ओम धार्मिक नहीं है, लेकिन यह हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म जैसे कुछ धर्मों में एक पारंपरिक प्रतीक और पवित्र ध्वनि के रूप में प्रकट होता है। ओम किसी एक की संपत्ति नहीं है, ओम सबका है, यह सार्वभौमिक है, और इसमें पूरा ब्रह्मांड है।

ओम को "प्रथम ध्वनि" माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भ्रमंड में भौतिक निर्माण के अस्तित्व में आने से पहले जो प्राकृतिक ध्वनि थी, वह थी ओम की गूँज। इस लिए ओम को ब्रह्मांड की आवाज कहा जाता है। इसका क्या मतलब है? किसी तरह प्राचीन योगियों को पता था जो आज वैज्ञानिक हमें बता रहें हैं: ब्रह्मांड स्थायी नहीं है।

कुछ भी हमेशा ठोस या स्थिर नहीं होता है। सब कुछ जो स्पंदित होता है, एक लयबद्ध कंपन का निर्माण करता है जिसे प्राचीन योगियों ने ओम की ध्वनि में क़ैद किया था। हमें अपने दैनिक जीवन में हमेशा इस ध्वनि के प्रति सचेत नहीं होते हैं, लेकिन हम ध्यान से सुने तो इसे शरद ऋतु के पत्तों में, सागर की लहरों में, या शंख के अंदर की आवाज़ में सुन सकते हैं। ओम का जाप हमें पूरे ब्रह्माण्ड की इस चाल से जोड़ता है और उसका हिसा बनाता है - चाहे वो अस्त होता सूर्य हो, चढ़ता चंद्रमा हो, ज्वार का प्रवाह हो, हमारे दिल की धड़कन, या हमारे शरीर के भीतर हर परमाणु की आवाज़ें।

जब हम ओम का जाप करते हैं, यह हमें हमारे सांस, हमारी जागरूकता और हमारी शारीरिक ऊर्जा के माध्यम से इस सार्वभौमिक चाल की सवारी पर ले जाता है, और हम एक गहरा संबंध समझना शुरू करते हैं जो मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है।



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कान के पास इस पॉइंट को दबाने से होता है वजन कम

आज दुनिया भर में बहुत सारे लोग मोटापे से ग्रसित हैं और अधिकतर लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं। शायद इसी वजह से वजन कम करने का चलन इस दौर में बहुत ज्यादा है। हालांकि वजन कम करना और फिगर को संतुलित बनाए रखना बेहद मुश्किल होता है। खासकर डाइटिंग और कठिन वर्कआउट रूटीन का पालन करना सबके लिए आसान नहीं होता है। इसीलिए सभी को वजन कम करने के लिए शॉर्ट-कट और किसी खास ट्रिक की तलाश होती है। आज आपकी तलाश खत्म हो चुकी है। हम आपके लिए लेकर आए हैं वजन कम करने के लिए एक बेहद आसान रास्ता, जिसे अपना कर आप आसानी से वजन कम कर सकते हैं और हां इसमें आपको डाइट और जिम की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)

एक्यूप्रेशर -  दर्द, उल्टी, सिरदर्द और पीठ दर्द को ठीक करता है और सही मायने मे यह तेजी से वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके लिए बस आपको अपने कान के पास के हिस्से को दबाना होगा और हां ये बेहद आसान है।

ये एक्यूप्रेशर तकनीक आपकी भूख को नियंत्रित करती है और पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है। अब आपके दिमाग में ये सवाल उठेगा कि इसके लिए आपको दिन में कितना समय देना होगा, तो इसका जवाब है बस सिर्फ एक मिनट।

(और पढ़ें - जानिए कैसे करता है एक्युप्रेशर कई बीमारियों का निवारण)

आप अपने व्यस्त दिनचर्या में से बस एक मिनट निकाल कर नियमित इसका अभ्यास कीजिए। इन्डेक्स फिंगर का इस्तेमाल करते हुए अपने कान के ऊतक या कान के हिस्से के आप-पास उंगली को त्रिकोण बनाते हुए रखें। अब धीरे-धीरे इसे दबाएं और इस दौरान अपने जबड़े को खोलते और बंद करते रहें। जितना हो सके अपने उंगली को एक जगह पर स्थिर रखें। यह हिस्सा आपके जबड़े और कान के बीच का सबसे सक्रिय हिस्सा है। अब जबड़े को हिलाना बंद करें और 1 मिनट तक उस हिस्से को उलगी से दबाएं। रोजाना इसका एक मिनट अभ्यास करें।

(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए व्यायाम)

इस बात का ध्यान रखें कि ये कोई जादू की छड़ी नहीं है कि आपने हाथ में लिया और आपका वजन कम होगा गया। आप जितना वजन कम करना चाहते हैं, उसके लिए इस तकनीक के साथ-साथ आपको स्वस्थ आहार और थोड़ा व्यायाम भी करना होगा। 15 मिनट कॉर्डियों एक्सरसाइज करें और साथ ही स्वस्थ और संतुलित आहार लें।

(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए डाइट चार्ट)

ये तकनीक बेहद आसान है और इसके लिए आपको अधिक समय की भी जरूरत नहीं है। आप अपने व्यस्त दिनचर्या में से मात्रा 1 मिनट निकालकर अपना वजन कम कर सकते हैं। यह एक्यूप्रेशर तकनीक वजन कम करने में बेहद प्रभावी है, इसे आपको जरूर अपनाना चाहिए।

(और पढ़ें - एक्यूप्रेशर से वजन घटाने के तरीके)



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Thursday, January 25, 2018

कुछ आवश्यक तथ्य जो आपको पता होने चाहिए ब्रेस्ट कैंसर के बारे में

बाकि और सभी कैंसर की तरह ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) भी शरीर में ख़राब टिश्यू उत्पन्न होने की वजह से होता है। ख़राब टिश्यू होने के कारण शरीर की कोशिकायें बढ़ जाती है और फिर स्तन कैंसर के रूप में ये कैंसर बनकर आपके सामने आता है। स्तन कैंसर आपके दूसरे हिस्सों में भी कैंसर की बिमारी पैदा कर सकता है और धीरे-धीरे ये पूरे शरीर में फैल सकता है। 

एक शोध में पाया गया है कि 8 में से एक महिला को स्तन कैंसर हो सकता है। भारतीय शहरों में महिलाओं को होने वाले सभी कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है और ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह दूसरा सबसे आम किस्म का कैंसर है। बताया जाता है कि, महिलाओं को होने वाले कैंसरों में 25% से 32% केस ब्रेस्ट कैंसर के ही होते हैं।

तो हर महिला को इसके बारे में कुछ आवश्यक तथ्य मालूम होने चाहिए, जो हम यहाँ दे रहे हैं -



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Tuesday, January 23, 2018

होठों का कालापन दूर करने और गुलाबी बनाने के उपाय

होठों का कालापन दूर करना कौन नहीं चाहता क्योकि सभी लोग चाहे वो महिलाए हो या पुरुष अपने होठों को मुलायम और गुलाबी देखना चाहते हैं। सभी लोग जानते हैं कि सुंदर होठों से मुस्कुराहट भी बेहद खुबसूरत दिखती है। लेकिन जब होठ पिग्मेंटेड (pigmented) और काले हो जाते हैं तो ये समस्या आपकी मुस्कुराहट से सुंदरता को खींच लेती है।

काले और पिग्मेंटेड होठों की समस्या आजकल बढ़ती जा रही है। होंठ काले होने के कारण बहुत से है जैसे अत्यधिक चाय या कॉफ़ी पीना, धूम्रपान, सूरज के सामने अधिक रहना और होठों की देखभाल न करना होठों के कालेपन की परेशानी को बढ़ाते हैं। लेकिन फ़िक्र मत करिये आप महंगे लिप स्क्रब और बाम के अलावा खुद से भी आसान लिप पैक बना सकते हैं। इनके इस्तेमाल से डार्क लिप्स और पिगमेंटेशन दोनों ही धीरे धीरे कम होने लगेंगे। साथ ही इनके लगातर उपयोग से आपके होंठ गुलाबी और लाल दिखने लगेंगे।   

तो आइये जानते हैं होठों का कालापन दूर करने और उन्हें लाल तथा गुलाबी करने के लिए घरेलू उपाय नुस्खे के बारे में-



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Monday, January 22, 2018

कुछ ही दिनों में करें बगल का कालापन दूर

क्या आप स्लीवलेस टॉप्स और कुर्ते अपनी काली अंडरआर्म्स की वजह से नहीं पहन पाती हैं? बगल के काले होने के कारण बहुत महिलाएं इस समस्या का सामना करती हैं। यह विशेष रूप से भारतीयों के बीच एक आम समस्या है। अंडरआर्म्स के कालेपन का मुख्य कारण डीयोडरेंट्स या प्रतिस्वेदक या फिर शेविंग हो सकते हैं। यह उस क्षेत्र में मृत त्वचा कोशिकाओं के संचय के कारण भी हो सकता है। आप अपने काले अंडरआर्म्स से छुटकारा पाने के लिए इन सरल घरेलू उपचारो का उपयोग कर सकते हैं -



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कोहनी और घुटनों का कालापन कैसे दूर करें

क्या आप अपनी कोहनी और घुटनों के कालेपन की वजह से शर्मिंदा महसूस करते हैं? क्या आप छोटी बाजू के कपड़े और शॉर्ट्स इसलिए ही नहीं पहनते? चलिए कुछ प्राकृतिक तरीकों पर नज़र डालते हैं जो आपकी कोहनी और घुटनों के काले रंग से छुटकारा पाने में मदद करेंगे और आपके हाथों और पैरो को सुंदर करेंगे।



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शीघ्रपतन (शीघ्र स्खलन) रोकने के घरेलू उपाय

शरीर और स्वास्थ्य से जुडी कोई भी समस्या हमें परेशान करती है, लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो एक व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप दोनो से अत्यधिक परेशन करती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है शीघ्रपतन (Premature ejaculation)। यह बीमारी दोनों पार्टनर में चिंता और अवसाद जैसी नकारात्मक भावना को जन्म दे सकती है।

अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं तो चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि ऐसे कुछ घरेलू उपाय हैं जिनके इस्तेमाल से आपको शीघ्रपतन की समस्या कम करने में मदद मिलेगी।



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खर्राटे रोकने के घरेलू उपाय

खर्राटे लेना एक बहुत ही आम समस्या है। इसकी वजह से पूरी दुनिया में बहुत से लोग प्रभावित हैं। यह कष्टकारी ध्वनि आपकी नींद को तो बाधित करती ही है साथ ही आपके साथी को भी परेशान करके रख देती है। खर्राटे तब शुरू होते हैं जब गले का ढांचा कंपन करने लगता है जिस वजह से गले से तेज़ ध्वनि निकलना शुरू हो जाती है। इसे अक्सर नींद विकार माना जाता है और ज़्यादा खर्राटे की परेशानी की वजह चिकित्सा और सामाजिक कारणों से जुडी होती है। इसलिए अगर आपको खर्राटों की आदत है तो इस समस्या का समाधान ज़रूर करें।

खर्राटों के इलाज के लिए कई उत्पाद उपलब्ध हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर प्रभावी साबित नहीं हुए हैं। खर्राटों के लिए कोई चमत्कार इलाज भी नहीं है लेकिन आप अपने जीवन शैली में परिवर्तन करके और आसान घरेलू उपायों से अपने खर्राटों को नियंत्रित कर सकते हैं। (और पढ़ें - खर्राटों से छुटकारा पाने के लिए ज़रूर पिएं ये जूस)

तो आज हम आपको खर्राटों से छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे जिनके इस्तेमाल से आप तो चैन से सो ही पाएंगे साथ ही अपने पार्टनर को भी सुकून की नींद सोने देंगे।



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Saturday, January 20, 2018

आंखों के नीचे काले घेरे को दूर करें इस आसान तरीके से

काले घेरे के गठन के पीछे मुख्य कारणों में से कुछ हैं - आनुवंशिकता, उम्र बढ़ना, शुष्क त्वचा, लगातार रोना, कंप्यूटर के सामने देर तक काम करना, मानसिक या शारीरिक तनाव, नींद की कमी और अस्वस्थ आहार। विभिन्न आयु वर्ग के पुरुषों और महिलाओं को काले घेरे पड़ सकते हैं।

सामग्री -

ताज़ा खीरे के रस का एक छोटा चम्मच
कच्चे शहद का एक बड़ा चम्मच
एक छोटा चम्मच ताज़ा कद्दूकस आलू

आंखों के नीचे काले घेरे को दूर करें इस आसान तरीके से

एक पेस्ट बनाने के लिए सभी सामग्री मिलाएं। साफ त्वचा पर मास्क लगाएँ और 20 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर धो लें और आइ क्रीम लगा लें।

काले घेरे एक गंभीर त्वचा की समस्या नहीं है, लेकिन लेकिन इनसे आप थके हुए, बूढ़े और अस्वस्थ लगते हैं। आप आसानी से अपनी आँखों के काले घेरों से छुटकारा पा सकते हैं इन घरेलू उपचारों से।

(और पढ़ें - आँखों के काले घेरे हटाने के घरेलू उपाय)



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घर पर बनी ये अंडर आई क्रीम्स करेंगी आँखो की सभी परेशानियों को दूर

डार्क सर्कल्स, बारीक लाइन (Fine lines) आदि आपकी आँखों की सुंदरता को बिगाड़ देते हैं। इससे आप बूढ़े, थके हुए, बीमार और बदसूरत दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में आप कब तक कंसीलर और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों की मदद लेंगें। कॉस्मेटिक उत्पादों में कई रसायन होते हैं जो रोम छिद्र को बंद कर देते हैं। इसलिए आज हम आपको घर पर बनी आई क्रीम के बारे में बताने जा रहे है जो आंखों के चारों ओर त्वचा को हल्का करने, कसने और त्वचा को फिर से जीवंत करने में मदद करेंगी।



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डार्क सर्कल्स, झुर्रियां, फाइन लाइन्स दूर करने का एक ज़बरदस्त फॉर्मुला

यह होम रेमेडी आखों के काले घेरों, झुर्रियों, फाइन लाइन्स, पफी आइज़ को दूर करने में मदद करेगी।

इस नुस्खे के बारे में जानने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि डार्क सर्कल्स, रिंकल्स आदि होने के क्या कारण हैं। पानी कम पीना, तनाव होना, सात से आठ घंटे ना सोना, ठीक डाइट ना लेना, गुर्दे की कोई समस्या होना डार्क सर्कल्स, झुर्रियां, फाइन लाइन्स होने के मुख्य कारण हैं।



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डार्क सर्कल्स हटाने के लिए क्या है सेहतमंद आहार

आंखें ना सिर्फ हमारे जीवन के लिए अनमोल तोहफा हैं बल्कि यह हमारी सुंदरता में भी एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन जब आंखो के नीचे डार्क सर्कल्स हो जाते हैं तो यह हमारी सुंदरता के बीच एक रुकावट बनते हैं। आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे शरीर में पोषक तत्वों की कमी , नींद न आना, मानसिक तनाव रहना या फिर बहुत ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करना आदि।

आंखों के नीचे की त्वचा काफी पतली व संवेदनशील होती है। कोलेजेन के कम होने के कारण कई बार त्वचा पतली होने लगती है और त्वचा अपनी कसावट खो देती है। त्वचा के इस तरह पतले हो जाने से आंखों के नीचे रक्त वाहिनियां दिखने लगती हैं। त्वचा के नीचे की रक्त वाहिनियां ही डार्क सर्कल्स का कारण बनती है। डार्क सर्किल हाइपरपिगमेंटेशन के कारण भी हो सकते हैं। इसके अलावा जिन महिलाओं में हीमोग्‍लोबिन का स्‍तर काफ़ी कम होता है उनमें डार्क सर्कल्स होने की संभावना अधिक होती है।

डार्क सर्कल्स को रोकने के लिए पर्याप्त नींद लेने के अलावा, बहुत सारा पानी पीने और तनाव से दूर रहने और स्वस्थ आहार के सेवन से मदद मिलेगी।



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आँखों के काले घेरे हटाने के घरेलू उपाय

आज की बदलती जीवन शैली के कारण कई समस्याएं होने लगी हैं। और इन समस्याओं का सीधा असर हमारे शरीर पर दिखाई देता है, विशेष रूप से हमारी आंखों पर। खूबसूरत दिखने में आँखो का बहुत बड़ा योगदान होता है। अगर किसी की आँखे सुंदर हों तो वो हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। लेकिन जब इन्हीं आँखो के नीचे काले धब्बे या घेरे हो जाते हैं तो हमारी सुंदरता आधी हो जाती है। आँखो के नीचे पड़ने वाले इन काले धब्बों को डार्क सर्कल्स कहा जाता है। देर रात तक जागना, स्ट्रेस लेना, घंटो कंप्यूटर पर बैठना, ग़लत खानपान और पोषक तत्वों की कमी इसके मुख्य कारण हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए हम विभिन्न महंगे उत्पादो का उपयोग करते हैं लेकिन ये भी असरदार नहीं होते हैं। इनको छिपाने के लिए मेकअप एक अच्छा तरीका है, लेकिन आप पूरा दिन तो मेकअप लगा कर नहीं रख सकते हैं। इसलिए यहां कुछ ऐसे प्राकृतिक तरीके बताए जा रहे हैं जो डार्क सर्कल्स से छुटकारा दिला सकते हैं -



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आँख के नीचे काले घेरों से छुटकारा पाएं केवल एक हफ्ते में

आज के युग में हर कोई सुंदर दिखना चाहता हैं, महिला हो या पुरुष। किंतु आपकी सुंदरता को दाग लगाने के लिए आपके चेहरे पर आंखों के नीचे काले घेरे (dark circles) ही काफी हैं। क्या आप भी इस समस्या से परेशान हैं? आंखों के नीचे काले घेरे एक आम कॉस्मेटिक मुद्दों में से एक है, जो सामान्य रूप से अधिक अनावरण तनाव, स्वास्थ्य समस्याओं, नींद की कमी, अस्वस्थ आहार और जीवन शैली के परिणाम हैं। सभी उम्र की महिलाओं सहित बच्चे भी इस स्थिति के साथ प्रभावित हो सकते हैं।

आंखों के नीचे काले घेरे आपके पूरे व्यक्तित्व को भी प्रभावित कर सकते हैं जैसे की आप अस्वस्थ और वृद्ध लग सकते हैं, बुरी तरह थके हुए लग सकते हैं आदि।

यह अद्भभुत घरेलु उपचार आपकी मदद कर सकता है जल्दी और आसानी से आपकी आंखों के नीचे काले घेरों से छुटकारा दिलाने में। इसके लिए आपको आवश्यकता होगी:
dark circles kaise khatam karein

सामाग्री - 

  •  कसे हुए कच्चे आलू का रस
  • शहद
  • खीरे का रस

बनाने की विधि - 

  • सबसे पहले, आपको सामग्री को एक साथ मिलाकर एक पेस्ट बनाने की जरूरत है।
  • फिर आप अच्छी तरह से अपनी त्वचा को साफ कर लें।
  • अब इस पेस्ट को आंखों के नीचे लगा लें।
  • 20 मिनट के लिए इसे लगाकर छोड़ दें। उसके बाद आप इसे ठंडे पानी से धो लें।
  • इस प्रक्रिया को ख़त्म कर लेने के बाद एक मॉइस्चराइज़र लगा लें।
  • कुछ ही समय में आप परिणाम से चकित हो जाएँगे।

(और पढ़ें - आँखों के काले घेरे हटाने के घरेलू उपाय)



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एक चमत्कारी उपाय जिससे आप लंबे बाल पाएं

इस वीडियो में हम आपको अपने बाल लंबे करने के अच्छे तरीके बतायेंगे| इस वीडियो में आपको प्याज के रस, कलौंजी और बहुत सारे और तरीके बताए जाएँगे जिससे अपपके बाल होंगे मजबूत और बढ़ेंगे बहुत तेज़ी से।



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अपनाइये ये ज़बरदस्त तरीके चाहियें अगर सुन्दर काले बाल

हर महिला लंबे काले बाल पाना चाहती है। बालों को डाई करने के लिए बाज़ार में कई तरह के रासायनिक शैंपू और लोशन उपलब्ध हैं जिनका लंबे समय तक उपयोग करने से त्वचा और बालों को नुकसान पहुँचता है। बिना किसी नुकसान के आप इनकी जगह घरेलू प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करके, बालों को काला कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि इन प्राकृतिक तरीको से बालों का रंग काला बनाए रखने के लिए इन्हें कई बार करने की आवश्यकता है। यह प्राकृतिक उपाए आपके बालों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकते हैं:-

(और पढ़ें - सफेद बालों को काला करने के उपाय)



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सफेद बालों को काला करने के लिए तेल

जब बालों की बात होती है तो काले घने और लंबे बाल ही हर किसी का सपना होते हैं जो किसी भी व्यक्ति या महिला की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं लेकिन उन्हीं बालों में अगर एक भी सफ़ेद बाल नज़र आ जाये तो मानो चाँद में ग्रहण लग जाता है। 

(और पढ़ें – बाल सफेद होने के कारण और रोकने के उपाय)

बालों के सफ़ेद होने का दर्द वास्तविक होता है। लेकिन आजकल ग्लोबल वार्मिंग, खाने में मिलावट, हेयर कलर का उपयोग आदि अनेक कारणों से कम उम्र में बालों के सफ़ेद होने की समस्या तेज़ी से बढ़ रही है। लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल भी नहीं है कि आप फैशन करना बंद कर दें। बाजार में उपलब्ध शैम्पू, हेयर कलर, तेल आदि बालों से जुड़े सभी सामान में रसायनों के कारण बाल झड़ने और सफ़ेद होने की समस्या गंभीर हो गयी है। 

(और पढ़ें - सफेद बालों के घरेलू उपाय)

आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं सफ़ेद बालों को काला करने के लिए घर में हेयर आयल तैयार करने के नुस्खे :



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बालों के झड़ने और सफेद होने से रोकने के लिए आयुर्वेदिक सुझाव

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, बालों का विकास आपकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। जब आप खुश होते हैं, तो आपके बाल जीवंत दिखते हैं। लेकिन जब आप उदास होते हैं, तो आपके बाल बेजान हो जाते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक बालों के निर्माण के लिए जिम्मेदार ऊतक बालों का विकास भी करते हैं। प्रारंभिक बालों का झड़ना शरीर के प्रकार और दोष के संतुलन से संबंधित है। 

आयुर्वेद में, बालों के झड़ने को खालित्य (khalitya) के रूप में जाना जाता है और बालों का समय से पहले सफ़ेद होना पलतिया (Palitya) के रूप में जाना जाता है। दोनों खालित्य और पलतिया को शुद्ध पाटिक विकार (जो कि आपके पित्त दोष असंतुलन से उत्पन्न होता हैं) माना जाता है। इसलिए जब आप लगातार पित्त (अपने शरीर में गर्मी) को परेशान करते हैं, तो यह आपके हेयर को ग्रे कर सकता है।



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दाढ़ी और मूंछ के सफेद बाल काले करने का घरेलू उपाय

काफी पुरुषों के दाढ़ी और मूंछ के बाल कम उम्र में ही सफेद हो जाते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि आपके परिवार में यदि आपके पिता के बाल जल्दी सफेद हुए थे, तो उसका असर भी आप पर हो सकता है। साथ ही तनाव, डिप्रेशन, नींद पूरी ना होना, नशीली चीज़ों का सेवन करना, ठीक आहार ना खाना, गर्मी वाली चीज़ें ज़्यादा खाना भी इसका कारण हो सकते हैं।

(और पढ़ें - दाढ़ी और मूछ बढ़ाने के घरेलू उपाय)

दाढ़ी और मूंछ के सफेद बाल काले करने का एक असरदार इलाज है कढ़ी पत्ता - 

(और पढ़ें - कढ़ी पत्ते के फायदे)

दाढ़ी और मूंछ के सफेद बाल काले करने का घरेलू उपाय

आप 20-25 कढ़ी पत्तों को 100 मिलीग्राम पानी में तब तक उबाल लें जब तक पानी आधा ना रह जाए। फिर इसे छान लें और एक चम्मच आँवला पाउडर मिला लें। इसे रोज़ पिएं।

इसके अलावा आप कढ़ी पत्ते को नारियल के तेल के साथ भी उपयोग कर सकते हैं। 50 ग्राम नारियल के तेल में 20-25 कढ़ी पत्तों को उबाल लें, इसे ठंडा होने पर दाढ़ी और मूंछ की इससे मालिश करें।
क्योंकि कढ़ी पत्ता बालों को काला करता है, यह दाढ़ी और मूंछ, साथ ही सिर के बालों को भी काला करने में बहुत फ़ायदेमंद है।

इसके अलावा खाने में हरी सब्ज़ी, फल, दाल, दूध और दही का सेवन करना चाहिए। जंक फूड नही खाना चाहिए। चाय, काफ़ी और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन कम करना चाहिए।



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Friday, January 19, 2018

करें ये 5 मिनट का व्यायाम, पतली जांघ पाना होगा आसान

आजकल की जीवनशैली की वजह से अधिकतर लोगों को जांघों पर ज्यादा चर्बी की समस्या हो जाती है। और इस समस्या की वजह से आप अपनी पसंदीदा जीन्स का भी मज़ा नहीं ले पा रहे होंगे। तो पसंदीदा जीन्स को पहनने के लिए ज़रूरी है कि आप अपनी जांघों की चर्बी को घटाएं। और चर्बी घटाने के लिए रोज़ नियमित वर्कआउट करें। वर्कआउट की मदद से शरीर स्वस्थ रहता है और चर्बी को भी कम करने में मदद मिलती है।

(और पढ़ें - वजन कम करने के घरेलू नुस्खे)

तो आज हम आपको इस वीडियो की मदद से कुछ बेहतरीन वर्कआउट बताने हैं जिनको करके आप अपनी जांघो को आसानी से पतला कर पाएंगे।

(और पढ़ें - जाँघों और कूल्हों को कम करने के लिए योग)

आइये करते हैं फिर शुरू –

  1. सबसे पहले आपको स्क्वाट अवस्था में खड़ा होना है। फिर अपने बाए पैरों को बायीं ओर लेकर जाएँ और फिर से उसी अवस्था में वापस आ जाएँ। इसी तरह इस वर्कआउट को 4-5 बार करें। इस वर्कआउट को दायें पैर से भी करें। 
  2. फिर अपने दाएं पैर को दायी तरफ लेकर जाएँ। अब दाएं पैर को फिर बाएं पैर से मिला लें। अब दायें पैर को पीछे की तरफ लेकर जाएँ। ले जाने के बाद दाएं पैर को झुका लें और फिर वापस बाएं पैर से दाएं पैर को मिला लें। इस वर्कआउट को 5-6 बार करें और फिर दूसरे पैर से भी इस वर्कआउट को 5-6 बार दोहराएं। इससे आपकी जाँघों पर दबाव बनेगा और जगहों की चर्बी कम होने लगेगी। साथ ही इससे पैरों की मांसपेशियां भी टोन होंगी।
  3. फिर अपने दोनों पैरों को खोलें और थोड़ा सा शरीर को झुका लें। अब पैरों को पंख की तरह आगे पीछे हिलाएं। पांच की गिनती तक पैरों को हिलाएं। फिर थोड़ा झुकें और अपनी पुरानी अवस्था में वापस आ जाएँ। फिर से यही वर्कआउट 4-5 बार दोहराएं। इससे जांघों की मांसपेशियों पर खिचाव आएगा और जमा चर्बी धीरे धीरे कम होती नज़र आएगी।
  4. अब घुटनों को मोड़कर बैठ जाएँ। फिर दोनों हाथों को ज़मीन पर रख लें। जैसे वीडियो में दिखाया गया है। फिर दाया पैर उठायें और फिर उसे गोल गोल घुमाएं। इस वर्कआउट को 3-4 बार दोहराने की कोशिश करें। अब बाया पैर उठायें और इस पैर से भी यही प्रकिया को 3-4 बार दोहराएं। इस वर्कआउट को रोज़ाना करने से जांघ धीरे धीरे पतली होने लगेंगी और मांसपेशियां भी मजबूत बनेंगी।
  5. इस वर्कआउट के बाद अब एक तरफ करवट लेकर लेट जाएँ। फिर दाएं पैर को मोड़ लें और बाएं पैर को ऊपर उठायें। फिर नीचे लेकर आएं। ऐसे ही दाएं पैर को ऊपर नीचे 1 मिनट तक हिलाएं। फिर इसी तरह दूसरे पैर से भी एक मिनट तक ये वर्कआउट करें। इससे आपके दोनों में स्थिरता बनेगी और रक्त का प्रवाह भी बेहतर होगा। साथ ही जांघों को भी कम करने में मदद मिलेगी।

(और पढ़ें - हिप्स और थाई कम करने के टिप्स)

तो जांघों की चर्बी कम करने के लिए इस पांच मिनट के व्यायम को रोज़ाना करें। यकीन मानिये आपको एक महीने के भीतर ही फर्क नज़र दिखने लगेगा।

 

(और पढ़ें - जांघ के लिए व्यायाम)



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Thursday, January 18, 2018

सीने में जलन

सीने में जलन (Heartburn) क्या है?

सीने में जलन को आम बोलचाल की भाषा में 'दिल में जलन' (Heartbunrn) भी कहा जाता है, जबकी दिल से इस समस्या का कोई रिश्ता नहीं होता। हालांकि, इसके कुछ लक्षण दिल का दौरा और अन्य ह्रदय संबधी रोगों के समान भी होते हैं।

सीने में जलन एसिड भाटा का एक सामान्य लक्षण होता है। यह एक ऐसी स्थिति होती हैं, जिसमें पेट की सामग्री (भोजन) एक दबाव के द्वारा वापस गले में आने की कोशिश करती हैं, जिस कारण से सीने के निचले हिस्से में जलन होने लगती है।

जलन इसलिए होती है, क्योंकि पेट की सामग्री वापस इसोफेगस में आ जाती है। इसोफेगस एक प्रकार की नली होती है, जो खाने को मुंह से पेट तक लेकर जाती है। सीने में जलन के साथ अक्सर गले या मुंह में एक कड़वा स्वाद भी महसूस होता है। ज्यादा खाने से या लेट जाने से इसके लक्षण और अधिक बढ़ सकते हैं।

(और पढ़ें - हृदय रोग का उपचार)



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साइटिका के लिए योग

साइटिका के लिए मुख्यधारा के इलाज के अलावा आपके पास योग जैसा गैर-चिकित्सा विकल्प भी मौजूद हैं। कुछ योग आसन साइटिका से होने वाले पीठ दर्द और पैर के दर्द में मदद कर सकते है। रिसर्च में यह पाया गया कि कुछ योग आसन कटिशूल या सामान्य रूप से दर्द को कम करने में, आगे की ओर झुकने की परेशानी में सहायता कर सकते हैं। इसके अलावा, साइटिका के साथ जुड़े अन्य लक्षण - जैसे दर्द के प्रति संवेदनशीलता या कठोरता और चलने में परेशानी में योग आसन और स्ट्रेचेस के अभ्यास के बाद कमी हो सकती हैं।

साइटिका दर्द से राहत पाने के लिए हम यहां आपको बता रहे हैं कुछ बेहतरीन योग। वे आपकी परेशानी को कम करके शारीरिक मूवमेंट को बहाल करने में उपयोगी हो सकते हैं। एक योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में ये योग अभ्यास शुरू करें। अगर किसी आसन को करने से परेशानी होती हैं, तो जबर्दस्ती न करें क्योंकि वे आपकी स्थिति बिगाड़ सकते हैं।



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कंधे में दर्द

जब कंधे में कुछ समस्या होती है, तो कंधे के हिलने-ढुलने में बाधा उत्पन्न होने लगती है। दर्द और बेचैनी के अलावा इससे आपके जीवन में और कई परेशानियां हो सकती हैं।

कंधों का जोड़ शरीर का सबसे गतिशील जोड़ है जो कंधे को आगे और पीछे ले जाने का काम करते हैं। कंधे के जोड़ की मदद से बाजुओं को चारों ओर तथा इर्द-गिर्द घूमने में मदद मिलती हैं।

(और पढ़ें - जोड़ों में दर्द के घरेलू उपाय)

कंधे के हिलने-ढुलने व घूमने की सीमा रोटेटर कफ (कंधों को घुमानेवाली पेशी) द्वारा निर्धारित की जाती है। रोटेटर कफ चार टेंडन्स से मिलकर बना होता है। टेंडन वे रेशेदार ऊतक होते हैं, जो हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ते हैं। अगर रोटेटर कफ के आस-पास के टेंडन्स क्षतिग्रस्त या उनमें सूजन आई हुई है, तो बाजुओं को सिर को ऊपर की तरफ उठाने में दर्द या कठिनाई अनुभव हो सकती है।

कंधे किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम से क्षति ग्रस्त हो सकते हैं, जैसे खेल-कूद, काफी देर तक या बार-बार एक ही मूवमेंट करना। कुछ ऐसे रोग भी हैं, जिनसे कंधों में दर्द होने लगता है। इनमें गर्दन की सरवाइकल हड्डियां, साथ ही लिवर, हृदय या पित्ताश्य संबंधी रोग शामिल हैं।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ कंधों में दर्द होने की संभावना भी बढ़ जाती है। विशेष रूप से 60 साल से ज़्यादा उम्र में यह समस्या आम हो जाती है, क्योंकि उम्र के साथ-साथ कंधे के आस-पास के ऊतक नष्ट या खराब होने लगते हैं। 

कंधों में दर्द के ज्यादातर मामलों का इलाज घरेलू नुस्खों से किया जा सकता है, हालांकि, "फिजिकल थेरेपी" (physical therapy), दवाएं या सर्जरी भी आवश्यक हो सकती है।



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योनि के अस्तर का पतलापन (वैजिनल एट्रोफी)

वैजिनल एट्रोफी, जिसे एट्रोफिक वैजिनाइटिस भी कहा जाता है, के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण, योनि का अस्तर पतला और सूखने लगता है, साथ ही योनि की दीवारों में सूजन भी आ जाती है। वैजिनल एट्रोफी सबसे अधिक रजोनिवृत्ति के बाद होती है, लेकिन यह स्तनपान या किसी भी ऐसे समय हो सकती है जब आपके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाये।

कई महिलाओं को वैजिनल एट्रोफी की वजह से संभोग के दौरान दर्द का अनुभव होता है, जिस कारण सेक्स में आपकी रुचि स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है। इसके अलावा, स्वस्थ जननांगों का सीधा सम्बन्ध स्वस्थ मूत्र प्रणाली से होता है।

वैजिनल एट्रोफी के लिए सरल और प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं। एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण आपके शरीर में अनेकों परिवर्तन होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि आपको वैजिनल एट्रोफी की असुविधा के साथ रहना होगा।

(और पढ़ें - योनि सम्बन्धी समस्याएं)



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Wednesday, January 17, 2018

सूरज के प्रकाश और वजन बढ़ने का सम्बन्ध

सर्दियों में वजन बढ़ने की वजह क्या है? एक नयी रिसर्च से पता चला है की आपके फिट और स्लिम रहने के कई उपाय करने के बावजदूत क्यों सर्दियों में आपका वजन बढ़ता चला जाता है। ये सच है कि अन्य मौसम के मुकाबले में हम लोग छुट्टी के दिनों में अधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाते हैं, लेकिन सर्दियों में वजन बढ़ने का ये कारण सच में आश्चर्यजनक है।

क्या आपको पता है कि सर्दियों में सूर्य की अनुपस्थिति की वजह से आपका वजन बढ़ता है? एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है। आइये बताएं आपको इसके बारे में - 

(और पढ़ें - वजन बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज)

क्या पाया गया रिसर्च में?

वसा कोशिकाएं आपकी त्वचा के ठीक नीचे होती हैं, जो सूर्य के प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं। कनाडा में अल्बर्टा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार, जब ये वसा कोशिकाएं सूर्य से निकलने वाले नीले प्रकाश के संपर्क में आतेी हैं, तब ये सिकुड़ जाती हैं। इसका मतलब की सर्दियों में सूरज की रौशनी कम होना वजन बढ़ने का कारण बनता है।

इस अध्ययन के लेखक पीटर लाइट बताते हैं कि, "जब सूर्य के नीले प्रकाश की तरंग दैर्ध्य (wavelengths; प्रकाश की वो किरणें जिन्हे हम अपनी आंखों से देख सकते हैं) आपकी त्वचा के भीतर प्रवेश करके वसा कोशिकाओं तक पहुंचती है, तो ये कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं और इनसे वसा बाहर आ जाता है। इसका मतलब है कि सूर्य के प्रकाश से संपर्क में रहने पर आपकी कोशिकाएं बहुत अधिक मात्रा में वसा संग्रहित नहीं कर पाती हैं।"

आगे पीटर लाइट कहते हैं, "अगर इस खोज को पलट कर देखें तो, जो लोग उत्तरी यूरोप जैसी जगहों पर रहते हैं जहाँ उन्हें साल के 8 महीने पर्याप्त सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पाता है, वह लोग सूर्य की अनुपस्थिति की वजह से ही अपने आप मोटे होते चले जाते हैं।"

(और पढ़ें - वजन बढ़ाने के लिए क्या खाएं)

क्या लाभ है इस खोज का?

इस अध्ययन का मतलब है कि पतला होने के लिए आपको धूप में रहना चाहिए या मोटा होने के लिए धूप से बचना चाहिए

अगर आप वजन कम करना चाह रहें है तो ज़रा सावधान रहिये - सूर्य की रौशनी को वजन कम के आसान तरीके के रूप में अभी इस्तेमाल न करें क्योंकि ये एक प्रारंभिक अध्ययन है। इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है कि ये उपाय सुरक्षित है। उदाहरण के लिए इस बात का पता नहीं चला है कि सूर्य के प्रकाश की कितनी तीव्रता की आवश्यता है और कितनी समय अवधि के लिए धुप में रहना चाहिए।

(और पढ़ें - वजन बढ़ाने के लिए योगासन)

हांलाकि उन्होंने कहा कि भविष्य में वैज्ञानिक खोज से नए रास्ते खुल सकते हैं और किसी औषधीय या प्रकाश के माध्यम से मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान हो सकता है। 

वो ये भी कहते हैं कि शायद इस खोज के आधार पर हम ये भी साबित कर सकें कि जिस तरह आँखों के माध्यम से प्राप्त की गयी सूरज की रौशनी आपकी दिवसीय लय (Circadian rhythm) को प्रभावित करती है (यानि सूर्य के प्रकाश के अनुसार हमारे सोने और जागने की आदत बनी हुई है), उस ही तरह आपकी त्वचा के माध्यम से प्राप्त सूरज की रोशनी आपकी वसा कोशिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। यानि हो सकता है ठीक इसी प्रकार इंसान के अंदर जमा फैट का बर्न होना मौसम पर आधारित करता हो। इसलिए कहा जा सकता है कि सर्दियों में आपका वजन बढ़ता है और गर्मियों में कम होता है। 

(और पढ़ें - मोटा होने के उपाय)

कैसे की गयी ये रिसर्च?

बायोइंजिनियारों ने इस बात का पता लगाया कि प्रकाश की प्रतिक्रिया में वसा कोशिकाएं इंसुलिन का उत्पादन करती हैं, जो टाइप 1 डायबिटीज रोगियों के लिए सहायक होते हैं। हमने मानव ऊतक कोशिकाओं के नकारात्मक नियंत्रण प्रयोगों में इसकी प्रतिक्रिया को देखा, जिसका साहित्य मे कहीं भी जिक्र नहीं है। ये हमारे आगामी खोज के लिए बहुत उपयोगी है। पीटर लाइट का कहना है कि इसके आकस्मिक लाभ हो सकते हैं।

(और पढ़ें - डायबिटीज का घरेलू उपचार)

संक्षेप में - 

शोधकर्ताओं का कहना है कि सूरज के प्रकाश और मानवी शरीर में वसा के एकत्रित होने का संबंध हो सकता है। उनके निष्कर्षों के अनुसार सूर्य की हल्की रौशनी वसा कोशिकाओं को कम कर सकती है। या इसके विपरीत, वजन बढ़ाने के लिए धुप सेबचना चाहिए। ये रिसर्च अभी नयी है, और निश्चित रूप से कुछ कह पाने के लिए इस पर आगे काम होना ज़रूरी है।

(और पढ़ें - वजन बढ़ाने का डाइट चार्ट)



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Tuesday, January 16, 2018

गठिया (आर्थराइटिस) का आयुर्वेदिक इलाज

कम प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण हो रही जोड़ों की सूजन को गठिया कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया मुख्यतः ख़राब वात दोष के कारण होता है और गठिया को इसके मूल कारणों और वात दोषों के आधार पर आयुर्वेद में तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं या पेन किलर्स आपके गुर्दे, पेट, लिवर और हृदय पर गंभीर दुष्प्रभाव छोड़ सकती हैं, वहीं आयुर्वेद दवाएं काफी सुरक्षित हैं और वह रोग के मूल कारणों को कम करके रोग का इलाज करती हैं ।

रुमेटी गठिया को आयुर्वेद में आमवात के नाम से जाना जाता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार रुमेटी गठिया ख़राब अमा और वात के कारण होता है। ख़राब पाचन के कारण पैदा हुए विषाक्त पदार्थ को अमा कहते हैं और वात एक प्रकार का दोष या जैविक ऊर्जा है। अमा पूरे शरीर में फैल कर कमजोर जोड़ों पर जमा होता है, फिर वात तेज हो जाता है। इससे सूजन पैदा होती है जो आखिर में गठिया या आमवात में परिवर्तित हो जाता है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस को आयुर्वेद में संधिगत वात के सामान माना जाता है। यह तब होता है जब असंतुलित वात जोड़ों को अपना घर बना लेते हैं। रजोनिवृत्ति के प्रभाव के कारण यह महिलाओं में अधिक होता है। यह आम तौर पर घुटनों, एड़ियों, रीढ़ की हड्डी और कूल्हों के जोड़ को प्रभावित करता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब शरीर में कैल्शियम कम होने लगता है या उम्र के प्रभाव के कारण बुढ़ापा आने लगता है। (और पढ़ें - सर्दियों के मौसम में जोड़ों के दर्द से हैं परेशान तो ये आयुर्वेदिक तेल करेंगे इसका समाधान

आयुर्वेदिक में गाउट को वात रक्त कहा जाता है। यह ख़राब वात और रक्त के कारण होता है। जब ख़राब वात और रक्त हाथों और पैरों की अँगुलियों की हड्डियों में जमा हो जाते हैं, तब वात रक्त होता है। यह नमकीन, मसालेदार और खट्टे खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण होता है। यह बहुत दर्दनाक स्थिति होती है और व्यक्ति को अपंग तक कर सकती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में अन्य प्रकार के गठिया का भी उल्लेख किया गया है लेकिन ये तीन मुख्य हैं।



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पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम) के घरेलू उपाय

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में प्रजनन से संबंधित एक हार्मोनल असंतुलन की समस्या है। हार्मोन में ज़रा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्र पर तुरंत असर डालता है। इस स्थिति की वजह से ओवरी में छोटा अल्सर (सिस्ट) बना जाता है। यह स्थिति घातक हो सकती है। अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है तो ना केवल ओवरी और फर्टिलिटी पर असर पड़ता है, बल्कि यह आगे चलकर कैंसर का रूप भी ले लेती है। (और पढ़ें – पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का मासिक धर्म पर असर और उसका उपचार)

यह सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होती है, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। अंडाशय (ओवरी) में यह सिस्ट जमा हो जाता है और उनका आकर भी धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, यह स्थिति पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कहलाती है। कभी भी यह समस्या ऐसी बन जाती है जिसमें महिला गर्भ धारण नहीं कर पाती है। (और पढ़ें – पीसीओएस के लिए योगासन)

असामान्य या लंबे समय तक मासिक धर्म, चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बालों का विकास, वजन बढ़ना, मुँहासे, तेल वाली त्वचा और श्रोणि में दर्द आदि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। यह संकेत और लक्षण हर व्यक्ति के लिए अलग अलग हो सकते हैं। यहाँ हम आपको पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लिए कुछ घरेलू उपचार बताने जा रहे हैं। इसके अलावा, उचित निदान और उपचार के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।



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महिलाएं पुरुषों से अधिक क्यों जीती हैं

जन्म से महिलाएं पुरुषों से ज्यादा जीने की क्षमता लेकर आती हैं। कुछ आकड़ों के अनुसार, अमेरिका में महिलाएं पुरुषों से लगभग 6.5 वर्ष, ब्रिटेन में 5.3 साल, रूस में 12 साल और भारत में लगभग 6 महीने अधिक जिन्दा रहती हैं।

इस सामाजिक विविधता से पता चलता है कि सामाजिक कारकों का पुरुषों और महिलाओं की दीर्घायु पर काफी प्रभाव पड़ता है। असल में महिलाओं के पास एक बायोलॉजिकल लाभ होता है लेकिन ऐतिहासिक रूप से उनके रहने का तरीका और सामाजिक रीति-रिवाजों ने इस लाभ को अस्वीकार करने का प्रयास किया है। उदाहरण के लिए, मासिक धर्म के कारण कभी कभी महिलाओं में रक्त की कमी हो जाती है जिस वजह से आयरन की कमी होने के कारण उन्हें एनीमिया हो जाता है जो पहले के समय में महिला मृत्यु दर में वृद्धि करता था। पुरुषों और महिलाओं के बीच सामाजिक अंतर और मां बनने की चुनौतियों ने महिलाओं के इस जैविक लाभ से भी समझौता किया है।

(और पढ़ें - महिला स्वास्थ्य)

एक्स (X) और वाई (Y) क्रोमोसोम स्तनधारियों सहित कई जीवों में लिंग का निर्धारण करने वाले दो गुणसूत्र हैं और ये पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाए जाते हैं। इन गुणसूत्रों द्वारा ही बच्चों को माता पिता से अनुवांशिकता द्वारा कुछ गुण जैसे रंग, नाक-नक्शा, लम्बाई और कुछ बीमारियां मिलती हैं।

महिलाओं की दीर्घायु के लिए जैविक आधार स्पष्ट है। हर प्रजाति की महिला पुरुषों से कुछ अपवादों की वजह से आगे होती है। आनुवंशिक परिवर्तन एक्स गुणसूत्र के कारण होते हैं, और महिलाओं को स्वाभाविक तौर पर दो "एक्स" गुणसूत्र मिले होते हैं, तो जब भी कोई आनुवंशिक परिवर्तन (Genetic mutation) होता है, तो उन दो में से एक एक्स गुणसूत्र बैकअप (एक के खराब हो जाने पर दूसरा उसकी जगह काम करता है) की तरह काम करता है। जबकि पुरुषों के पास केवल एक "एक्स" गुणसूत्र होता है जो कि उनके सभी जीन्स को व्यक्त करता है, चाहे वे क्षतिग्रस्त हो या न हो।

(और पढ़ें - 20 से अधिक की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुझाव)

महिला हार्मोन, विशेष रूप से एस्ट्रोजन और महिलाओं के शरीर का गर्भावस्था और स्तनपान के लिए लचीलापन भी उनकी दीर्घायु को बढ़ावा देता है। एस्ट्रोजन हार्मोन, रक्त में मौजूद लिपिड पर भी फायदेमंद प्रभाव डालता है और समय से पहले होने वाली दिल की बीमारी से महिलाओं की रक्षा करता है।

पशु चिकित्सा और मानव चिकित्सा में पुरुषों और महिलाओं के व्यवहार में काफी अंतर पाया गया है, और मानव मस्तिष्क में तो यौन अंतर काफी कम उम्र में ही दिखाई देने लगते हैं। गर्भ के पहले 26 हफ्ते में पल रहे के भ्रूण के अल्ट्रासाउंड में से पता चलता है कि मस्तिष्क के दाएं और बाएं गोलार्द्धों (Hemispheres) के बीच संपर्क स्थापित करने वाला कॉर्पस कॉलोसम (Corpus callosum) लड़कों की तुलना में लड़कियों में बड़ा पाया जाता है। वयस्कों में, महिलाओं का दिमाग मस्तिष्क के दोनों तरफ से भाषा की सक्रियता दिखता है, जबकि पुरुषों का दिमाग मुख्य रूप से बाईं ओर के मस्तिष्क का उपयोग करता है। लड़कों में लड़कियों की तुलना में अधिक सीखने समझने के विकार पाए जाते हैं जैसे डिस्लेक्सिया और हकलाना आदि। पुरुषों का मस्तिष्क ज्यामिति (Geometry) और गणित के क्षेत्रों में अधिक तेज़ चलता है। आक्रामकता और क्रोध को नियंत्रित करने के लिए मस्तिष्क में पायी जाने वाली क्षमता या आवेग (Impulses) महिलाओं में बड़ी होती है।

(और पढ़ें - 30 से ज़्यादा उम्र की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुझाव)

पुरुषों का व्यवहार थोड़ा खतरनाक होता है, और कार्यस्थल अर्थात ऑफिस वगैरह में उनके अधिक खराब व्यवहार की वजह से वे खतरे में भी आ जाते हैं। पुरुष वाहन दुर्घटनाओं का अधिक शिकार होते हैं और शराब और धूम्रपान की लत भी उनमें महिलाओं से ज्यादा होती है। इसके अलावा, पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक आक्रामक तरीके से गाडी चलाते हैं। पुरुषों में इन वजहों से हृदय रोग और अन्य दुर्घटनाएं होने की संभावना बढ़ जाती है।

15 से 24 साल की आयु में पुरुषों में मृत्यु दर अचानक से बढ़ जाती है क्योंकि उनमें पुरुष हार्मोन, टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन चरम सीमा पर होता है।

(और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के उपाय)

इसके अलावा, महिकलाओं में पाया जाने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में वृद्धि करता है और ख़राब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है जिससे उनमें ह्रदय रोग और स्ट्रोक होने की सम्भावना कम होती है, जबकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन खराब कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को घटाता है। जिस कारण उनमें ह्रदय रोगों के होने की सम्भावना अधिक होती है।

लिंग के आधार पर भी दोनों के शरीर से संबंधित अन्य तरीके अन्य संभावित कारक हैं जो पुरुष और महिला में दीर्घायु अंतर को समझाते हैं। महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक होती हैं और पुरुषों के मुकाबले जीने के लिए स्वस्थ जीवनशैली का इस्तेमाल करती हैं। पुरुष मज़बूती और ताकत के आधार पर अपने शरीर को तैयार करते हैं और बचपन से ज़िंदगी के जोखिमों का सामना करते रहते हैं।

महिलाओं और पुरुषों के बीच लंबी आयु के इस मतभेद के निष्कर्ष तक पहुंचने का एक और तरीका है, और वो है मृत्यु के कारणों पर विचार करना। लिंग के हिसाब से बने मृत्यु दर के आंकड़ों में हिंसा के कारण पुरुषों की मृत्यु दर अधिक दिखाई जाती है, जो 30 वर्ष की उम्र के आसपास 4:1 है। अर्थात हिंसा के कारण 4 पुरुषों पर एक महिला की मृत्यु होती है। शीर्ष 10 कारणों में मृत्यु दर, डायबिटीज मेलिटस को छोड़कर सभी शर्तों के लिए पुरुषों में मृत्यु दर महिलाओं के अनुपात में अधिक पायी गयी है। डायबिटीज मेलिटस में दोनों की मृत्यु का जोखिम समान होता है। असल में यह लिंग अंतर, जैविक या जीवन शैली विकल्पों से संबंधित है जैसे सिगरेट पीना, शराब पीना आदि। अंततः महिलाओं की जैविक क्रिया इस जीवन मृत्यु के अनुपात में अहम् भूमिका निभाती है।

(और पढ़ें - पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज़्यादा नींद क्यों चाहिए)



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कैसे इस 26 साल की महिला ने 1 साल में 40 किलो वजन कम किया

3 जनवरी को जब शर्माना घोष ने अपना वजन किया, तो पाया कि वो 94 किलो की हो चुकी हैं और इस तरह उन्होंने ने एक साल के अंदर 40 किलो वजन कम कर दिखाया।

घोष, 26 साल की हैं और मुंबई में काम करती हैं। उनकी कहानी भी हमारी और तुम्हारी जैसी ही है। उन्होंने भी इसके पहले कई बार वजन कम करने की कोशिश कीं और असफल रहीं। लेकिन इस बार उन्होंने तय किया कि जो भी हो जाए, अब इससे पीछे नहीं हटना है। उन्होंने एक बार फिर से अपने आत्मविश्वास को जगाया और अपने वजन कम करने के मुकाम को पा लिया।

(और पढ़ें - 1 साल में 30 किलो वजन घटाया मैंने इस आसान तरीके से)

शर्माना बताती हैं, "पिछले साल की दिसंबर की बात है, जब मैं क्रिसमस पर घर गई थी। तब मुझे मेरी मां ने मुझे वजन कम करने के लिए सुझाव दिया। उन्होंने समझाया कि किस तरह से अधिक वजन हमारे स्वास्थ्य और हमारी दक्षता और उत्पादकता को प्रभावित करता है और इन्हीं सभी समस्याओं का सामना मुझे करना पड़ रहा था। मैं किसी भी हाल में नहीं चाहती थी की स्वास्थ्य की वजह से मेरा काम काज प्रभावित हो।"

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के घरेलू उपाय)

घोष बताती हैं कि, "एमबीए की आखरी साल की बात है, उस दौरान मैं तनाव में कुछ भी खा लेती थी। शायद मेरी वजन बढ़ने की सबसे बड़ी वजह यही थी। आखिर मुझे अहसास हुआ कि मैं अपने आप को इस तरह नहीं देखना चाहती हूं।"

आगे वो कहती हैं, "तब मेरी एक दोस्त नें मुझे भरोसा दिलाया कि मैं अपने आप को जैसा देखना चाहती हूं, उसी प्रकार से ढ़ाल सकती हूं, बस इसके लिए मुझे मेहनत करनी होगी। अपने फ्रेंड़ की बात से घोष बहुत प्रेरित हुईं। उनके आस-पास के लोग उनके मोटेपन का मजाक उड़ाते थे। ये सब बार-बार सुन कर वो काफी परेशान हो चुकीं थीं।"

(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)



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Monday, January 15, 2018

डैंड्रफ के लिए शैम्पू

अगर आप बालों की देखभाल नहीं करते तो कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं और उनमे से एक समस्या है डैंड्रफ, मतलब रूसी। ये सिर की त्वचा में खुश्की और रूखेपन की वजह से दिखती है और फिर ये धीरे धीरे बढ़ने लगती है। सर में रूसी कई वजह से हो जाती है लेकिन उनमे से एक है केमिकल युक्त शैम्पू, जो आपके सिर की त्वचा का प्राकृतिक तेल छीन लेते हैं और उन्हें रूखा बना देते हैं। डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए आप केमिकल युक्त शैम्पू की जगह घर के बने शैम्पू का इस्तेमाल कर सकते हैं।

घर के बने शैम्पू से आपको डैंड्रफ से छुटकारा मिलेगा साथ ही बाल कुछ ही दिनों में घने और चमकदार लगने लगेंगे। इसके अलावा आप बालों से सम्बंधित और समस्याओं को भी रोक पाएंगे।

तो आइये आपको बताते हैं डैंड्रफ के लिए घर पर कैसे बना सकते हैं शैम्पू –



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Sunday, January 14, 2018

ग्रीन टी से ज्यादा असरदार है ये चाय वजन कम करने में

आज हिंदुस्तान में आधे से ज़्यादा लोग वजन कम करना चाहते हैं और इसके के लिए अलग-अलग तरीके ढ़ूढ़ंते रहते हैं। हालांकि आज के दौर में वजन कम करने के लिए तरह-तरह के उत्पाद उपलब्ध है। लेकिन वजन कम करने के लिए आज कल व्हाइट टी बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा। व्हाइट टी वजन कम करने में मददगार साबित हो रहा है। एक्सरसाइज और संतुलित आहार के अलावा कई चीजे हैं जो आपके वजन कम करने के सफर को आसान बना सकती हैं। उनमें से व्हाइट टी एक है और ये बेहद लाभकारी है।

(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)

इस बात का भी दावा किया जा रहा है कि व्हाइट टी, वजन कम करने में ग्रीन टी से ज्यादा सहायक है। हालांकि ग्रीन टी और व्हाइट टी दोनों एक ही चाय के पौधे से प्राप्त होते हैं। व्हाइट टी को प्राप्त करने के लिए चाय के पौधे की ताजी पत्तियों या कालियों को काट लिया जाता है, जबकि ग्रीन टी प्राप्त करने के लिए ठीक इसके विपरीत विधि को अपनाया जाता है। इसलिए इसे प्राप्त करने में कम समय लगता है और इसमें अधिक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो वजन कम करने में बहुत लाभदायक है। तो आइए जानते हैं कि किस तरह से व्हाइट टी, वजन कम करने में ग्रीन टी से ज्यादा फायदेमंद है।

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए क्या खाएं)

व्हाइट टी क्या है -

व्हाइट टी को कैमलिया सीनेंसिस के पौधे से प्राप्त किया जाता है। इसे प्राप्त करने के लिए कैमलिया सीनेंसिस के पौधे की पत्तियों को पूरी तरह से बड़े होने के पहले ही काट लिया जाता है। जब इन्हे काटा जाता है, उस समय तक ये सफेदे रेशे से ढ़के होते हैं, जिसे व्हाइट टी कहते हैं। व्हाइट टी में किसी प्रकार के कैमिकल नहीं मिलाए जाते हैं और ये बहुत कम प्रक्रियों से गुज़र कर तैयार होता है। इसलिए व्हाइट चाय सबसे अच्छा माना जाता है। आइए जानते है कि किस प्रकार से ये वजन कम करने में मदद करता है।

(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए योगासन)

व्हाइट टी नई फैट कोशिकाओं के निर्माण को रोकती है -

जब हम बहुत अधिक भोजन करते हैं, तो जितनी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है, उसे हमारा शरीर प्रयोग कर लेता है और बचे हुए अनुपयक्त भोजन फैट के रूप में संग्रहित कर लेता है, जिसे हम बाद में उर्जा के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। हमारे शरीर के द्वारा प्रेडिपोसाइट कोशिकाएं फैट में परिवर्तित हो जाते हैं और जब हम व्हाइट चाय पीते हैं, तो इससे फैट की नई कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं। इस प्रकार व्हाइट टी फैट की नई कोशिकाओं के निर्माण को रोकता  है।

(और पढ़ें - पेट कम करने के उपय)

कैलोरी को अवशोषित करने की क्षमता को कम करती है -

व्हाइट टी में उपस्थित पॉलीफेनोल कैलोरी के अवशोषण करने की क्षमता को कम करता है। इस बात का पता लगाने के लिए चूहों पर एक प्रयोग किया गया। इस अध्ययन में चूहों को अधिक फैट वाले फूड खिलाए गए और साथ में पॉलीफेनोल भी दिया गया। इसके बाद जांच की गयी, जिसमें देखा गया कि उनमे कैलोरी कोअवशोषित करने की क्षमता कम हो गयी है। इसके परिणाम स्वरूप उनके मल के साथ अधिक कैलोरी बाहर निकली।

(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज)

व्हाइट टी फैट को कम करती है -

उर्जा को रिलीज करने के लिए, हमारा शरीर या तो फैट को इस्तेमाल करता है या फैट का ऑक्सीकरण करता है। वसा ऑक्सीकरण का संबंध वजन बढ़ने से है। जिन लोगों में निम्न-वसा-ऑक्सीकरण होता है वे लोग मोटे होते हैं और जिन लोगों में उच्च-वसा-ऑक्सिीकरण होता है, वो लोग दुबले होते हैं। व्हाइट टी में मौजूद कैफीन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करके हमारे शरीर में वसा ऑक्सीकरण को उत्तेजित करते हैं। इस प्रकार व्हाइट टी फैट को कम करता है।

(और पढ़ें - कमर कम करने के तरीके)

व्हाइट टी पाचन शक्ति को बढ़ाती है -

जिस दर से आपका शरीर कैलोरी बर्न करती है, उसे मेटाबोलिज्म या पाचन शक्ति की दर कहते हैं। इस प्रकार जब आपका पाचन क्रिया मजबूत होती है, तब आपके शरीर की कैलोरी बर्न करने की गति भी अधिक होती है। लेकिन जब आप डाइटिंग करते हैं, तब आपके शरीर के मेटाबोलिज्म की गति धीमी हो जाती है, जिससे कैलोरी बर्न करने की गति भी कम हो जाती है। व्हाइट टी पाचन क्रिया की गति को बढ़ाती है, जिससे कैलोरी बर्न करने की गति भी बढ़ जाती है। इस तरह ये पाचन शक्ति बढ़ाने का उपाय है। 

(और पढ़ें - हिप्स और थाई को कम करने के टिप्स)

व्हाइट टी और ग्रीन टी में तुलना -

हालांकि ग्रीन टी और व्हाइट टी दोनों ही कैमलिया सीनेंसिस चाय के पौधे से प्राप्त होते हैं, बस फर्क इतना है कि व्हाइट टी को प्राप्त करने के लिए चाय के पौधे की ताजी पत्तियों या कलियों को काट लिया जाता है, जबकि ग्रीन टी बनाने के लिए पत्तियों को पूरे तरीके से बड़े होने पर काटा जाता है। ग्रीन टी की तुलना में व्हाइट टी महंगी होती है। व्हाइट टी प्राप्त करने के लिए वसंत ऋतु आने के पहले चाय की पत्तियों को तोड़ा जाता है और इन्हें अतिरिक्त देख-भाल की ज़रूरत होती है।

व्हाइट टी की तुलना में ग्रीन टी ज़्यादा प्रोसेस्ड है, यानि कम नेचुरल है। इसलिए व्हाइट टी में एक ही तरह के एंटीऑक्सिडेंट अधिक मात्रा में होते हैं, जबकि ग्रीन टी में कम। व्हाइट टी में कम कैफीन और अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो व्हाइट टी को ग्रीन टी से बहेतर बनाते हैं। लेकिन अध्ययन के अनुसार, लोग व्हाइट टी की तुलना में ग्रीन टी को अधिक इस्तेमाल करते हैं क्योंकि ये कम दाम में और बाजार में आसानी से मिल जाती है।

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के उपाय और मोटापा कम करने की दवा)



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Saturday, January 13, 2018

इस डाइट ने घटाए 23 किलो इस आम आदमी के

चेतन सभरबाल 27  साल के हैं और बैंक में नौकरी करते हैं। जब उन्होंने ने वजन कम करने का सफ़र शुरू किया था तब वो 95 किलो के थे। चेतन, अपने वजन की वजह से न तो अपने मन मुताबिक ज़िन्दगी जी पा रहे थे और न खुश रह पाते थे।

इसलिए उन्होंने रोज़ाना सीढियां चढ़ना शूरू किया और काफी वजन घटाया। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने स्थायी रूप से वजन कम करने का निर्णय लिया और कड़ी मेहनत से 23 किलो वजन कम कर दिखाया।

(और पढ़ें - वजन घटाने के आसान तरीके)



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Friday, January 12, 2018

जननांग मस्से

जननांग के मस्से क्या होते हैं?

जननांग के मस्से काफी परेशानी जनक होते हैं, लेकिन ये खतरनाक नहीं होते है और इनका ईलाज किया जा सकता है। जननांग के मस्से यौन संचारित संक्रमणों में से एक, सबसे आम प्रकार के संक्रमण होते हैं। ये पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा विकसित होते हैं। संबंधित वायरस से ग्रसित प्रत्येक व्यक्ति में मस्से विकसित होना जरूरी नहीं होता। ज्यादातर लोगों में, जिनमें स्पष्ट मस्से वाले लोग भी शामिल हैं, उनके शरीर से वायरस समय के साथ निकल जाता है। बहुत ही कम मामलों में जननांग के मस्से किसी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या को पैदा करते हैं।  

(और पढ़ें - जननांग दाद का उपचार)

जननांग मस्से मुख्य रूप से जननांग क्षेत्रों के नरम ऊतकों को प्रभावित करते हैं। यह मस्से पुरूषों के अंडकोश की थैली, गुदा या लिंग के आस-पास दिखाई देते हैं और महिलाओं में वल्वा (Vulva),गर्भाशय ग्रीवा, योनि या गुदा के आस पास दिखाई देते हैं।

देखने में जननांग मस्से मांस के रंग के छोटे-छोटे उभार होते हैं, जो उपर से फूलगोभी की तरह दिख सकते हैं। ज्यादातर मामलों में जननांग मस्से दिखाई दने लायक नहीं होते तथा ये काफी छोटे होते हैं।

जननांग मस्से एवं अन्य मस्से जो शरीर पर कहीं भी होते हैं, वे सब ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कारण होते हैं। 

(और पढ़ें - मस्से की दवा)



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सिर्फ 18 मिहीने में 41 किलो कम किए मैंने

मोहित पेशे से एक एक्टर हैं और सुपर स्टार अक्षय कुमार को अपना आदर्श मानते हैं। वो कहते हैं कि उन्हीं से प्रेरणा लेकर मैंने वजन कम करने के लक्ष्य को हासिल किया। मोहित कहते हैं कि, "मेरा सपना है कि उनके रोलमॉडल जो कुछ भी करते हैं, मैं भी वो सब कुछ करूं।" और इसी चाहत में उन्होंने 18 महीने में 41 किलो वजन कम किया।

(और पढ़ें - पेट कम करने के उपाय)

वो बताते हैं कि इस सफर में बहुत सारी दिक्कतें आई, कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन इन सब का सामना करते हुए और मैंने वजन कम करने के लक्ष्य को पा लिया।

 



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Thursday, January 11, 2018

डैंड्रफ खत्म करने के लिए तेल

क्या आप भी गहरे रंग के कपडे पहनने में हिचकिचाते हैं? कि कही डैंड्रफ यानि रूसी की बरसात आपके कपड़ों पर न होने लगे या फिर आपको देखकर लोग रूसी की दूकान न बोलने लगे। कुछ इसी तरह आप डैंड्रफ की वजह से परेशान रहते हैं। लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है ये समस्या बेहद आम है और अगर आपकी ये समस्या काफी समय से नहीं जा रही है तो इस लेख में दिए गए उपाय आपकी मदद ज़रूर करेंगे।

(और पढ़ें - रूसी का इलाज)

तो आइये आपको बताते हैं रूसी के लिए आसान से घरेलू उपाय जिनके इस्तेमाल से डैंड्रफ का प्रभाव बिल्कुल खत्म हो जाएगा और आप फिर से अपनी पसंदीदा कपड़े पहन सकेंगे।



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Wednesday, January 10, 2018

योनी में सूजन (योनिशोथ)

योनि में होने वाली सूजन को वैजिनाइटिस कहते हैं जिसके परिणामस्वरूप योनि डिस्चार्ज, योनि में खुजली और योनि में दर्द होता है। इसका कारण आम तौर पर योनि के बैक्टीरिया के सामान्य संतुलन में परिवर्तन होता है। इसके अलावा रजोनिवृत्ति के बाद, एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी के कारण भी वैजिनाइटिस की समस्या हो सकती है। वैजिनाइटिस के सबसे आम प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. बैक्टीरियल वेजिनोसिस (योनि में बैक्टीरियल संक्रमण), आपकी योनि में सामान्य रूप से मौजूद बैक्टीरिया की अतिवृद्धि से होता है।
  2. यीस्ट संक्रमण, आम तौर पर प्राकृतिक रूप से मौजूद यीस्ट के कारण होता है जिसे कैंडिडा अलबिशियन (Candida albicans) कहते हैं।
  3. ट्राइकोमोनिएसिस, एककोशिकीय प्रोटोज़ोआ के कारण होता है और आमतौर पर संभोग द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को होता है।
  4. योनि शोथ या वैजाइनल एट्रोफी (Vaginal atrophy), रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन के कम स्तर के कारण होती है।

इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का योनिशोथ है।

(और पढ़ें - योनि के बारे में जानकारी)



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एचसीजी हार्मोन

गर्भावस्था के दौरान, ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी; HCG) हार्मोन का उत्पादन होता है। यह प्लेसेंटा में बनने वाली कोशिकाओं द्वारा उत्पादित होता है, जो निषेचन के बाद अंडे को पोषित करता है और गर्भाशय की दीवार से जुड़ने में मदद करता है।

गर्भधारण के 11 दिनों बाद रक्त परीक्षण और 12-14 दिनों बाद मूत्र परीक्षण द्वारा इसके स्तर का पता लगाया जा सकता है।

आमतौर पर, हर 72 घंटों में एचसीजी का स्तर दोगुना होता जाता है। गर्भावस्था के शुरुआती 8-11 हफ़्तों में इस हार्मोन का स्तर चरम पर पहुंच जाता है और फिर शेष गर्भावस्था में इसके स्तर में गिरावट आती जाती है।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी टेस्ट)



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गर्भवस्था में सिरदर्द

गर्भावस्था में सिरदर्द एक बुरे सपने की तरह होता है। सिरदर्द सामान्य दिनों में ही काफी परेशान कर देता है, लेकिन जब यह गर्भावस्था के दौरान होता है, तो यह असहनीय हो जाता है। लेकिन यही वास्तविकता है क्योंकि सिरदर्द पहली तिमाही के दौरान होना आम है।

आम तौर पर, आप सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा ले सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान, आपको अधिक दवाइयां लेने की आजादी नहीं होती है। तो आइये जानते हैं प्रेग्नेंसी के दौरान सिरदर्द की समस्या से निपटने के उपाय और बचाव के तरीके जिनका उल्लेख इस लेख में किया गया है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में दर्द)



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Monday, January 8, 2018

गर्भावस्था में कमर (पीठ) दर्द

जैसे जैसे आपका बच्चा बढ़ रहा है आपकी पीठ पर तनाव भी बढ़ सकता है। आमतौर पर गर्भावस्था की दूसरी छमाही में अधिकतर गर्भवती महिलाओं को पीठ में दर्द का अनुभव होना शुरू हो जाता है। आप पीठ दर्द को कम करने के लिए आप कुछ उपाय भी कर सकती हैं। जिनपर विस्तारपूर्वक चर्चा इस लेख में की गयी है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में दर्द)



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प्रेगनेंसी में पेट में दर्द

गर्भावस्था के दौरान पेट में किसी भी तरह की परेशानी या जलन आपको गर्भ में पल रहे बच्चे की सुरक्षा के बारे में चिंतित कर देती है। लेकिन थोड़ी बहुत परेशानी होने पर आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि पेट में दर्द आम तौर पर हल्की असुविधाओं का परिणाम होता है जो गर्भावस्था में होती हैं।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याएं)

यहां प्रेगनेंसी में पेट दर्द के कारण, इलाज और डॉक्टर के पास कब जाएं बताया गया है - 



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नींबू की मदद से ऐसे हटायें झाइयाँ

कई लोग झाइयों से बहुत ज़्यादा परेशान रहते हैं क्योंकि झाइयां आपकी त्वचा को एकदम बदसूरत बना देती हैं। झाइयां आपको कही भी दिखाई दे सकती हैं जैसे आपके चेहरे, हाथ, पैर, गर्दन आदि।

मेलानिन के अधिक उत्पादन की वजह से त्वचा पर काले दाग धब्बे पड़ने लगते हैं जिसे झाइयां कहते हैं। इसके अलावा झाइयां पड़ने के कुछ अन्य कारण भी होते हैं जैसे त्वचा का चोट पहुंचना, तनाव, जलना, सूरज के सामने अधिक रहना और किसी केमिकल से संक्रमित हो जाना। लेकिन आप नींबू के फायदे से इन झाइयों को हटा सकते हैं साथ ही उसके साथ में फायदेमंद सामग्रियों को भी जोड़ सकते हैं। 

(और पढ़ें - झाइयों के कारण)

तो आइये आपको बताते हैं नींबू की मदद से झाइयां कैसे हटाएँ –



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डिलीवरी के बाद त्वचा और बालों की देखभाल

डिलीवरी के बाद आपकी त्वचा और बालों में काफी बदलाव आते हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि कुछ समय बाद ये वापस ठीक हो जाते हैं। गर्भावस्था के बाद महिलाएं अक्सर बच्चे की देखभाल में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि उन्हें अपनी त्वचा पर ध्यान देने का समय भी नहीं मिल पाता।

गर्भावस्था के दौरान और बाद में बालों और त्वचा में बहुत अधिक परिवर्तन होते हैं। कुछ महिलाओं को मुँहासे, झाइयां, खिंचाव के निशान, सूजी हुई आंखें, आँखों के नीचे काले घेरे और बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है, जबकि अन्य में गर्भावस्था की चमक होती है जो उनके चेहरे ओर पर हमेशा दिखती है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था के बाद खिंचाव के निशान)

हालांकि बच्चे के पैदा होने के बाद महिलाएं खुद को थोड़ा कम समय दे पाती हैं लेकिन त्वचा और बालों को अच्छा रखने के लिए 10 मिनट का समय निकालने का प्रयास ज़रूर करें। इस लेख में डिलीवरी के बाद त्वचा और बालों की देखभाल के लिए कुछ उपाय बताये गए हैं जो इस दौरान आपकी मदद करेंगे।

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद की समस्याएं और उनके उपाय)



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प्रेग्नेंसी का आठवां महीना

गर्भावस्था के आठवें महीने में, झुकने वाले काम करना बहुत बड़ी चुनौती होती है और आपको खुद के जूतों के फीते बाँधने में दिक्कत हो सकती है। इस समय आप और आपका बच्चा प्रेग्नेंसी के अंतिम चरण में होते हैं। ये हफ्ता पिछले ही कुछ हफ्तों की तरह लग सकता है, लेकिन चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये महीना भी जल्द ही निकल जाएगा और जल्द ही आप मां बन जाएंगी।

(और पढ़ें - गर्भावस्था के हफ्ते)



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प्रेग्नेंसी का सातवां महीना

आपकी प्रेग्नेंसी के सातवें महीने के साथ ही आपकी तीसरी तिमाही भी शुरू होती है और लोग इसे एक अच्छे कारण के लिए "होम स्ट्रेच" (Home stretch) भी कहते हैं। इस चरण से बच्चे में थोड़ी अधिक तेजी से वृद्धि होती है। सातवें महीने की गर्भावस्था में सिर्फ बच्चे के विकास के अलावा भी बहुत कुछ होता है। हालांकि, आइए इस महीने के दौरान बच्चे और आपके शरीर में होने वाले अद्भुत परिवर्तनों पर नज़र डालते हैं।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याएं और उनका समाधान)



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